
हर साल 15 मई को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्थापित किया गया था, ताकि समाज की आधारशिला के रूप में परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचाना जा सके। यह दिन परिवारों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में दुनिया भर में जागरूकता बढ़ाने और उनके कल्याण और विकास का समर्थन करने वाली पहलों को बढ़ावा देने का भी प्रयास करता है।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1994 में अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस की आधिकारिक घोषणा की गई थी, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में परिवारों की सामाजिक और आर्थिक समर्थन करने के उद्देश्य से कई संकल्प पारित करना था। इस आयोजन की नींव दिसंबर 1989 में रखी गई थी, जब संयुक्त राष्ट्र ने संकल्प 44/82 को अपनाया था, जिसमें पारिवारिक स्थिरता के महत्व पर प्रकाश डाला गया था।
दिसंबर 1991 में संकल्प 46/92 द्वारा इस प्रतिबद्धता को और मजबूत किया गया, जिसमें वैश्विक स्तर पर परिवारों को प्रभावित करने वाले बदलते सामाजिक और आर्थिक ढांचे से निपटने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
आखिरकार 20 सितंबर, 1993 को महासभा ने संकल्प ए/आरईएस /47/237 को अपनाया, जिसके तहत 15 मई को औपचारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के रूप में नामित किया गया। यह दिन परिवार से संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और एकजुट होने और सहायक समुदायों के निर्माण में परिवारों की अहम भूमिका का जश्न मनाने का काम करता है।
इस साल की अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस की थीम “सतत विकास के लिए परिवार-उन्मुख नीतियां: सामाजिक विकास के लिए द्वितीय विश्व शिखर सम्मेलन की ओर” है। तकनीकी नवाचार, जनसांख्यिकीय उथल-पुथल, शहरीकरण, प्रवासन और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं से निपटने के लिए, यह थीम इस बात पर प्रकाश डालती है और जोर देती है कि कैसे परिवार-उन्मुख नीतियां सतत विकास को आगे बढ़ाने में सहायता करती हैं, विशेष रूप से सतत विकास लक्ष्यों के लिए 2030 एजेंडा।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक दुनिया भर में लगभग 80 फीसदी कृषि-क्षेत्र पारिवारिक फार्मों से बने हैं, जो खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण रोजगार और पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
विकासशील देशों में पारिवारिक किसान जलवायु परिवर्तन के कारण फसल की पैदावार में गिरावट, गरीबी और खाद्य असुरक्षा में वृद्धि का सामना कर रहे हैं, क्योंकि चरम मौसम खाद्य उत्पादन और क्रय शक्ति दोनों को कम कर देता है।
विकासशील देशों में कम आय वाले परिवार जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं, क्योंकि वे प्राकृतिक संसाधनों और कमजोर बुनियादी ढांचे पर निर्भर होते हैं, जिससे वे चरम मौसम का सामना करने में कम सक्षम होते हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि परिवार पर्यावरण अनुकूल आदतें अपनाकर अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम कर सकते हैं - जैसे ऊर्जा की बचत करना, कचरे को कम करना, तथा मांस और डेयरी उत्पादों का कम सेवन करना जिससे खाद्य-संबंधी उत्सर्जन में 73 फीसदी तक की कमी आ सकती है।