दो बच्चों की नीति पर केंद्र का इंकार, घट रही है जन्म दर
एक ओर जहां उत्तर प्रदेश की जनसंख्या नीति पर जमकर बहस छिड़ी हुई है, वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार ने 23 जुलाई 2021 को संसद में स्पष्ट किया कि सरकार दो बच्चों की नीति लाने पर कोई विचार नहीं कर रही है।
लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राज्य मंत्री भारती प्रवीन पवार ने यह जानकारी दी।
सरकार ने परिवार नियोजन को लेकर चलाए जा रहे कार्यक्रमों की जानकारी दी और साथ ही बताया कि देश में 2005-06 के मुकाबले 2015-16 में कुल प्रजनन दर में कमी आई है। 2005-06 में प्रजनन दर 2.7 थी, जो 2015-16 में घट कर 2.2 हो गई। इतना ही नहीं, 36 राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों में से 28 में कुल प्रजनन दर 2.1 का लक्ष्य हासिल कर लिया है। इन राज्यों में केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश आदि राज्य शामिल हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि इन राज्यों ने बिना कोई सख्त कदम उठाए परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता बढ़ा कर यह लक्ष्य हासिल किया है।
दरअसल, पिछले कुछ सालों से देश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर नीति या कानून बनाने की मांग उठ रही है। हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने जनसंख्या नीति की घोषणा की है। इसके बाद इस चर्चा ने और जोर पकड़ लिया है, लेकिन एक बार फिर केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि दो बच्चों की नीति को लाने का उसका इरादा नहीं है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि 1994 में जब भारत ने जनसंख्या और विकास की घोषणा पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हस्ताक्षर किया था, तो उसमें परिवार के आकार और दो प्रसव के बीच के समय के निर्धारण के बारे में निर्णय लेने का अधिकार दंपती को दिया था। ऐसे में यदि सरकार इस तरह की कोई नीति लाती है तो अपने उस वचन का उल्लंघन करेगी।
इतना ही नहीं, आने वाले दिनों में भारत की जनसंख्या में तेजी से कमी आने की भी संभावना जताई जा रही है। आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि भारत में अगले दो दशकों में जनसंख्या वृद्धि में तेजी से गिरावट देखने को मिलेगी। इस सर्वेक्षण में कहा गया कि कुल प्रजनन दर में तेज गिरावट के कारण 0-19 आयु वर्ग की आबादी अपने चरम पर पहुंच चुकी है।
क्या है कुल प्रजनन दर
जनसंख्या वैज्ञानिकों ने जनसंख्या को नियंत्रण में रखने के लिए जन्म की संख्या के लिए एक सीमा रेखा निर्धारित की थी। इसे ‘कुल प्रजनन दर’ कहा जाता है। यह दर बच्चों की वह संख्या है, जो बच्चा पैदा करने की उम्र की हर महिला के पास औसतन होनी ही चाहिए। जहां आबादी की कुल प्रजनन दर से ऊपर होना बढ़ोतरी की ओर इशारा करता है, जबकि इस दर से नीचे होने का मतलब है, जनसंख्या में गिरावट।
लेकिन अगर कुल प्रजनन दर और आबादी बरबार है तो इसका मतलब है कि जनसंख्या का संतुलन बना हुआ है। देश की आबादी को स्थिर रखने के लिए कुल प्रजनन दर 2.1 निर्धारित की गई है। यह दर प्रति मां एक बच्चा, प्रति पिता एक बच्चा और शेष 0.1 दर बचपन में मर गए हर एक बच्चे और मां बनने की उम्र से पहले मर गई हर एक औरत का द्योतक है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या प्रभाग इसे प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन दर के रूप में देखता है।
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