जोशीमठ : 2-3 जनवरी की रात आखिर क्या हुआ, क्यों तेजी से चौड़ी हुईं दरारें

जोशीमठ में आज कई नई जगह पानी कर रिसाव हुआ, प्रशासन पानी का स्रोत बताने को तैयार नहीं। अनुमान है कि यह पानी तपोवन में बंद सुरंग से आ रहा है
जोशीमठ के मारवाड़ी इलाके में आज पानी का रिसाव हुआ। फोटो : सनी गौतम
जोशीमठ के मारवाड़ी इलाके में आज पानी का रिसाव हुआ। फोटो : सनी गौतम
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जोशीमठ में घरों और जमीन धंसने का सिलसिला जारी है। 12 जनवरी को जोशीमठ के सिंहधार इलाके में एक नई जगह से जमीन से पानी फट पड़ा। यहां भय का माहौल बढ़ता जा रहा है, लेकिन इन सब के बीच लोगों के जहन में अभी भी यह सवाल बना हुआ है कि दो-तीन जनवरी की रात अचानक ऐसा क्या हुआ कि उनके घरों में आई हल्की दरारें न केवल चौड़ी हो गई, बल्कि दो होटल सहित कई घर झुक भी गए। 
शहर के मारवाड़ी इलाके में एक होटल में काम करने वाले युवक प्रकाश सती ने डाउन टू अर्थ को बताया कि 2-3 जनवरी की रात एक से दो बजे सोते हुए उसे महसूस हुआ कि भूकम्प आ रहा है। वह उठ गया। जमीन हिलती हुई महसूस हुई। लेकिन बाद में भ्रम समझकर सो गया परन्तु सुबह जब उठा तो देखा, होटल से कुछ दूरी पर जेपी कम्पनी की आवासीय कॉलोनी के गेट के पास दीवार से पानी फूट कर बाहर निकल रहा था। 
मनोहर बाग के सूरज कपरवान ने बताया कि दिसंबर के अंतिम सप्ताह में उन्होंने अपने खेतों में हल्की-हल्की दरारें देखी थीं, जिसे सामान्य मानकर उन्होंने उन दरारों को भर दिया, लेकिन तीन जनवरी की सुबह न केवल दरारें बहुत गहरी हो गई, बल्कि जमीन धंस भी गई थी। उन्होंने लगभग 35 लाख रुपए का लॉन्ड्री प्लांट लगाया था, उसके पिलर भी धंस गए थे और पूरा प्लांट एक और झुक गया था। 
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती कहते हैं कि एनटीपीसी लगातार यह दावा कर रहा है कि तपोवन विष्णुगाड़ हाइड्रो परियोजना के लिए विस्फोट नहीं किए जा रहे हैं, जबकि हकीकत यह है कि फंसी हुई टीबीएम मशीन को आगे बढाने के लिए लगातार विस्फोट किए जा रहे हैं। इन विस्फोटों की तादाद दिसम्बर में बढ़ाई गई, लेकिन 2-3 जनवरी की रात को इतने तेज हो विस्फोट हुए कि स्थानीय लोगों ने भी इन्हें महसूस किया। इन विस्फोटों से सुबह न केवल बढ़ी हुई दरारें देखी गई, बल्कि कई जगह से जमीन धंस गई। 
वह कहते हैं कि प्रशासन यह बताने को तैयार नहीं है कि मारवाड़ी के पास निकल रहा पानी कहां से आ रहा है? उन्होंने कहा कि सम्भव है कि तपोवन में बन्द टनल से पानी आ रहा हो। यह पानी काफी मटमैला है। तपोवन वही जगह है, जहां इस परियोजना का बांध बन रहा है। 7 फरवरी 2021 को ऋषिगंगा में आई बाढ़ की वजह से 140 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा था। 
12 जनवरी को सिंहधार इलाके में भी सड़क किनारे बनी दीवार फट गई और पानी निकल आया। यह पानी भी मटमैला है और लगभग मारवाड़ी इलाके में जहां पानी निकल रहा है, वहां से ठीक लगभग 500 मीटर ऊपर है। वहीं आज जेपी कम्पनी की आवासीय कॉलोनी की दीवार भी ढह गई और कम्पनी के बैडमिंटन कोर्ट में भी गहरी दरारें आ गईं। यहां रह रहे लगभग 35 परिवारों को पहले ही शिफ्ट कर दिया गया है। 
डाउन टू अर्थ की टीम जेपी कम्पनी से नीचे बह रही अलकनंदा नदी तक गई तो पाया कि जहां से पानी निकल रहा था, वहां से अलकनंदा नदी लगभग 500 मीटर ठीक नीचे है और लगभग हर मोड़ टीम पर पानी का रिसाव दिखाई दिया।
अलकनंदा नदी पर बने पुल के किनारे चाय की दुकान चलाने वाले ईश्वर सिंह पंवार बताते हैं कि पहाड़ के उसी हिस्से से पानी फटकर बाहर बह रहा है, जो ऊपर (जेपी कम्पनी) से लेकर नीचे तक एक सीध में है। खास बात यह है कि सिंहधार भी लगभग उसी सीध पर ऊपर है। 
ऐसे में यह कयास लगाया जा रहा है कि पहाड़ के अंदर से गुजर रहे इस पानी के आसपास के इलाके ही सबसे ज्यादा प्रभावित हैं और यह हिस्सा कभी भी नदी की ओर खिसक सकता है।
भू गर्भ वैज्ञानिक एसपी सती भी आशंका जता चुके हैं कि जोशीमठ के पहाड़ों से फूट कर निकल रहे पानी का सम्बंध 7 फरवरी 2021 को तपोवन हाइड्रो प्रोजेक्ट की टनल में घुसे पानी से हो सकता है। इसलिए इस पानी का सैंपल लेकर तपोवन में बह रही धौली गंगा के पानी से मिलान करना चाहिए।

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