विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर सीएसई ने जारी की “स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2023 इन फिगर्स” रिपोर्ट

इस साल की रिपोर्ट का मुख्य आकर्षण चार मापदंडों- पर्यावरण, कृषि, स्वास्थ्य और आधारभूत संरचना पर भारत के राज्यों की रैंकिंग है
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर सीएसई ने जारी की “स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2023 इन फिगर्स” रिपोर्ट
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आंकड़ों में बड़ी-बड़ी कहानियां छिपी होती हैं। आंकड़े एक नजर में ही कहानी बता देते हैं और उसे प्रमाणित करते हैं। द स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2023 इन फिगर्स के जरिए हमने उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर भारत के पर्यावरण की कहानी समझाने की कोशिश की है। यह रिपोर्ट बताती है कि पर्यावरण के क्षेत्र में कहां गड़बड़ी है और कहां यह टिकाऊ तरीके से आगे बढ़ रहा है, साथ ही कहां आंकड़ों में गैप है।” सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की महानिदेशक सुनीता नारायण ने विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर द स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2023 इन फिगर्स रिपोर्ट के डिजिटल संस्करण के रिलीज के दौरान यह बातें कहीं।

डाउन टू अर्थ के प्रबंध संपादक रिचर्ड महापात्रा ने इस दौरान कहा, “इस साल की रिपोर्ट में हमने पहली बार राज्यों के प्रदर्शन को चार मुख्य मापदंडों पर आंकने के बाद उन्हें रैंकिंग दी है। किसी समस्या को मापने के बाद ही ठीक किया जा सकता है और यह माप आंकड़ों से भी संभव है। द स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2023 इन फिगर्स इसी माप का प्रयास किया गया है।

राज्यों का हाल

  • पर्यावरण के क्षेत्र में प्रदर्शन के मामले में रिपोर्ट में तेलंगाना को पहली रैंकिंग दी गई है। तेलंगाना को पहला स्थान मुख्य रूप से वन आवरण में वृद्धि और नगरीय ठोस अपशिष्ट के उपचार के लिए मिला है। हालांकि राज्य का प्रदर्शन जल निकायों के संरक्षण, भूजल दोहन और नदी प्रदूषण के मामले में औसत से कम है।
  • तेलंगाना के बाद गुजरात, गोवा और महाराष्ट्र का स्थान है। राजस्थान, नागालैंड और बिहार निचले पायदान पर हैं।
  • निचले पायदान पर रहने वाले 10 राज्यों में से छह उत्तर पूर्व के हैं। इनमें असम भी शामिल है।
  • कृषि के क्षेत्र में मध्य प्रदेश अव्वल आया है। शुद्ध मूल्य वर्धन और खाद्यान्न उत्पादन में राज्य का प्रदर्शन सबसे अच्छा है। हालांकि राज्य का करीब आधा फसल क्षेत्र बीमित नहीं है।
  • आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश क्रमश: दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर हैं। निचले पायदानों पर दिल्ली, गोवा और मेघालय हैं।
  • स्वास्थ्य के क्षेत्र में दिल्ली सबसे आगे है। इस राज्य ने स्वास्थ्य के क्षेत्र पर अपने बजट का सबसे बड़ा हिस्सा आवंटित किया है और यहां स्वास्थ्य देखभाल के लिए स्वस्थ व मजबूत नेटवर्क है। हालांकि राज्य में टीकाकरण की दर निम्न है।
  • दिल्ली के बाद सिक्किम, गोवा और मिजोरम का स्थान है।
  • सबसे निचले पायदान पर रहे मध्य प्रदेश में मातृ मुत्यु अनुपात और शिशु मृत्यु दर अधिक है। छत्तीसगढ़, असम और उत्तर प्रदेश भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में निचले पायदान पर हैं।
  • आधारभूत संरचना और मानव विकास के मामले में गुजरात ने पहली रैंकिंग हासिल की है। गुजरात ने अपने प्रदर्शन में सुधार रोजगार प्रदान करने और नल जल कनेक्शन देकर किया है। हालांकि राज्य का लिंगानुपात तुलनात्मक रूप से कम है और ग्रामीण क्षेत्रों में एक बड़ी आबादी ऐसी है जो स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल नहीं करती।
  • इस मामले में झारखंड सबसे नीचे है। इसके बाद नागालैंड, राजस्थान और अरुणाचल प्रदेश का नंबर है।

रिचर्ड महापात्रा के अनुसार, “राज्यों की रैंकिंग में तीन मुख्य बातें उभरकर सामने आई हैं। पहली, हमने पाया है कि हर थीम पर टॉप रैंक हासिल करने वाले राज्य भी कुछ महत्वपूर्ण संकेतकों पर संघर्ष करते दिख रहे हैं। दूसरी, किसी भी राज्य ने सभी चारों थीम पर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। और तीसरा, गोवा और सिक्किम जैसे छोटे राज्य अच्छा प्रदर्शन करते दिख रहे हैं।”

कुछ अन्य क्षेत्रों पर मुख्य निष्कर्ष

  • प्लास्टिक का अवैध प्रयोग : जुलाई 2022 में जब भारत ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया था, तब केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एसयूपी-सीपीसीबी नामक मोबाइल ऐप लॉन्च किया था। इस ऐप के जरिए लोग प्लास्टिक की अवैध बिक्री और इस्तेमाल की शिकायत कर सकते हैं। ऐप के माध्यम से प्राप्त शिकायतों पर ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।
  • नगरीय ठोस अपशिष्ट प्रबंधन : 2020-21 में भारत में प्रतिदिन 1,60,000 टन अपशिष्ट उत्पन्न हुआ। इसमें से 32 प्रतिशत अपशिष्ट का कोई हिसाब किताब नहीं है। यह अपशिष्ट मुख्य रूप से नालियों में पड़ा रहता है या उसे जला दिया जाता है। एक अच्छी बात यह है कि देश में अपशिष्ट के उपचार और निगरानी में सुधार हो रहा है।
  • वायु प्रदूषण व स्वास्थ्य : साल 2020 में वायु प्रदूषण के कारण एक भारतीय की औसत उम्र 4 साल और 11 महीने कम हो गई। ग्रामीण क्षेत्र इससे सबसे अधिक प्रभावित हैं जहां जीवन प्रत्याशा में 5 साल और 2 महीने की कमी आई है। ग्रामीणों के मुकाबले शहरी लोगों की जीवन प्रत्याशा 9 महीने अधिक है।
  • जलवायु आपदा व चरम मौसम : साल 2022 के 365 दिनों में कुल 314 दिन चरम मौसम की घटनाएं घटीं। इन घटनाओं से कुल 3026 लोग मारे गए और 19.6 लाख हेक्टेयर की फसल प्रभावित हुई। 2022 में लू की घटनाएं, वहीं 2023 में ओलावृष्टि की घटनाएं सामान्य हो गईं।
  • आंतरिक विस्थापन व पलायन : 2022 में यूक्रेन युद्ध और ला नीना के असर के चलते 6 करोड़ अतिरिक्त लोग विस्थापित हुए। भारत में जलवायु जनित आपदाओं के कारण करीब 25 लाख लोगों का विस्थापन हुआ।

आंकड़ों का स्रोत और पद्धति

सीएसई के एनवायरमेंट रिसोर्स यूनिट की कार्यक्रम निदेशक व रिपोर्ट की मुख्य लेखिका किरण पांडेय के अनुसार, “रिपोर्ट में शामिल सभी आंकड़ों का स्रोत सरकारी और आधिकारिक दस्तावेज हैं। राज्यों की रैंकिंग के लिए हमने चार थीम पर 32 संकेतकों को मापा है। रिपोर्ट के पहले अध्याय में ही पद्धति का उल्लेख है।”

डाउन टू अर्थ के असोसिएट एडिटर व रिपोर्ट के लेखक राजित सेनगुप्ता के अनुसार, “हमने सबसे पहले आंकड़ों की पहचान और उसे एकत्र किया, फिर तुलनात्मक अध्ययन के लिए उसका अंकों में मानकीकृत किया। संकेतकों को अलग अलग भारांक पर मापा गया। इसके बाद अंतिम स्कोर और रैंकिंग की गणना की गई।”

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