आज जारी करप्शन पर्सेप्शन्स इंडेक्स 2020 में भारत को 180 देशों की सूची में 86वें पायदान पर रखा गया है। गौरतलब है कि हर साल दुनिया भर में भ्रष्टाचार की स्थिति को बताने वाला यह इंडेक्स ट्रांस्पेरेन्सी इंटरनेशनल द्वारा जारी किया जाता है। इस इंडेक्स में भारत को कुल 40 अंक दिए गए हैं। वहीं 2019 के लिए जारी इंडेक्स को देखें तो उसमें भारत को 41 अंकों के साथ 80वें पायदान पर रखा था। जो दिखाता है कि देश में भ्रष्टाचार की स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है।
यदि अन्य दक्षिण एशियाई देशों की बात करें तो भूटान की स्थिति सबसे ज्यादा बेहतर है, वो 68 अंकों के साथ 24वें स्थान पर है। इसके बाद मालदीव का नंबर है जो 43 अंकों के साथ 75वें स्थान पर है। इसके बाद भारत (86), श्रीलंका (94), नेपाल (117), पाकिस्तान (124) और फिर बांग्लादेश (146) का नंबर आता है जोकि दक्षिण एशिया का सबसे भ्रष्ट देश है।
यदि इंडेक्स की मानें तो पिछले करीब एक दशक में अधिकांश देशों ने भ्रष्टाचार से निपटने की दिशा में कोई खास प्रगति नहीं की है। दुनिया के करीब दो तिहाई देशों के अंक 50 से कम हैं। इस इंडेक्स को 1 से 100 अंकों के बीच में बांटा गया है, जिसमें 100 का मतलब सबसे कम भ्रष्ट जबकि 1 का मतलब सबसे ज्यादा भ्रष्ट है। हालांकि किसी भी देशो को 100 में से 100 अंक नहीं मिले हैं।
डेनमार्क और न्यूज़ीलैंड हैं सबसे साफ सुथरी छवि वाले देश
इस इंडेक्स में कुल 88 अंकों के साथ न्यूज़ीलैंड और डेनमार्क को पहले स्थान पर रखा गया है जोकि दुनिया के सबसे साफ सुथरी छवि वाले देश हैं। इनके बाद फिनलैंड, सिंगापुर, स्वीडन और स्विट्जरलैंड सम्मिलित रूप से तीसरे स्थान पर हैं, इन सभी को 85 अंक मिले हैं। जबकि इसके विपरीत कुल 12 अंकों के साथ अफ्रीकी देश दक्षिण सूडान और सोमालिया को सबसे भ्रष्ट देश घोषित किया गया है। वहीं 67 अंकों के साथ अमेरिका 25वें और 42 अंकों के साथ चीन 78वें पायदान पर है।
कोरोना भी नहीं है भ्रष्टाचार मुक्त
आज दुनिया जिस तरह से कोविड-19 से जूझ रही है उससे निपटने के लिए एक जुटता की जरुरत थी। पर रिपोर्ट से पता चला है कि कोविड-19 के खिलाफ जारी जंग में भी भ्रष्ट्राचार अपनी पैठ बना चुका है। बात चाहे कोरोना की जांच की हो या उसके उपचार की हर जगह रिश्वत और भ्रष्टाचार व्याप्त है। पिछले 9 महीनों में 1,800 से अधिक लोगों ने कोविड-19 और उससे सम्बंधित मुद्दों में भ्रष्टाचार की शिकायत की है और कानूनी कानूनी सलाह केंद्रों से संपर्क किया है।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की प्रमुख डेलिया फरेरा रूबियो के अनुसार कोविड-19 केवल स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था से जुड़ा संकट नहीं है, यह भ्रष्टाचार से जुड़ा संकट भी है। जिसे नियंत्रित करने में हम नाकाम रहे हैं।"
रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर आम नागरिक भ्रष्टाचार का शिकार बनते हैं। जब वो डॉक्टर को दिखाने या पुलिस शिकायत दर्ज करने जाते हैं तो उनसे इसके लिए रिश्वत की मांग की जाती है। आमतौर पर यह वो लोग होते हैं जिनके पास रिश्वत देने की क्षमता ही नहीं होती है। यह एक बड़ी समस्या है और इस पर तुरंत ध्यान देने की जरुरत है।