दिल्ली-एनसीआर में 85 फीसदी लोगों की कमाई कम हुई: सर्वे

नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) एक सर्वे में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं
फोटो: विकास चौधरी
फोटो: विकास चौधरी
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प्रिया श्रीवास्तव

दिल्ली-एनसीआर में आम आदमी की जिंदगी पर लॉकडाउन और अनलॉक-1 का क्या असर पड़ा है। इस पर नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) एक सर्वे में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। सर्वे के अनुसार 85 फीसदी परिवारों ने माना है कि लॉकडाउन की वजह से उनकी कमाई कम हो गई है। लॉकडाउन का सबसे ज्यादा झटका प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों लोगों पर हुआ है। एनसीएईआर ने यह सर्वे 15 जून से 23 जून के बीच किया है।

दिहाड़ी मजदूर और छोटे कारोबारी सबसे परेशान

सर्वे के अनुसार दिहाड़ी मजदूर इस दौरान सबसे ज्यादा परेशान रहे हैं। करीब दो तिहाई यानी 66 फीसदी मजदूरों को इस दौरान कोई काम नहीं मिला है। बाकी 34 फीसदी मजदूरों को रोजगार भी बहुत कम दिनों के लिए मिला है। इसी तरह सप्लाई और डिमांड में अंतर की वजह से छोटे बिजनेस पर बहुत बुरा असर हुआ है। लॉकडाउन की वजह से अप्रैल और मई में 52 फीसदी छोटे कारोबार बंद थे, यही नहीं कोरोना संकट की वजह से 12 फीसदी छोटे कारोबार तो हमेशा के लिए बंद हो गए।

शहरी परिवार ज्यादा परेशान

रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन से शहरी परिवारों की आमदनी में ग्रामीण परिवारों की तुलना में ज्यादा गिरावट आई है। इस दौरान 50 फीसदी ग्रामीण परिवारों ने माना है कि उनकी आय घटी है, जबकि 59 फीसदी शहरी परिवारों ने कहा कि उनकी इनकम में काफी कमी आई है। साफ है कि शहर के लोगों पर लॉकडाउन की ज्यादा मार पड़ी है। जहां तक सरकारी मदद जैसे मुफ्त अनाज मिलने की बात है तो शहर से ज्यादा ग्रामीण परिवारों तक मदद ज्यादा पहुंची है। करीब 62 फीसदी ग्रामीण परिवारों को मुफ्त अनाज का फायदा मिला है। जबकि शहर में 54 फीसदी  परिवारों को सरकारी मदद मिली है। लॉकडाउन का सबसे कम असर कृषि क्षेत्र पर पड़ा है। रोजगार के मामले में निर्माण क्षेत्र के कामगारों  के मुकाबले कृषि से जुड़े मजदूरों की स्थिति बेहतर रही है।

प्राइवेट सेक्टर में ज्यादा सैलरी कटी

प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों की बात करें तो लॉकडाउन के दौरान ये सबसे ज्यादा प्रभावित थे। प्राइवेट सेक्टर के 76 फीसदी कर्मचारियों ने माना कि उनकी सैलरी में कटौती हुई है। हालांकि अप्रैल-मई की तुलना में जून में स्थिति थोड़ी सुधरी है। वहीं 79 फीसदी सरकारी कर्मचारियों ने माना है कि अप्रैल और मई में उनकी सैलरी में कोई कटौती नहीं की गई है।

78 फीसदी ने काम पर जाना शुरू किया

सर्वे से पता चला है कि करीब 78 फीसदी लोगों ने फिर से काम पर जाना शुरू कर दिया है। वहीं संक्रमण से बचने के लिए करीब 95.3 फीसदी लोग मास्क पहन रहे हैं। जबकि सोशल डिस्टेंसिंग और हाथ धोने को लोग गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग और हाथ धोना, इन तीनों चीजों का पालन करने वाले केवल 32.2 फीसदी लोग ही हैं। हालांकि 66 फीसदी लोग सेनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं 40 फीसदी लोग ऐसे हैं जो घर आकर नहाते हैं और कपड़े धोते हैं। जिससे संक्रमण का खतरा कम रहे।

पूजा स्थल और दोस्तों के घर जाने से दूरी

भले ही अनलॉक-1 से पूजा स्थल और सोशल एक्टिविटी में थोड़ी छूट मिली है लेकिन फिर भी लोग इन गतिविधियों से बच रहे हैं। सर्वे के अनुसार केवल 12 फीसदी लोग ही है जो धार्मिक स्थलों पर प्रार्थना के लिए जा रहे है। इसी तरह 18 फीसदी लोग ने शादी, समारोह या दोस्तों आदि के घर जाना शुरू किया है। सर्वे से साफ है कि लॉकडाउन ने लोगों के जीवनशैली पर हर तरह से असर डाला है। चाहे कमाई की बात हो या फिर सामाजिक जीवन की हर स्तर पर अभी सामान्य स्थिति बनती नहीं दिख रही है।

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