बजट 2025: बेरोजगारी की मार, कैसे निपटेगी सरकार
पुणे के मगरपट्टा में यूपीएस के बाहर जो नजारा दिखा वह दंग कर देने वाला था। आइटी सैक्टर की नौकरी के लिए हजारों प्रोफेशनल युवा कतार में लगे हुए थे। इस इंटरव्यू के लिए पहुँचे लोगों का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें इंजीनियरों का उमड़ा सैलाब साफ नजर आ रहा है। लोग इंटरव्यू के लिए सड़क पर, कतार में हर जगह खड़े नजर आ रहे हैं।
दो माह पहले नवंबर में पिथौरागढ़ (उत्तराखंड) सेना में 117 पदों के लिए भर्ती होनी थी, इसके लिए वहां 35 हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने फिजिकल टेस्ट दिया। इस हिसाब से एक पद के लिए करीब 300 अभ्यर्थी पहुंचे। भर्ती स्थल पर युवाओं की भगदड़ मचने से कई अभ्यर्थी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। अफरातफरी का माहौल बनने से युवाओं को संभालने में पुलिस के पसीने छूट गए थे। भर्ती स्थल में प्रवेश करने के दौरान अभ्यर्थियों में धक्का-मुक्की और मारामारी होने से वहां बना दरवाजा तोड़ दिया गया, जिससे भीड़ पर पुलिस के लाठी चार्ज करने से कई युवक गंभीर रूप से घायल हो गए।
इससे पहले पिछली जुलाइ में भरूंच (गुजरात) के एक होटल की महज 10 पदों की नौकरी के लिए बेरोजगारों की भारी भीड़ जुटने से हालात ऐसे बने कि होटल की रेलिंग टूट गई और गुजरात मॉडल की पोल खुल गई थी। उसके वीडियो देश भर में वायरल हुए थे।
पिछले एक दशक से युवा देश भर में रोजगार के अवसरों की कमी का खामियाजा भुगत रहे हैं, यह समस्या इतनी गंभीर हो गई है कि दिसंबर में सामने आए युवा भारतीय स्नातकों के विरोध प्रदर्शनों ने देश की संसद को कुछ समय के लिए बाधित कर दी थी। प्रदर्शनों ने लंबे समय से चली आ रही उन समस्याओं को उजागर किया जिनका सामना युवा, शिक्षित भारतीय काम खोजने की कोशिश करते समय करते हैं, यानी अर्थव्यवस्था हर साल श्रम बाजार में प्रवेश करने वाले लाखों स्नातकों के लिए पर्याप्त नौकरियां पैदा नहीं कर रही है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन और इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट की इंडिया एंप्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024 के मुताबिक पढ़े-लिखे लोगों पर बेरोजगारी की मार अधिक पड़ी है। रिपोर्ट बताती है कि इस समय भारत में जितने बेरोजगार हैं, उनमें 83 फीसदी युवा हैं और रेगुलर रोजगार में गिरावट बनी हुई है।
चिंता की बात यह है कि जिन युवाओं के कम से कम सेकंडरी एजुकेशन है, उनमें बेरोजगारी तेजी से बढ़ी है। 2000 में इनमें 35.2 फीसदी ही बेरोजगार थे लेकिन 2022 में यह आंकड़ा 65.7 फीसदी पर पहुँच गया।
आइएलओ की एक रिपोर्ट ने भारत के बेरोजगार युवाओं की सीमा को और भी रेखांकित किया है। पिछली मार्च में प्रकाशित इस रिपोर्ट से पता चला कि भारत के स्नातकों को औपचारिक शिक्षा के बिना रहने वालों की तुलना में बहुत अधिक बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है, "युवा बेरोजगारी दर शिक्षा के स्तर के साथ बढ़ी है। यह दर स्नातक डिग्री या उससे अधिक शिक्षित लोगों में सबसे अधिक है और पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक है।"
पिछले साल बेंगलुरु में अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में पाया गया कि 25 वर्ष से कम आयु के 40 प्रतिशत से अधिक कॉलेज स्नातक बेरोजगार हैं।
यह रुझान गरीब राज्यों और हाशिए पर रहने वाले लोगों में अधिक है। एक और अहम बात यह सामने आई है कि उच्च शिक्षा में बढ़ते नामांकन के बावजूद गुणवत्ता से जुडी चिंताएं बनी हुई हैं। सबसे खराब स्थिति उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ में है। .
भारत के करीब 143 करोड़ नागरिकों में से लगभग 40 प्रतिशत 25 वर्ष से कम आयु के हैं और हर साल लाखों युवा नौकरी के बाजार में प्रवेश करते हैं। ऐसे में कौशल में स्पष्ट अंतर और युवा भारतीयों के लिए उपयुक्त नौकरी सृजन की कमी श्रम-बाजार की सबसे बड़ी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने यह भी कहा है कि 'भारत में युवा बेरोजगारी दर अब वैश्विक स्तर से अधिक है। भारतीय अर्थव्यवस्था नए शिक्षित युवा श्रम बल में प्रवेश करने वालों के लिए गैर-कृषि क्षेत्रों में पर्याप्त पारिश्रमिक वाली नौकरियाँ पैदा करने में सक्षम नहीं रही है, जो उच्च और बढ़ती बेरोजगारी दर में परिलक्षित होती है।'
युवाओं के लिए आइटी सैक्टर ही नहीं बल्कि अब हर क्षेत्र में एक अच्छे वेतन वाली नौकरी ढूँढना काफी मुश्किल होता जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब बदलती वैश्विक परिस्थितियों के बीच वैश्विक स्तर पर लोगों को नौकरी से निकाला जा रहा है और कई देशों में तो मंदी की समस्या भी चल रही है। उद्योग-व्यापार के क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा के कारण कंपनियाँ भी अब लोगों को हायर करने के मामले में काफी सतर्क हो गई हैं और ऐसे लोगों को ही प्राथमिकता दे रही हैं जिनके पास अच्छा अनुभव और कौशल दोनों हो।
देखना होगा कि भारत सरकार बेरोजगारी की इस स्थिति से निपटने के लिए कौन-कौन से कदम उठाती है जिसे उसके बजट प्रावधानों में देखा जायेगा।