विश्व आज कार्ल मार्क्स का 204वां जन्मदिन मना रहा है, हालांकि दिलचस्प यह है कि ऐसा करते हुए उसका मूड उत्सव वाला होते हुए भी असामान्य है। दरअसल पर्यावरण और पूंजीवाद की रेखा पर गहरे ध्रुवीकरण के समकालीन संदर्भ ने मार्क्स की पर्यावरण-विरोधी सिद्धांतवादी के रूप में बहुचर्चित धारणा में एक नया आयाम जोड़ा है।
पर्यावरण के मुद्दों पर उनकी समझ को लेकर काफी कुछ लिखा गया है। ब्रिटिश पर्यावरण पत्रिका, इकोलॉजिस्ट ने उनके बारे में लिखा है: ‘ ‘पर्यावरणविदों ने मार्क्स में तो खूबियों को पाया, लेकिन उनके पारिस्थितिकी के विश्लेषण में नहीं।’
पर्यावरण पर किए गए उनके अवलोकन के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर बात करते हैं।
कहा जाता है कि जब वैज्ञानिकों ने मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन पर सिद्धांत बनाना शुरू किया, उस समय मार्क्स केवल 16 साल के थे। उनके लेखन ने हमेशा मानव समाज के प्रकृति से दूर होने के खतरों पर जोर दिया। यह ठीक वैसा ही था, जैसा आज हो रहा है।
( नोट: उपरोक्त उद्धरण इतिहासकारों द्वारा विभिन्न प्रकाशित पत्रों और मार्क्स के कुछ निबंधों से भी लिए गए हैं )