विश्व डाक दिवस: सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में डाक सेवा की भूमिका कैसे है अहम

इस साल यूपीयू की स्थापना के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं और विश्व डाक दिवस इस थीम के साथ मनाया जा रहा है: "विभिन्न देशों में संचार को सक्षम बनाने और लोगों को सशक्त बनाने के 150 वर्ष।"
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के वैश्विक प्रयास में अपनी भूमिका निभाते हुए, डाक आज विकास के लिए बुनियादी ढांचा प्रदान करके पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक भूमिका निभा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के वैश्विक प्रयास में अपनी भूमिका निभाते हुए, डाक आज विकास के लिए बुनियादी ढांचा प्रदान करके पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक भूमिका निभा रहा है।फोटो साभार: आईस्टॉक
Published on

दुनिया भर में हर साल नो अक्टूबर को विश्व डाक दिवस मनाया जाता है, यह दिन लोगों को जोड़ने और संचार को बढ़ावा देने में डाक सेवाओं की अहम भूमिका का सम्मान करने के लिए समर्पित है। 1874 में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) द्वारा स्थापित, विश्व डाक दिवस हमारे रोजमर्रा के जीवन में डाक सेवाओं के महत्व और दुनिया भर में संचार और व्यापार पर उनके प्रभाव की याद दिलाता है।

डाक सेवाओं ने लोगों के एक-दूसरे के साथ संवाद करने के तरीके को बहुत हद तक बदलने में मदद की है। हालांकि इंटरनेट के दिनों से पहले, डाक के बारे में अंतर्राष्ट्रीय नीतियों के कारण लोगों को एक-दूसरे को पत्र और पैकेज भेजने में बहुत कठिनाई होती थी।

विश्व डाक दिवस लोगों को यह याद दिलाने के लिए है कि कैसे डाक सेवाएं सभी के लिए आसान हो गई, जब दुनिया भर के देश आखिरकार एक समझौते पर पहुंचे जिसने डाक को आगे बढ़ाने के तरीके के बारे में सब कुछ बदल दिया।

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, साल 2015 में दुनिया भर के देशों ने सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई थी। जिसका उद्देश्य अत्यधिक गरीबी और भुखमरी को समाप्त करना, असमानता और अन्याय से लड़ना और जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए कार्रवाई करना है ये 17 नए लक्ष्यों में से कुछ ही हैं। इस वैश्विक प्रयास में अपनी भूमिका निभाते हुए, डाक आज विकास के लिए बुनियादी ढांचा प्रदान करके पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

2400 ईसा पूर्व में फारसियों ने एक कुशल संचार प्रणाली बनाई थी जिसमें घुड़सवार डाक पहुंचाने के लिए उपयोग किए जाते थे। इसी तरह, रोमनों ने अपने साम्राज्य में संचार की सुविधा के लिए सड़कों का एक विशाल नेटवर्क स्थापित किया। आधुनिक डाक प्रणाली 19वीं शताब्दी में यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में आधिकारिक डाक सेवाओं की स्थापना के साथ आकार लेने लगी, जहां 1840 में पेनी ब्लैक स्टैम्प की शुरुआत ने डाक वितरण में एक क्रांति ला दी।

विश्व डाक दिवस यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) की स्थापना की वर्षगांठ है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय डाक सेवाओं को बढ़ावा देने और समन्वय करने के लिए बनाया गया था। यूपीयू सदस्य देशों के बीच सहयोग की सुविधा प्रदान करता है, यह सुनिश्चित करता है कि डाक सेवाएं सीमाओं के पार सुचारू रूप से संचालित हों। वर्तमान में यूपीयू के 192 सदस्य देश हैं, जो दुनिया भर में डाक वितरण की दक्षता बढ़ाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।

इस साल यूपीयू की स्थापना के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं और विश्व डाक दिवस इस थीम के साथ मनाया जा रहा है: "विभिन्न देशों में संचार को सक्षम बनाने और लोगों को सशक्त बनाने के 150 वर्ष।"

अपनी स्थापना के बाद से ही विश्व डाक दिवस का उपयोग संचार, व्यापार और विकास में डाक सेवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान केंद्रित करने के लिए किया जाता रहा है। आज डाक प्रणाली ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक्स और वित्तीय समावेशन के लिए आवश्यक है।

डाक सेवाएं सूचनाओं के आदान-प्रदान को आसान बनाते हैं, व्यवसायों को समर्थन देकर आर्थिक विकास में योगदान देते हैं और लोगों के प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, खासकर संकट के समय। ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में, जहां डिजिटल कनेक्टिविटी सीमित है, डाक सेवाएं अक्सर संचार का शुरुआती साधन बनी रहती हैं।

आज के डिजिटल युग में डाक सेवाओं की भूमिका क्या है? हाल के सालों में, तकनीक में प्रगति की वजह से डाक क्षेत्र में भारी बदलाव हुए हैं। कई डाक सेवाओं ने दक्षता और ग्राहकों के अनुभव को बढ़ाने के लिए डिजिटल नवाचार को अपनाया है। स्वचालित सॉर्टिंग सिस्टम से लेकर ऑनलाइन ट्रैकिंग और डिलीवरी नोटिफिकेशन तक, आधुनिक डाक सेवाएं तेजी से अपना सिक्का जमा रही हैं।

ई-कॉमर्स के उदय ने पार्सल डिलीवरी में भारी इजाफा किया है, जिससे डाक सेवाओं को नई मांगों के अनुकूल अपने आपको ढालने लिए मजबूर होना पड़ा है। कई देशों में डाक संगठनों ने समान की समय पर और विश्वसनीय डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए लॉजिस्टिक कंपनियों के साथ साझेदारी की है, जो डिजिटल अर्थव्यवस्था में उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए उनके संकल्प को दिखता है।

भारत में ब्रिटिश काल में बने डाकघर की संरचनाओं से लेकर भारत के आकर्षक डाक भवनों तक, ये सभी डाक सेवाओं से जुड़ी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in