बजट 2020-21: कृषि के लिए फिर बढ़ाया बजट, जानें कहां होगा खर्च?

अगर पिछले साल के संशोधित बजट से तुलना की जाए तो इस साल कृषि बजट में लगभग 30 प्रतिशत का इजाफा हुआ है
Photo: CSE
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष वित्तीय 2020-21 का बजट शनिवार को पेश किया। बजट में कृषि क्षेत्र के लिए कई घोषणाएं की गईं। वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा कि हमारी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है। वित्त मंत्रालय ने बजट में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को 1,42,762 करोड़ रुपए राशि का प्रावधान दिया है। पिछले साल का संशोधित बजट 1,09,750 करोड़ रुपए था। सिंचाई को लेकर बजट में विशेष प्रावधान किया गया है जिसमें 20 लाख सोलर पंप उपलब्ध कराने के अलावा 100 सूखाग्रस्त जिलों से सूखे से बाहर निकालने की योजना भी शामिल है। उर्वरकों के इस्तेमाल में संतुलन लाना और जीरो बजट खेती भी सरकार के महत्वाकांक्षी घोषणाओं में शामिल है। जैविक खेती पर जोर देते हुए आने वाले समय में सरकार की ओर से ऑनलाइन जैविक खेती का बाजार प्रदान किया जाएगा। किसानों के लिए घोषणा हुई कि पीएम किसान के सभी लाभार्थी किसान क्रेडिट कार्ड से कवर होंगे।

इस बजट में फसल के भंडारण से लेकर उसे बाजार प्रदान करने के लिए कई घोषणाएं हुई हैं। नाबार्ड के वेयरहाउस की मैंपिंग और जियोटैगिंग सहित किसान रेल चलाने की योजना कृषि बजट का प्रमुख हिस्सा रही। इस वक्त मौजूद वेयरहाउस में 162 मीट्रिक टन भंडारण की क्षमता है। आने वाले समय में स्वयं सहायता समूहों की मदद से ग्रामीण स्तर पर भंडारण की व्यवस्था की जाएगा। किसान रेल को पब्लिक प्राइवेट सहभागिता के तहत चलाया जाना है। आदिवासी जिलों और उत्तर पूर्वी राज्यों के जिलों में कृषि उड़ान योजना चलाई जाएगी। इसके लिए नागरिक उद्दयन मंत्रालय और रेल मंत्रालय से समन्वय किया गया है। इन योजनाओं का मकसद कृषि उत्पादों का कोल्ड चेन बरकरार रख उसे बाजार प्रदान करना है। वित्त मंत्री ने जिला स्तर पर हर जिले को निर्यात का केंद्र बनाने की घोषणा भी की।

इस क्षेत्र में पशुपालन और मछलीपालन पर भी कई विशेष योजनाओं को शामिल किया गया है। सरकार मछलीपालन को बढ़ावा देने के लिए 3427 सागर मित्र बनाएगी। 2022-23 तक मछली उत्पादन को 200 लाख टन तक पहुंचाने की योजना है। 2025 तक पशुओं की मुंह खुर बीमारी से मुक्ति दिलाई जाएगी  और मिल्क प्रोसेंसिंग क्षमता 108 मिलियन टन करने का लक्ष्य रखा गया है।

बजट से खुश नहीं किसान संगठन

भारतीय किसान यूनियन से जुड़े किसान नेता राकेश टिकैत कहते हैं कि यह स्पष्ट हो गया कि देश का बजट एक वार्षिक प्रक्रिया है। इसका गांव गरीब किसान के कल्याण से कोई वास्ता नहीं है जिस तरह का गोलमोल बजट पेश किया गया है उसका विश्लेषण करना भी बड़ा कठिन कार्य है। देश की लगभग 50% जनसंख्या खेती पर आश्रित है लेकिन इतनी बजट बड़ी जनसंख्या के लिए केवल 16 सूत्री कार्यक्रम किसान कल्याण नहीं कर सकते। वे कहते हैं, "किसानों का मुख्य विषय लाभकारी मूल्य और खरीद की गारंटी का बजट भाषण में वित्त मंत्री जी द्वारा जिक्र तक नहीं किया गया इससे बड़ी निराशा किसानों के लिए है। फसल बीमा में बदलाव,कर्ज़ माफी,किसान सम्मान निधि में बजट न बढ़ाना आदि महतवपूर्ण विषयों को वित्त मंत्री जी ने छुवा तक नहीं।" रासायनिक खाद में सब्सिडी में कमी पर वे कहते हैं कि इससे उत्पादन प्रभावित होगा। 

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