अब अपडेट होगा राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर, खर्च होंगे 4000 करोड़

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को अपडेट करने की मंजूरी दी है। सरकार का कहना है कि इसके लिए किसी तरह के कागजात नहीं मांगे जाएंगे
केंद्रीय मंत्रिमंडल बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और वित्त मंत्री पीयूष गोयल। फोटो: पीआईबी
केंद्रीय मंत्रिमंडल बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और वित्त मंत्री पीयूष गोयल। फोटो: पीआईबी
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हाल ही में पारित नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में जहां देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं। वहीं, 24 दिसंबर 2019 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने की मंजूरी दे दी।

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि 2020 में अप्रैल से सितंबर के बीच रजिस्टर अपडेट करने का काम किया जाएगाा। इसके साथ ही, जनगणना 2021 के हाउस-लिस्टिंग चरण भी शुरू हो जाएगा। असम को छोड़कर यह पूरे देश में किया जाएगा, क्योंकि वहां पहले से ही अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का मसौदा तैयार किया जा रहा है। जावड़ेकर ने कहा कि एनपीआर को एक दशक पहले मनमोहन सिंह सरकार ने शुरू किया था।

उन्होंने दावा किया कि रजिस्टर में बायोमेट्रिक्स को स्टोर नहीं किया जाएगा। हालांकि, सेंसस इंडिया की वेबसाइट अभी भी कहती है कि "डाटाबेस में जनसांख्यिकीय के साथ-साथ बॉयोमीट्रिक विवरण भी होंगे। जनता जो भी सूचना देगी, वह सही मान ली जाएगी।"

इससे पहले, जनगणना 2011 की हाउस-लिस्टिंग चरण के साथ एनपीआर भी किया गया था। इसे 2015 में डोर-टू-डोर सर्वेक्षण के माध्यम से अपडेट किया गया था।

एनपीआर का उद्देश्य भारत में रहने वाले लोगों का एक व्यापक पहचान डेटाबेस तैयार करना है। डेटाबेस को घर-घर के माध्यम से तैयार किया जाएगा।

एनपीआर का डाटा जनगणना से अलग होगा, जिसमें 2011 में उम्र, लिंग, वैवाहिक स्थिति, व्यवसाय, बच्चों, मातृभाषा, विकलांगता, जन्मस्थान आदि के बारे में जानकारी मांगने वाले 29 आइटम थे, लेकिन एनपीआर सिर्फ जनसांख्यिकीय और बायोमेट्रिक डेटा पर केंद्रित है।

कई राज्यों में एनपीआर का प्रारंभिक कार्य शुरू हो चुका है। पश्चिम बंगाल और केरल जैसे कुछ लोगों ने हालांकि एनपीआर से संबंधित सभी गतिविधियों को रोकने की घोषणा की है।

नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 14 (ए) में कहा गया है कि केंद्र सरकार देश के प्रत्येक नागरिक को अनिवार्य रूप से पंजीकृत कर सकती है और व्यक्ति को एक राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी कर सकती है। इस संबंध में 2004 में अधिनियम में शामिल किया गया था।

जावडेकर ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जनगणना के लिए 8,754.23 करोड़ रुपये और एनपीआर के लिए 3,941.35 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।

एनपीआर को सीएए और एनआरसी के खिलाफ हो रहे देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बीच मंजूरी प्रदान की गई है। संसद द्वारा सीएए पास किए जाने के बाद लोग सड़कों पर उतर आए हैं। कई लोगों का आरोप है कि एनपीआर, एनसीआर का पहला चरण हो सकता है, इसलिए कई राज्यों पर दबाव रहेगा कि वे एनपीआर को अनुमति देंगे या नहीं।

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