याचीकर्ता का आरोप था कि 12 अगस्त, 2021 को मैसर्स बाला जी को नियमों और मानकों के विरुद्ध शीतला नदी के किनारे स्टोन क्रशर लगाने के लिए पर्यावरण मंजूरी दी गई थी। ,सुप्रीम कोर्ट ने 30 अगस्त, 1988 को दून घाटी क्षेत्र को पर्यावरण संवेदी क्षेत्र मानने व खनन गतिविधि को प्रतिबंधित करने का आदेश दिया था। वहीं,पर्यावरण मंत्रालय ने 1 फरवरी, 1989 को दून घाटी क्षेत्र को पर्यावरण संवेदी क्षेत्र घोषित किया था। इसके तहत ऐसी गतिविधि के लिए पर्यावरण प्रभाव आकलन जरूरी है, जो कि स्टोन क्रशर स्थापित करने के मामले में अनदेखा किया गया।