कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए तैयार हैं देश की ग्राम पंचायतें: रेड्डी

कोरोनावायरस संक्रमण का प्रसार अब देश के गांवों की ओर हो रहा है। ग्राम पंचायत स्तर पर इससे निपटने की क्या तैयारी है। इस बारे में डाउन टू अर्थ के अनिल अश्विनी शर्मा ने राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) के महानिदेशक डॉ. डब्ल्यू.एम. रेड्डी से बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश-
Dr. WR Reddy IAS, Director General, NIRDPR
Dr. WR Reddy IAS, Director General, NIRDPR
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प्रश्न: कोरोनावायरस के रोकथाम एवं प्रबंधन में ग्राम पंचायतों की क्या भूमिका है?

उत्तर : सबसे पहले यह जान लेना जरूरी है कि भारत के संविधान के भाग क  में कहा गया है कि पंचायतों को ‘स्वायत्तशास  संस्थानों’ के रूप में कार्य करने और अपने क्षेत्रों में नागरिकों को कुछ बुनियादी सेवाएं प्रदान करने के निर्देश हैं। जैसे- पंचायतें, विशेषकर ग्राम पंचायतें, जो ग्रामीणों के सबसे करीब हैं और अपने क्षेत्रों में लोगों को बहुत सारी सेवाएं प्रदान कर सकती हैं। दूसरा, भारत सरकार द्वारा प्रकाशित ‘आपदा प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2009’ के प्रावधानों के अनुसार, प्रत्येक पंचायत आपदा प्रबंधन योजनाओं को तैयार करने के लिए एक 'स्थानीय प्राधिकरण' है। अत: उन्हें कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने और स्थानीय संदर्भ में आवश्यकता आधारित उपायों के माध्यम से वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर इस संकट को दूर करने के लिए ग्रामीणों की सहायता करने की आवश्यकता है।

प्रश्न-कोरोना वायरस को रोकने के लिए ग्राम पंचायतें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से किस प्रकार काम कर रही हैं?

उत्तर- राज्य एवं केंद्र सरकारों द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों के अनुसार लोगों में जागरूकता पैदा करना। ऐसा वे घर-घर जाकर, सार्वजनिक घोषणाओं, पत्रकों के वितरण, भित्तिचित्रों आदि के माध्यम से कर सकते हैं। इसमें वार्ड सदस्यों, समर्पित स्वयंसेवकों, स्वयं सहायता समूहों, आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और  पूरे समुदाय का सहयोग अपेक्षित है। इसके अलावा वे सोशल डिस्टेंसिनग के सिद्धांतों एवं आइसोलेशन के दिशानिर्देशों के मुताबिक स्थानीय कवारंनटीन केंद्रों की स्थापना करना, प्रवासियों को आइसोलेट केंद्रों में रखना और उनकी देखभाल करना शामिल है। साथ ही, सरकारी वितरण प्रणाली के साथ तालमेल बिठाकर राशन प्रदान करना और घर लौटते प्रवासी मजदूरों, दिहाड़ी कामगारों, गरीबों एवं समाज के सबसे कमजोर तबके के लिए सामुदायिक रसोइयों के माध्यम से भोजन की व्यवस्था करना आदि। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राशन की दुकानों से खाद्यान्न की व्यवस्था करके बूढ़े और दुर्बल व्यक्तियों जैसे जरूरतमंदों को सेवा प्रदान करना और अत्यंत आपात स्थिति में जरूरतमंदों के घर पर स्वयंसेवकों के माध्यम से खाद्यान्न पहुंचाना। साथ ही नियमित रूप से हाथ धोने और अन्य जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए नलकूप व पंप ऑपरेटरों की एक टीम तैनात करना। ऐसी आपातकालीन व्यवस्था की लागत को पूरा करने के लिए अपने विवेकाधीन कोष का उपयोग करना। उच्च स्तरीय पंचायतों और जिला और ब्लॉक प्रशासन के साथ संपर्क बनाए रखना ताकि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा किए गए उपायों के अनुरूप अनिवार्य कर्तव्यों का निर्वहन किया जा सके।

प्रश्न- गांव में बाहर से या विदेश से आए लोगों के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर क्या काम हो रहा है?

उत्तर- वैसे लोग जो हाल ही में विदेश या बड़े शहरों से आए हों उनका रिकॉर्ड रखना एवं उन्हें सावधानी के साथ होम क्वारंटीन में बने रहने के लिए प्रेरित करना। ऐसे लोगों पर नजर रखना जिनमें कोविड-19 के प्रारम्भिक लक्षण पाए गए हों और उन्हें चिकित्सकीय आइसोलेशन एवं उपचार केंद्रों में स्थानांतरित करना। क्षेत्र में निगरानी रखना ताकि लोग घर पर ही रहें और बिन किसी जरूरी काम या आपात परिस्थिति के बाहर न आयें। क्वारंटीन एवं आइसोलेशन के उपायों की गुणवत्ता पर नजर रखना।


प्रश्न- आपके संस्थान द्वारा तैयार की गई सामग्री और जागरूकता सृजन मॉड्यूल काफी विस्तृत है। आप अपने पोर्टल ग्राम स्वराज के माध्यम से इनका प्रसार करने की योजना बना रहे हैं, ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाले डाक्टर एवं चिकित्सकर्मी, जिनके पास हमेशा तेज इंटरनेट की  सुविधा नहीं होती , कैसे इसका फायदा उठा पाएंगे? इसके अलावा, सामग्री केवल अंग्रेजी और हिन्दी में  तैयार की गई है। क्या दूसरी भाषाओं में भी इसे उपलब्ध करने की कोई योजना है?

उत्तर- ग्राम स्वराज पोर्टल संदेशों को प्रसारित करने का एकमात्र मंच नहीं है। वास्तव में, यह संचार के प्रमुख चैनलों में से एक है। इसके अलावा कई  व्हाट्सएप समूह, एसएमएस और ई-मेल हैं जिनके माध्यम से संदेशों एवं मॉड्यूलों को प्रसारित किया जा रहा है, ताकि स्थिति की  सही समझ विकसित हो सके । इसके अलावा, अगर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के पास व्हाट्सएप एक्सेस करने के लिए बैंडविड्थ है, तो वे ग्राम स्वराज पोर्टल को भी अपने मोबाइल पर एक्सेस कर सकते हैं। एनआईआरडीपीआर सरपंचों और पीआरआई के सदस्यों के मोबाइल नंबर रखता है जिन्हें संदेशों के स्रोतों और मॉड्यूल के बारे में सूचित किया जा रहा है ताकि वे मार्गदर्शन और त्वरित कारर्वाई के लिए तैयार रहें। जहां तक अंग्रेजी और हिंदी के अलावा अन्य भाषाओं का सवाल है, राज्यस्तर पर एनआईआरडीपीआर ग्राम पंचायतों और ग्रामीण विकास के माध्यम से स्थानीय भाषा में अनुवाद के काम में पहले से ही लगा है।

प्रश्न-क्या आपने यह सुनिश्चित करने के लिए कोई तंत्र रखा है कि सभी ग्राम पंचायतें आपके जागरूकता मॉड्यूल या पाठ्यक्रम को अपनाएं? जिस तरह से वे इसे लागू करते हैं क्या उसकी  निगरानी करने के लिए कोई तंत्र है?

उत्तर-   एनआईआरडीपीआर और उसके अधीन अन्य सहायक प्रशिक्षण संस्थानों को कई व्हाट्सएप समूहों, एसएमएस और ई मेल के माध्यम से अपने संबंधित राज्यों व क्षेत्रों में पंचायतों को संदेश प्रसारित करने के लिए कहा है। इसके अलावा, पिछले 3-4 वर्षों में हमने देश भर में 4000 से अधिक प्रमाणित मास्टर ट्रेनर्स विकसित किए हैं। ये प्रमाणित मास्टर ट्रेनर कई ग्राम पंचायतों के साथ संपर्क में रहते हैं। अब उनकी सेवाओं का उपयोग कई व्हाट्सएप ग्रुपों, एसएमएस और ई-मेल के माध्यम से संदेशों के प्रसार के लिए किया जा रहा है। नहीं, अभी, इसे लागू करने के तरीके की निगरानी के लिए कोई तंत्र नहीं है। लेकिन देश भर के प्रमाणित मास्टर ट्रेनर इतने प्रतिबद्ध हैं कि वे जरूरत के हिसाब से कायर्भार अवश्य संभाल लेंगे।

प्रश्न- क्या यह सुनिश्चित करने के लिए भी कोई तंत्र है कि फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के पास मास्क और सैनिटाइटर जैसे सुरक्षात्मक गियर है? अब तक, गांवों से हमारी रिपोर्ट बताती है कि आशा कार्यकर्ता अपने बैग में मात्र  एक साबुन लेकर  कोविड-19 संक्रमण के लिए घरों का सर्वेक्षण कर रही हैं?

उत्तर- हां, शुरू में कुछ कमियां रही होंगी। लेकिन, कुछ ही समय में, फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को मास्क और सैनिटाइटर जैसे सुरक्षात्मक गियर प्रदान किए गए हैं। पिछले दो दिनों में हमने कहीं भी कोई अपवाद नहीं देखा है।

प्रश्न- कई ग्रामपंचायतें कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अपनी भूमिका के बारे में अनभिज्ञ हैं और जिला प्रशासन द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में भी उनकी जानकारी नहीं है। इस लड़ाई में ग्रामपंचायतों की क्या भूमिका है? राज्य सरकार या जिला प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों में उनकी भूमिका क्यों नहीं बताई गई है?

उत्तर- हां, शुरू में कहीं न कहीं थोड़ी कठिनाई हुई होगी। लेकिन, धीरे-धीरे देश भर की लगभग सभी ग्राम पंचायतें  एनआईआरडीपीआर द्वारा प्रसारित दिशा-निर्देशों के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकारों के दिशा-निर्देशों के आधार पर बहुत प्रभावी भूमिका निभा रही हैं। स्वशासन के स्थानीय संस्थानों और आपदा प्रबंधन योजनाओं के लिए स्थानीय प्राधिकरण पंचायतें ही हैं और इस वजह से उन्हें किसी अन्य प्राधिकारी से किसी भी निर्देश की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है। फिर भी, पंचायतें सभी निवारक और राहत उपायों के लिए  संबंधित केंद्र और राज्य सरकारों के साथ संपर्क बनाए रखकर अनुशासित ढंग से काम कर रही हैं ।

प्रश्न - कई फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं  के बीच भय यह है कि चूंकि उन्हें आधिकारिक तौर पर कोविड-19 के खिलाफ इस लड़ाई का हिस्सा बनने का निर्देश नहीं दिया गया है, इसलिए उन्हें  केंद्र सरकार द्वारा घोषित 50 लाख के बीमा  जैसे प्रावधानों का लाभ नहीं मिल सकता है?

उत्तर- सबसे पहले, स्व-शासन  के स्थानीय संस्थानों के रूप में, पंचायतों को किसी अन्य प्राधिकरण से किसी भी निर्देश की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है। दूसरा, चूंकि पंचायतें सभी निवारक और राहत उपायों में संबंधित केंद्र और राज्य सरकारों के साथ संपर्क में हैं, इसलिए केंद्र द्वारा घोषित 50 लाख टर्म बीमा जैसे प्रावधानों से लाभ के बारे में किसी भी तरह का संदेह पैदा होने का सवाल नहीं उठता है। पूर्व के अनुभव से बात करें तो बाद में केंद्र और राज्य सरकारों को अन्य सभी कार्यक्रमों की तरह, सही लाभाथिर्यों की पहचान के लिए काफी हद तक पंचायतों पर निर्भर होना पड़ेगा।

प्रश्न -घर वापस आने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए अब तक कितने गांवों में आश्रय स्थापित किए गए हैं?

उत्तर- नहीं, यह पंचायतों द्वारा स्थापित क्वारंटीन केंद्रों की संख्या की गणना का उपयुक्त समय नहीं है। पंचायतें इतनी समझदार और संवेदनशील हैं कि एक क्वारंटीन किए  हुए मरीज और दूसरे के बीच दूरियों के मानदंडों को बनाए रखें ।  स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता, जिनके साथ पंचायतों के निकट संपर्क हैं, इस संबंध में पंचायतों की मदद करने के लिए हैं।

प्रश्न- क्या यह सुनिश्चित करने का कोई प्रावधान है कि वैसे  प्रवासी मजदूर, जो  किसी योजना के तहत पंजीकृत नहीं हैं उन्हें भी भोजन मिले ?

उत्तर- किसी भी पंचायत द्वारा अब किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा।

प्रश्न- स्वयं सेवक संस्थाओं द्वारा जरूरतमंदों तक खाद्यान्न का वितरण कैसे किया जाता है?

उत्तर- पंचायतों को सलाह दी गई है कि वे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत आनेवाली राशन की दुकानों से खाद्यान की व्यवस्था करके उसे जरूरतमंदों के घर तक पहुंचाएं। ऐसा राज्य एवं केंद्र सरकारों कि योजनाओं को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। हमने देखा है कि यह भली भांति हो रहा है।

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