लॉकडाउन में बदलाव: यूपी में ईंट-भट्ठों को मैनुअल खनन के लिए नहीं लेनी होगी पर्यावरण मंजूरी
कोविड-19 के दौरान लॉकडाउन के दूसरे चरण के खत्म होने से पहले उत्तर प्रदेश में ईंट-भट्ठों को पूर्व पर्यावरण मंजूरी (ईसी) हासिल किए बिना ही मैनुअल तरीके से दो मीटर तक खनन करने की इजाजत दे दी है। उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार ने 01 मई, 2020 को इस संबंध में अधिसूचना जारी की है।
यह कदम केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से 28 मार्च को जारी खान एवं खनिज (विकास एवं विनियम) अधिनियम (संशोधित) अधिसूचना के आधार पर लिया गया है। यूपी के सचिव संजय सिंह ने जारी अधिसूचना में कहा है कि केंद्रीय वन एंव पर्यावरण मंत्रालय ने 28 मार्च 2020 को पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (ईआईए), 2006 में बदलाव किए हैं, जिसके आधार पर कुछ क्रियाकलापों में छूट दी गई है। उत्तर प्रदेश उप खनिज परिहार नियमावली (37वां संशोधन) 2014 के प्रावधानों और केंद्र की संशोधित अधिसूचना के आधार पर ईंट बनाने के लिए हस्तचालित यानी मैनुअल खनन (2 मीटर गहराई तक) सामान्य मिट्टी की खुदाई के लिए पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी की जरूरत नहीं होगी।
केंद्र की तरफ से 28 मार्च को जारी खान एवं खनिज (विकास एवं विनिमय) अधिनियम यानी एमडीएमआर अधिनियम में कहा गया है कि ईआए 2006 के नियमों में बदलाव करके पूर्व पर्यावरण मंजूरी की शर्त को खत्म किया जाता है।
इन्हें होगी मैनुअल खनन के लिए पर्यावरण मंजूरी की छूट
इसके तहत मिट्टी खिलौने, मिट्टी के बर्तन, घड़े, लैंप जैसे सामान्य मिट्टी के उत्पादों को बनाने के लिए कुम्हार अvनी प्रथाओं के हिसाब से मैनुअल यानी हाथों से होने वाला खनन कर सकेंगे। वहीं, मिट्टी की टाइल बनाने वाले भी मैनुअल निकासी कर सकेंगे। बाढ़ के बाद कृषि भूमि से साधारण मिट्टी और बालू की निकासी। मनरेगा, सड़क, पाइपलाइन जैसे रैखीय परियोजनाओं के लिए मैनुअल मिट्टी का खनन करने की इजाजत होगी। इसके अलावा बांध व जलाशयों की सफाई के लिए भी निकासी बिना पूर्व पर्यावरण मंजूरी के ही की जा सकेगी। पांरपरिक समुदायों को भी छूट होगी। सिंचाई एवं पेयजल के लिए कुंओं की खुदाई में छूट होगी। आर्थिक पहिए को तेज करने के लिए राज्य नियमों में ढ़ील और बदलाव का रास्ता अपना रहे हैं। फिलहाल उत्तर प्रदेश ने यह कदम उठाया है।