बिहार सरकार का ग्रीन बजट 2020-21: कितना है ग्रीन?

बिहार विधानसभा में राज्य का बजट 2020-21 पेश किया गया, जिसे ग्रीन बजट नाम दिया गया है
बिहार के उप मुख्यमंत्री व वित्त मंत्री सुशील मोदी राज्य का बजट पेश करते जाते हुए। फोटो: पुष्य मित्र
बिहार के उप मुख्यमंत्री व वित्त मंत्री सुशील मोदी राज्य का बजट पेश करते जाते हुए। फोटो: पुष्य मित्र
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बिहार विधानसभा में वर्ष 2020-21 के लिए बजट पेश किया गया। सरकार की तरफ से इस बजट को ग्रीन बजट का नाम दिया गया था, दावे किये जा रहे थे कि इस बजट में पर्यावरण संबंधी मसलों पर काफी जोर रहेगा। मगर आज के बजट में राज्य के वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने पर्यावरण से संबंधित किसी नयी योजना का उल्लेख नहीं किया। उन्होंने ग्रीन बजट के नाम पर पिछले साल दो अक्तूबर को बिहार सरकार द्वारा की गयी घोषणाओं को ही बस दोहरा दिया। पिछले साल गांधी जयंती के मौके पर बिहार सरकार ने जल, जीवन, हरियाली मिशन की घोषणा करते हुए कहा था कि सरकार इस अभियान के तहत अगले तीन वर्षों में सरकार के विभिन्न विभागों के जरिये 24,524 करोड़ रुपये का व्यय करेगी।

आज अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने अपने बजट को ग्रीन बजट जरूर बताया, उन्होंने अपने बजट भाषण की शुरुआत में ही जोर-शोर से इस बात का उल्लेख किया कि बिहार देश का ऐसा पहला राज्य होगा जो ग्रीन बजट पेश कर रहा है और इस मौके पर सरकार विधानसभा के सभी सदस्यों को हरे रंग की बजट पुस्तिका उपलब्ध करा रही है। मगर उनके पूरे बजट भाषण में पर्यावरण संबंधी योजनाओं के नाम पर जल, जीवन, हरियाली मिशन की उन्हीं योजनाओं का जिक्र किया गया, जिसकी घोषणा सरकार दो अक्तूबर, 2019 को इस मिशन की शुरुआत के मौके पर कर चुकी थी। इसके अलावा पर्यावरण संबंधी किसी नयी बात का जिक्र उनके बजट भाषण में नजर नहीं आया।

उन्होंने जल, जीवन और हरियाली अभियान की पुरानी योजनाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि तीन सालों में बिहार में 1,66,962 जल संरचना, 18840 आहर, 28013 पईन और 1,16,000 हजार कुओं का जीर्णोद्धार कराया जायेगा। इसके साथ ही 7174 नये जल स्रोतों का निर्माण होगा, 30,711 सरकारी भवनों में वर्षा जल संचयन की सुविधा शुरू की जायेगी। उन्होंने राज्य के 12 जिलों में जैविक खेती की शुरुआत किये जाने का भी जिक्र किया।

इसके अलावा भी उन्होंने एक और पर्यावऱण संबंधी पुरानी योजना का जिक्र किया, जिसके मुताबिक पटना शहर में आबोहवा को बेहतर बनाने के लिए 408 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जायेगी। इस संबंध में बात करने पर पर्यावरणविद और राज्य की नदियों के सवाल पर सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता रंजीव कहते हैं कि यह सिर्फ कहने को ग्रीन बजट है, ऐसा लगता है कि बजट पर केवल ग्रीन लेवल लगा दिया गया है, अंदर कोई ऐसा विजन नहीं दिखता है कि राज्य के पर्यावरण की बेहतरी का प्रयास हो रहा हो।

वे कहते हैं कि जल, जीवन और हरियाली की योजनाओं में भी इस तरह की खानापूर्ति साफ नजर आती है। वृक्षारोपण के नाम पर पोपुलर के पेड़ लगवाये जा रहे हैं, इनका पर्यावरण पर क्या असर होगा समझ से परे है। जिन पेड़ों को स्थानांतरित किया जा रहा है, वे सूख जा रहे हैं, ऐसा हम देख ही चुके हैं। वे कहते हैं, पर्यावरण के काम को लेकर जिस तरह की गंभीरता और समर्पण की जरूरत है, वह अभी इस सरकार के प्रयासों में नजर नहीं आ रही।

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