वर्ल्ड इकनोमिक फोरम द्वारा जारी ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2024 में भारत 146 देशों में से 129वें स्थान पर है, जो पिछले साल की तुलना में दो पायदान नीचे खिसक गया है और इसका स्कोर थोड़ा कम (0.17 अंक) है।
साल 2024 में सभी 146 देशों के लिए वैश्विक लैंगिक अंतर स्कोर 68.5 फीसदी है। पिछले संस्करण के बाद से, व्यापक बदलाव की कमी ने समानता हासिल करने की प्रगति की दर को धीमा कर दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान आंकड़ों के आधार पर, पूर्ण समानता तक पहुंचने में 134 साल लगेंगे, यानी 2030 के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) लक्ष्य से लगभग पांच पीढ़ियां और लगेंगी। लैंगिक अंतर सूचकांक से पता चलता है कि कोई भी देश पूर्ण लैंगिक समानता हासिल नहीं कर पाया है, इस संस्करण में शामिल 97 फीसदी अर्थव्यवस्थाओं ने अपने अंतर को 60 फीसदी से अधिक कम कर दिया है, जबकि 2006 में यह 85 फीसदी था।
पिछले साल, भारत सूचकांक में 127वें स्थान पर था, जो 2022 में 135वें स्थान से 1.4 प्रतिशत अंक और आठ पायदान ऊपर था। 2023 की रिपोर्ट में पाया गया कि भारत ने कुल लैंगिक अंतर का 64.3 फीसदी हिस्सा पाट लिया है, जो भारत के 2020 (66.8 फीसदी) जो आंशिक सुधार को दिखाता है।
नवीनतम सूचकांक में भारत के दो पायदान नीचे आने पर, रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि यह मामूली गिरावट मुख्य रूप से शैक्षिक और राजनीतिक सशक्तिकरण में छोटी गिरावट के कारण है, जबकि आर्थिक भागीदारी और अवसर में थोड़ा सुधार हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि शिक्षा हासिल करने में समानता सही तरीके से आगे बढ़ रही है, फिर भी चुनौतियां बनी हुई हैं। शिक्षा हासिल करने संबंधित आंकड़े भारत के समानता स्तर को पिछले स्कोर से थोड़ा नीचे धकेलते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, हालांकि प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक शिक्षा नामांकन में महिलाओं की हिस्सेदारी अधिक है, लेकिन वे केवल मामूली रूप से बढ़ रही हैं और पुरुषों और महिलाओं की साक्षरता दर के बीच का अंतर 17.2 प्रतिशत अंक है, जिससे भारत इसको लेकर 124वें स्थान पर है।
भारतीय महिलाएं पुरुषों की कमाई के 100 रुपये पर 40 रुपये कमाती हैं
भारत उन देशों में भी शामिल है जहां आर्थिक लैंगिक समानता सबसे कम है। भारत की आर्थिक समानता 39.8 प्रतिशत है। इसका मतलब है कि भारत में महिलाएं पुरुषों की कमाई के 100 रुपये पर औसतन 39.8 रुपये कमाती हैं।
भारत में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी
महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण के मामले में भारत दुनिया भर में 65वें स्थान पर है। पिछले 50 सालों में महिला व पुरुष राष्ट्राध्यक्षों के साथ समानता के मामले में भारत 40.7 फीसदी के साथ 10वें स्थान पर है। संसद में महिलाओं की भागीदारी (17.2 फीसदी) जो अपेक्षाकृत कम है।
दक्षिण एशिया में भारत की स्थिति
सूचकांक में भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश को 99वें, चीन को 106वें, नेपाल को 117वें, श्रीलंका को 122वें, भूटान को 124वें और पाकिस्तान को 145वें स्थान पर रखा गया है। आइसलैंड (93.5 फीसदी) फिर से पहले स्थान पर है और डेढ़ दशक से सूचकांक में सबसे आगे है। शीर्ष 10 में शेष नौ अर्थव्यवस्थाओं में से आठ ने अपने अंतर का 80 फीसदी से अधिक हिस्सा पाट लिया है।