वैश्विक विकास की धुरी को गति देने के लिए ‘बुजुर्ग देशों’ की जरूरतों और प्रवासियों के कौशल का मिलान जरूरी: वर्ल्ड बैंक

वैश्विक स्तर पर आबादी में बुजुर्गों की हिस्सेदारी बढ़ रही है, जिससे श्रमिकों और प्रतिभाओं के लिए वैश्विक खींचतान तेज हो रही है
हवाई अड्डे के चेक-इन काउंटर पर सामान के साथ इन्तजार करते प्रवासी; फोटो: आईस्टॉक
हवाई अड्डे के चेक-इन काउंटर पर सामान के साथ इन्तजार करते प्रवासी; फोटो: आईस्टॉक
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अगले कुछ दशकों के दौरान कई देशों की आबादी में काम करने योग्य उम्र के वयस्कों की हिस्सेदारी तेजी से घटेगी। ऐसे में यह काम के लिए दूसरे देशों की ओर रुख करने वालों और अर्थव्यवस्थाओं के लिए सुनहरा अवसर हो सकती है। इतना ही नहीं यह प्रवासियों के मूल और गंतव्य दोनों देशों की विकास सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा कर सकती है।

यह जानकारी वर्ल्ड बैंक द्वारा जारी नई “वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट 2023” में सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक जिस तेजी से वैश्विक आबादी में बुजुर्गों की हिस्सेदारी बढ़ रही है। उसके चलते श्रमिकों और प्रतिभाओं के लिए वैश्विक प्रतिस्पर्धा तेज होगी। पता चला है कि इसकी वजह से कई देश अपनी दीर्घकालिक विकास क्षमता के लिए तेजी से प्रवासियों पर निर्भर होते जाएंगे।

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी एक रिपोर्ट से पता चला है कि दुनिया की आबादी 800 करोड़ तक पहुंच गई है, जिसके दशकों तक बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि भारत जैसे ज्यादातर विकासशील और कमजोर देशों की युवा आबादी में वृद्धि देखी जा रही है, लेकिन दूसरी तरफ विकसित देशों ने इस चरण को पार कर लिया है, और उनकी आबादी में गिरावट होनी शुरू हो गई है।

विश्व बैंक ने इसकी तात्कालिकता को रेखांकित करते हुए मूल, गंतव्य और जिन देशों से प्रवासी गुजरते हैं, वहां प्रवासन के बेहतर प्रबंधन के लिए नीतियां प्रस्तावित की हैं। रिपोर्ट में "मैच-मोटिव फ्रेमवर्क" का उपयोग करते हुए माइग्रेशन ट्रेड-ऑफ पर भी चर्चा की गई है।

यहां "मैच" श्रम अर्थशास्त्र पर आधारित है और इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि प्रवासियों के कौशल और संबंधित गुण, गंतव्य देशों की जरूरतों के साथ  कितनी अच्छी तरह  मेल खाते हैं। वहीं "मकसद" उन परिस्थितियों को संदर्भित करता है जिसके तहत एक व्यक्ति अवसरों की तलाश में आगे बढ़ता है। यह इस बात को निर्धारित करते हैं कि किसी प्रवास से प्रवासियों, उनके मूल और गंतव्य देशों को किस हद तक लाभ होगा। यहां मेल जितना मजबूत होगा, लाभ उतना ही बड़ा होगा।

रिपोर्ट में इससे जुड़ी नीतियों के साथ-साथ इस बात पर भी चर्चा की गई है कि कैसे द्विपक्षीय या बहुपक्षीय पहल और उपकरण, नीति प्रतिक्रिया में सुधार कर सकते हैं। रिपोर्ट का सुझाव है कि मूल देशों को श्रमिकों के प्रवास को अपनी विकास सम्बन्धी रणनीति का एक स्पष्ट हिस्सा बनाना चाहिए।

रह रहे देशों में 18.4 करोड़ लोगों के पास नहीं है नागरिकता

वहीं गंतव्य देशों को भी प्रवासन को प्रोत्साहित करना चाहिए, जहां कुशल प्रवासियों की ज्यादा मांग हैं। इसके लिए उन्हें सुविधा देने के साथ-साथ उन सामाजिक प्रभावों को भी हल करना चाहिए करें जो उनके मूल नागरिकों के बीच चिंता पैदा करते हैं। वर्ल्ड बैंक ने गंतव्य समाज की जरूरतों के साथ प्रवासियों के कौशल के मेल को मजबूत करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और बहुपक्षीय प्रयासों का भी आग्रह किया है।

रिपोर्ट में इसके कई उदाहरण भी दिए हैं। जैसे कि 4.7 करोड़ की आबादी वाले स्पेन में सदी के अंत तक आबादी एक तिहाई से ज्यादा घट जाएगी। इसी तरह वहां 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग जो अभी आबादी का 20 फीसदी हैं वो बढ़कर आबादी का 39 फीसदी हो जाएंगें। इसी तरह मेक्सिको, थाईलैंड, ट्यूनीशिया और तुर्की जैसे देशों को भी जल्द ही बड़ी संख्या में विदेशी श्रमिकों की आवश्यकता होगी, क्योंकि उनकी आबादी अब नहीं बढ़ रही है।

वहीं दूसरी तरफ आर्थिक रूप से कमजोर अधिकांश देशों में आबादी के तेजी से बढ़ने की सम्भावना है। ऐसे में उनपर युवाओं के लिए पहले से कहीं ज्यादा रोजगार पैदा करने का दबाव होगा। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में करीब 18.4 करोड़ लोगों में जिनमें 3.7 करोड़ शरणार्थी भी शामिल हैं, उनके पास उस देश की नागरिकता नहीं है, जिसमें वे रह रहे हैं। इनके आधे से भी कम या करीब 43 फीसदी निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रह रहे हैं।

वर्ल्ड बैंक का कहना है कि देशों के भीतर और बाहर मजदूरी, अवसरों, जनसांख्यिकीय पैटर्न और जलवायु लागत के चलते गंभीर अंतर मौजूद है। इसके कारण प्रवासन से जुड़े मुद्दे कहीं ज्यादा व्यापक और जरूरी होते जा रहे हैं।

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