रिचर्ड महापात्रा: भारत की आर्थिक - वृद्धि की यात्रा में असमानता का क्या स्तर रहा है ?
लुकास चांसेल: भारत में आर्थिक-वृद्धि पूरी तरह से असमान रही है। उदारीकरण और मुक्त बाजार ने पूंजी के निर्माण, आर्थिक-वृद्धि और कुछ हद तक गरीबी कम करने की दिशा में काम किया। हालांकि औसत आर्थिक वृद्धि, वितरण में असमानता को छिपा देती है। यहां पूंजी का वितरण बहुत असमान रहा है, जिसकी वजह से इसकी पचास फीसदी से ज्यादा आबादी के पास कामचलाऊ पूंजी भी नहीं है। वैश्विक स्तर पर आज असमानता का स्तर, बीसवीं सदी की शुरुआत जैसा है। यदि आप अलग-अलग देशों की तुलना करें तो असमानता की खाई को पाटा जा रहा है। इस लिहाज से आज भारत, यूरोप के करीब पहुंच रहा है, लेकिन देश के अंदर जो असमानता है, वह गहराती जा रही है।