13.2 मिलियन टन प्रति वर्ष की प्रस्तावित क्षमता वाले जेएसडब्ल्यू के संयंत्र के खिलाफ इन समुद्र तटीय गांवों के निवासी एकजुट होकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनके विरोध ने भूमि-अधिग्रहण में तेजी लाने की जिला प्रशासन के कोशिशों पर असर डाला है।
ढिंकिया के रहने वाले अक्षय दास ने बताया कि गांववालों ने 22 नवंबर को एक जनसुनवाई भी की थी। उनके मुताबिक, ‘राज्य सरकार पॉस्को, टाटा, एस्सार, मित्तल, जिंदल, आदि जैसे बड़े कॉरपोरेट घरानों के साथ समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना चाहती है। राज्य सरकार, व्यावहारिक रूप से उन्हें कम रॉयल्टी पर बंधुआ खदानों के रूप में सर्वश्रेष्ठ लौह अयस्क जमा करने का उपहार देना चाहती है लेकिन इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग इसके लिए प्रतिबद्ध हैं कि हम सरकार को जबरदस्ती ये जमीन नहीं लेने देंगे।’