मनरेगा: गांवों को खेतों से जोड़ने के लिए बनाए पक्के रास्ते

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने गांव को शहरों से जोड़ा तो राजस्थान में मनरेगा ने ग्रेवल रोड (मिट्टी, कठोर मिट्टी और गिट्टी) के माध्यम से गांवों को खेतों से जोड़ने का काम किया
राजस्थान के एक गांव में बनी ग्रेवल रोड। फोटो: अनिल अश्विनी शर्मा
राजस्थान के एक गांव में बनी ग्रेवल रोड। फोटो: अनिल अश्विनी शर्मा
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प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) ने गांव को शहरों से जोड़ा तो राजस्थान में मनरेगा ने ग्रेवल रोड (मिट्टी, कठोर मिट्टी और गिट्टी) के माध्यम से गांवों को खेतों से जोड़ने का काम किया। मनरेगा के तहत अकेले पाली जिले में 27 गांवों के बीच ग्रेवल रोड बनी हैं। इसकी लंबाई कुल 29 किलोमीटर है और यह काम अभी चल रहा है। यह पिछले चार माह में बनाई गई हैं। इससे अब लोग अपने गांव से असानी से अपने-अपने खेतों, ढाणियों और आसपास के गांवों में आना-जाना कर पा रहे हैं।

ध्यान रहे कि पीएमजीएसवाई में तो कई प्रकार की पाबंदियां हैं कि ग्रामीण इलाकों में 500 या इससे अधिक आबादी वाले (पहाड़ी और रेगिस्‍तानी क्षेत्रों में 250 लोगों की आबादी वाले गांव) सड़क-संपर्क से वंचित गांवों को ही आसपास के कस्बों व शहरों से जोड़ना है। इससे कम आबादी वाले गांवों में यह योजना लागू नहीं होती है। ऐसे में राजस्थान के नौ जिलों के उन गांवों की जिनकी जनसंख्या 250 से कम है, लॉकडाउन के दौरान शुरू हुए मनरेगा काम के तहत उन गांवों को ग्रेवल रोड से जोड़ा गया है। पाली जिले के खारड़िया गांव में अब तक कुल 5 किलोमीटर ग्रेवल सड़क बनी है और इन सड़कों के माध्यम से ग्रामीण अब अपने खेतों में आसानी से पहुंच पा रहे हैं।

इसी गांव के बुद्धाराम ने डाउन टू अर्थ को बताया कि हमारे इस गांव में ग्रेवल सड़क सबसे अधिक पिछले चार माह के दौरान बनी है। इससे अब गांव वाले आसानी से साइकिल और अन्य अपने छोटे वाहनों से अपने खेतों में पहुंच पा रहे हैं। यह सड़क वास्तव में ग्रामीणों को खेती करने में सबसे बसे अधिक मददगार साबित हो रही है। वह बताते हैं कि कहने के लिए तो इसे एक कच्ची सड़क कहा जाता है लेकिन लगातार बारिश होने के बाद यह एक तरह से बहुत अधिक मजबूत बनती जाती है। क्योंकि पानी से सड़क में डाली गई कड़ी मिट्टी ढिली होती है और इसके बाद जब वह सूखती है तो वह और मजबूती से गिट्टियों को पकड़ती है।

ध्यान रहे कि इस सड़क की प्रमुख विशेषता है कि कितना भी पानी गिरे लेकिन कहीं भी कीचड़ जैसी बात नहीं होती। हालांकि यह भी सही है कि इस प्रकार की सड़कों में कहीं-कहीं वाहनों के चलने के कारण दब जाती है और ऐसे में इन स्थानों पर पानी का भराव हो जाता है। राज्य सरकार ने ग्रेवल सड़क के संबंध में लोक निर्माण विभाग की प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई)  को मनरेगा से जोड़ा। इससे गांव प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत शहरों और राजमार्गों से तो जुड़ते ही हैं लेकिन अब राज्य के कई गांव, ढाणी, मजरे-टोले, खेत आदि आपस में ग्रेवल सड़क से जुड़ पा रहे हैं। 

इस संबंध में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग व लोक निर्माण विभाग के प्रमुख शासन सचिवों ने राज्य में मनरेगा का कम अप्रैल, 2020 में शुरू होने के पूर्व ही संयुक्त रूप से एक परिपत्र जारी किया था। राज्य में पीएमजीएसवाई और मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना से वंचित रहने वाले गांवों के मार्गां पर सड़क मोबिलिटी सुनिश्चत करने के लिए सड़कों की आवश्यकता हुई। इसी क्रम में राज्य सरकार ने तकनीकी रूप से पीएमजीएसवाई एवं भारतीय सड़क कांग्रेस द्वारा प्रकाशित आईआरसीएसपी 2000-2002 के मापदंडों के अनुसार ग्रेवल सड़क बनाने के लिए मनरेगा से तालमेल किया।

इस संबंध में राज्य के मनरेगा आयुक्त पीसी किशन ने बताया कि आनेवाले समय में इस ग्रेवल योजना के माध्यम से संपर्क सड़क, खेत सड़क, नाली सहित आंतरिक सड़कें एवं पुलिया निर्माण कार्य भी कराए जाएंगे। इसके अतिरिक्त पहाड़ी, मरुस्थलीय जनजातीय क्षेत्रों के गांव, ढाणियों मजरों को संपर्क सड़कों से जोड़ा जा रहा है। वह कहते हैं कि सरकारी नियमानुसार ग्रामीण संपर्क सड़क निर्माण के लिए मनरेगा मद में मिट्टी खुदाई, उसे बिछाने, समतल करने, मिट्टी की कुटाई, ग्रेवल बिछाने और रोलर से उसकी कुटाई के कार्य किए जा रहे हैं।

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