सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 में 35 अलग-अलग तरीके के उपकरों (सेस), लेवी और शुल्क से कुल 2,74,592 करोड़ रुपये वसूले लेकिन इस राशि का सही इस्तेमाल जिस तयशुदा काम के लिए होना चाहिए था, वह नहीं किया। केंद्रीय महालेखा एवं परीक्षक नियंत्रक (कैग) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में यह बात कही है।
कुल वसूले गए 2,74,592 करोड़ उपकर में 35 फीसदी यानी 95,028 करोड़ रुपए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के हर्जाने का है। 22 फीसदी यानी 59,580 करोड़ रुपए हाई स्पीड डीजल तेल और मोटर स्प्रिट में अतिरिक्त उत्पाद शुल्क है। वहीं, 51,273 करोड़ रुपए यानी 19 फीसदी सड़क एवं संरचना उपकर है। साथ ही 41,177 करोड़ यानी 15 फीसदी स्वास्थ्य एवं शिक्षा का उपकर भी शामिल है, जबकि सरकार ने इसमें से 1,64,322 करोड़ रुपये ही खास मकसद के उपयोग वाले रिजर्व फंड में डाले गए और शेष राशि भारत की संचित निधि में ही रह गए।
1 जुलाई, 2017 को जीएसटी में मिलाए गए उपकर | वर्ष 2018-19 में वसूली गई राशि (करोड़ रुपए) |
कृषि कल्याण कोष | 168.89 |
स्वच्छ ऊर्जा | 4.88 |
संरचना | 6.36 |
जूट | 0.16 |
तंबाकू | 0.07 |
रबड़ | 4.27 |
चीनी | 13.40 |
ऑटोमोबाइल | 0.08 |
स्वच्छ भारत | 216.40 |
कुल राशि | 414.51 |