बजट 2025-26: निराश ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नहीं मिला कुछ खास, मनरेगा भी जस का तस

आम बजट 2025-26 में ग्रामीण विकास मंत्रालय के बजट में कुछ खास बढ़ोतरी नहीं की गई है
मनरेगा के बजट में बढ़ोतरी नहीं की गई है। फोटो: विकास चौधरी
मनरेगा के बजट में बढ़ोतरी नहीं की गई है। फोटो: विकास चौधरी
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उम्मीद की जा रही थी कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कोई बड़ी घोषणा करेंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आम बजट 2025-26 में वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में दो महत्वपूर्ण बातें कहीं। एक- ग्रामीणों की ऋण आवश्यकताओं के लिए ‘ग्रामीण क्रेडिट स्‍कोर’ की व्यवस्था करना और दूसरा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने की जिम्मेवारी ‘भारतीय डाक सेवा’ को सौंपना। 

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के बजट में पिछले साल के मुकाबले लगभग 14 हजार करोड़ रुपए की वृद्धि की गई है। इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। खास बात यह है कि मनरेगा का बजट बढ़ाया नहीं गया है। 

साल 2025-26 के लिए मंत्रालय का बजट 1,87,754 करोड़ रुपए रखा गया है, जबकि साल 2024-25 में बजट का संशोधित अनुमान 1,73,912 करोड़ रुपए था। हालांकि बजट अनुमान 1,77,566 करोड़ रुपए था। संशोधित अनुमान के मुकाबले 13,842 करोड़ रुपए की वृद्धि की गई है। 

ग्रामीण विकास विभाग के कुल बजट का सबसे बड़ा हिस्सा महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार ग्रारंटी अधिनियम (मनरेगा) का रहता है। कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बचाने वाली मनरेगा योजना के बजट में पिछले साल के मुकाबले कोई बदलाव नहीं किया गया है।

साल 2024-25 में अनुमानित व संशोधित बजट 86,000 करोड़ रुपए था। साल 2025-26 में भी इतना ही प्रावधान किया गया है। हालांकि विशेषज्ञ लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए श्रम दिवस (लेबर डे) और मजदूरी दर बढ़ाने के लिए बजट में वृद्धि की जानी चाहिए। 

ग्रामीण विकास के बजट में दूसरी सबसे बड़ी हिस्सेदारी प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) की है। साल 2025-26 के लिए 54831.99 करोड़ रुपए का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष  2024-25 में 32426.32 करोड़ रुपए का संशोधित अनुमान था। यानी संशोधित अनुमान के मुकाबले तो बढ़ोतरी की गई है, लेकिन अगर अनुमानित बजट की बात की जाए तो कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है, क्योंकि वित्त मंत्री ने जब वित्त वर्ष  2024-25 का बजट पेश किया था तो प्रधानमंत्री आवास योजना के 54500.13 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था। 

ग्रामीण विकास मंत्रालय के बजट से 16,000 करोड़ रुपए की राशि हटा दी गई है। इस राशि का प्रावधान वित्त वर्ष 2024-25 के संशोधित बजट में कृषि अवसंरचना और विकास कोष में अतिरिक्त स्थानांतरण मद में किया गया था। हालांकि अनुमानित बजट में यह प्रावधान नहीं किया गया था, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में इस मद में 12,002.22 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। 

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का बजट बढ़ाया गया है। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए इस मद में 12,100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था, जिसे बढ़ा कर 16,600 करोड़ रुपए कर दिया गया है। हालांकि वित्त वर्ष 2024-25 का अनुमानित बजट 16,500 करोड़ रुपए था। 

वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए दूरदराज के इलाकों में फैली भारतीय डाक सेवाओं को जोड़ा जाएगा और भारतीय डाक को विशाल सार्वजनिक लॉजिस्टिक संगठन के रूप में बदला जाएगा। 

साथ ही, भारत नेट परियोजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में सभी सरकारी स्कूलों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान की जाएगी। ग्रामीणों की ऋण आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए ‘ग्रामीण क्रेडिट स्‍कोर’ फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा। और युवा किसानों और ग्रामीण युवाओं के लिए नए रोजगार पैदा किए जाएंगे। 

बजट भाषण के मुताबिक भारतीय डाक को विशाल सार्वजनिक लॉजिस्टिक संगठन से जोड़ने से विश्वकर्मा, नए उद्यमियों, महिलाओं, स्व-सहायता समूहों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों तथा बड़े कारोबारी संगठनों की बढ़ती आवश्यकताओं की पूर्ति होगी।     

हसके अलावा 1.5 लाख ग्रामीण डाकघरों वाले भारतीय डाक को भारतीय डाक पेमेंट बैंक और 2.4 लाख डाक सेवकों के विशाल नेटवर्क की सहायता से ग्रामीण अर्थव्यवस्था के उत्प्रेरक के रूप में कार्य करने के लिए तैयार किया जाएगा।

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