डब्ल्यूटीओ व्यापारिक वार्ता बंद कर महामारी बचाव पर लगाए ध्यान, 400 नागरिक समितियों ने लिखा पत्र

एकतरफा प्रतिबंध जो देशों को आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति प्राप्त करने से रोकते हैं, उन्हें समाप्त किया जाना चाहिए
डब्ल्यूटीओ व्यापारिक वार्ता बंद कर महामारी बचाव पर लगाए ध्यान, 400 नागरिक समितियों ने लिखा पत्र
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एक तरफ दुनिया के तमाम देश नोवेल कोविड-19 और आर्थिक झटके की मार से से टूट गए हैं। वहीं विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) अब भी देशों की मदद करने के बजाय व्यापारिक मध्यस्थताओं, अनुबंध और करार में व्यस्त है। दुनिया भर के नागरिक समितियों ने न सिर्फ इस पर नाराजगी जाहिर की है बल्कि संगठन को जल्द से जल्द अपना ध्यान महामारी से बचाव की तरफ लगाने की अपील भी की है। 
ग्लोबल यूनियन फेडरेशन समेत दुनिया के 400 नागरिक समितियों ने 29 अप्रैल 2020 को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को खुला खत लिखकर अपील की है कि संगठन को नोवेल कोविड-19 संक्रमण को ध्यान में रखते हुए इस दौरान किसी भी तरह के व्यापारिक मध्यस्थता, अनुबंधो और निवेश समझौतों को रोककर अपना पूरा ध्यान महामारी से लोगों की जिंदगियों को बचाने की तरफ लगाना चाहिए।  साथ ही एकतरफा प्रतिबंध जो देशों को आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति प्राप्त करने से रोकते हैं, उन्हें समाप्त किया जाना चाहिए। 
नागरिक समितियों ने कहा है कि दुनिया में अब कोई देश बचा नहीं है जो एक नए कोरोनावायरस से संक्रमित ना हो। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस महामारी के कारण न सिर्फ लाखों लोग संक्रमित हो सकते हैं बल्कि हजारों-हजार लोगों की जान जा सकती है।  
वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ ने सभी सरकारों को और सभी समितियों को कहा है कि वह इस महामारी से बचाव के लिए दोबारा अपना पूरा ध्यान इस तरफ केंद्रित करें।  
मेडिकल सप्लाई,  दवाइयों , स्वास्थ्य कर्मियों की भयंकर कमी और 2008 से भी गहरे वैश्विक आर्थिक झटके के बावजूद कई देश और उपदेशों में तमाम लोग जीवन दांव पर लगाकर महामारी से बचाव का काम कर भी रहे हैं।  
सरकारी कर्मचारियों को महामारी से बचाव के काम की तरफ लगाया जा रहा है वही व्यापारिक मध्यस्थकार और नीति पर निर्णय लेने वाले प्रमुख व्यक्ति भी इसकी चपेट में आकर बीमार पड़ रहे हैं।  
स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से इस महामारी से लड़ने के लिए देशों के पास पर्याप्त कर्मचारी और संसाधन नहीं है। खास तौर पर यह दबाव विकासशील देश महसूस कर रहे हैं। हर तरफ सरकारें बुनियादी जांच किट की कमी और पीपीई, मास्क  वेंटिलेटर, वैक्सीन और दवाइयों  जैसी बुनियादी मेडिकल सप्लाईज की भयंकर कमी झेल रहे हैं।  
कोविड-19 से बचाव के लिए वैक्सीन और कारगर दवाओं पर काम चल रहा है लेकिन इसकी सप्लाई, पहुंच और वहन में विश्व व्यापार संगठन के फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स जैसे मसले भी बाधा बनकर सामने आ सकते हैं।  क्योंकि इन करार में ऐसे बिंदु हैं जो बाधा खड़ी कर सकते हैं।  
विश्व व्यापार संगठन  वर्चुअल तकनीकी के जरिए अब भी अपने द्विपक्षीय और क्षेत्रीय व्यापारिक मध्यस्थताओ को लेकर व्यस्त है। जबकि उसेे अपना पूरा ध्यान स्पष्ट तौर पर कोविड-19 सेेेे बचाव के लिए लगाना चाहिए।  
तमाम विकासशील देशों और यहां तक कि विकसित देशों के लिए व्यापारिक कार्यों में भागीदारी कर पाना न सिर्फ मुश्किल है बल्कि एक डिजिटल विभाजन भी सामने खड़ा है।  जरूरत है कि सरकारें अपना पूरा ध्यान और संसाधन सार्वजनिक आपात स्वास्थ्य सेवाओं की तरफ लगाएं  न की अपने किसी भी संसाधन को मध्यस्थता नियमों की तरफ मोड़ना चाहिए। क्योंकि महामारी थमने के बाद यह एक  अकल्पनीय दुनिया होगी। 
व्यापारिक वार्ताकारों के लिए इस वक्त की सबसे बड़ी प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि वह इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी रूल्स के तहत आने वाली सभी बाधाओं को और मौजूदा करारों में ऐसी शर्ते जो मेडिकल सप्लाईज की आपूर्ति को बाधा पहुंचाती हों उन्हें हटाने पर ध्यान लगाना चाहिए।  जीवन रक्षक दवाएं, जांच उपकरण और वैक्सीन जैसी जरूरत है सभी की पहुंच में बन पाए इसके लिए उचित कदम उठाए जाने की जरूरत है।  
समितियों ने कहा है कि हम विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहते हैं कि सभी देशों के पास एक तरफ के सभी ऐसे व्यापार नियमों को लचीला बनाना चाहिए जो महामारी के संकट को हल करने की उनकी क्षमता को बाधित करता है। साथ ही बिना नतीजों के डर के वार्ता और गतिविधियाँ जो उनकी ऊर्जा और संसाधनों को उस लक्ष्य से दूर करती हैं, उन्हें रोकने पर ध्यान लगाना चाहिए।

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