पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले प्रमुख कारक के तौर पर एक बार फिर दुनिया भर में बढ़ती जनसंख्या पर चर्चा की जा रही है। हालांकि भारतीय गांवों को उनके खराब वातावरण में जीने की कोशिश करते हुए देखने पर एक रोचक सवाल जहन में आता है: क्या यह समुदाय-आधारित पर्यावरण-प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए जनसांख्यिकीय दबाव का अनुकूल स्तर हो सकता है ?