“क्यों रे साम्भा! सरकार ने कितना मुआवजा रखा है?”
जमीन में धंस चुके किसी घर की छत पर बैठे साम्भा ने कहा, “सरदार पूरे पचास हज्जार!”
“पचास हज्जार! यहां से पचास किलोमीटर दूर जब किसी का घर धंसता है, उसकी दीवारों में दरारें आती हैं, तब लोग कहते हैं, चुप हो जा! तुझे मुआवजा मिलेगा…और ये करम जले पर्यावरण और विकास विरोधी कार्यकर्ताओं ने मेरा नाम मिट्टी में मिला दिया!”
भाइयों-बहनों! उक्त वार्तालाप किसी टीवी शो का नहीं बल्कि रामगढ़ उर्फ उत्तराखंड का है। उत्तरखंड का प्राचीन नाम रामगढ़ था और रामगढ़ का प्राचीन नाम उत्तराखंड था। सुरम्य वादियों और शिवालिक के पहाड़ों से घिरे रामगढ़ में लोग चैन से “चैनी- खैनी” चबाते हुए सुखी जीवन जी रहे थे। अचानक एक दिन वहां विकास अपनी टीम के साथ आ जाता है। विकास को उसके टीम मेंबर प्यार से गब्बर पुकारते थे। गब्बर ने रामगढ़ आते ही लूट-मार शुरू की दी। कभी वह पर्यटन के नाम पर जंगल के जंगल काट कर साफ कर देता तो कभी फोर-लेन हाइवे के नाम पर पहाड़ों में बारूदी-सुरंग लगाकर उन्हें उड़ा देता। बारूद और बुलडोजर से जब धमाके होते तो पूरे इलाके की जमीन बुरी तरह से हिल जाती। जल्द ही घरों की दीवारों और छतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़नी शुरू हो गईं। सड़कें धंसने लगीं और पूरे इलाके में जहां तहां बिल्डिंग एक ओर झुक गईं। रामगढ़ की जनता परेशान हो गई थी। पर विकास उर्फ गब्बर से कौन टकराए?
लोग भागे-भागे रपट दर्ज करवाने कानून-व्यवस्था के पास गए। पर लोगों ने पाया कि विकास उर्फ गब्बर ने कानून-व्यवस्था के दोनों हाथ काट दिए थे। ऐसे में वह जनता की समस्याओं की बात तो दूर अपने फोन में स्टेटस अपडेट करने के काबिल भी नहीं बचा था।
मजबूरन लोग अपने-अपने टूटे घरों की ओर लौट गए। बारूदी सुरंगों से धमाकों से लोगों के घर भरभराकर गिरते रहे और चारों ओर चीख पुकार की आवाजें आनी शुरू हो गईं।
अचानक चारों ओर चुप्पी छा गई। गांव वालों ने देखा सामने स्वयं विकास उर्फ गब्बर खड़ा था। गब्बर बोला, “कुछ लोग ढहती दीवारों के नीचे आने से चीख रहे हैं जिससे लोगों में दहशत और डर फैल रहा है। इसलिए अब से कोई आवाज नहीं करेगा!”
इतना सुनते ही चारों ओर सन्नाटा पसर गया।
उस सन्नाटे को चीरती हुई रहीम चाचा की आवाज आती है, “इतना सन्नाटा क्यों है भाई?”
मौसी ने उनके कानों में फुसफुसा कर कहा, “चाचा चुप हो जाओ। गैग ऑर्डर लग गया है! अब भले ही आप अपने घर के मलबे के नीचे दब जाओ पर खबरदार, चीखना मत। चीखना-चिल्लाना अब गैरकानूनी है।”
कहते हैं उसके बाद चारों ओर अमन और शांति का राज कायम हो गया।
जल्द ही यह पूरा इलाका अपनी झुकी हुई तिरछी बिल्डिंग्स के लिए पूरी दुनिया में एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन बन गया। लोग अब इटली के पीसा की एक अदद झुकी मीनार को देखने की बजाय कम पैसे में शहर भर की तिरछी मीनार को देखने रामगढ़ उर्फ उत्तराखंड आने लगे।
इस इलाके का पर्यटन उद्योग तेजी से बढ़ा। इतनी तेजी से बढ़ा कि स्थानीय लोग भी अब अपने ही शहर में पर्यटक बन गए थे। बाद में मुगलों और अंग्रेजों ने इस इतिहास को पूरी तरह से बदल दिया।