''लॉकडाउन की शुरुआत में ही हमने ऐसा नेटवर्क तैयार किया जिससे मजदूरों और रोज कमाने खाने वाले लोगों तक मदद पहुंचाई जा सके। हैदराबाद से हमने मदद की शुरुआत की और आज छह बड़े शहरों (हैदराबाद, बेंगलुरु, चिन्नई, दिल्ली, गुरुग्राम, मुंबई) में लोगों की मदद कर रहे हैं। अब तक देशभर में 50 हजार से ज्यादा राशन किट हम बांट चुके हैं।'' यह बात साफा (SAFA) एनजीओ की फाउंडर रूबिना मजहर कहती हैं।
साफा हैदराबाद का एक एनजीओ है जो पिछले 11 सालों से कमजोर तबके से जुड़े लोगों की आजीविका और महिलाओं की पढ़ाई जैसे क्षेत्र में काम कर रहा है। कोरोना संक्रमण की वजह से जब देश में लॉकडाउन की तैयारी चल रही थी तो साफा की फाउंडर रूबिना मजहर ने कुछ नौजवान साथियों के साथ यूथ फीड इंडिया नाम से एक कैंपेन की शुरुआत की। इस कैंपेन में क्राउड फंडिंग करके दिहाड़ी मजदूरों और जरूरतमंदों को राशन देने की योजना थी। आज यूथ फीड इंडिया से अलग-अलग शहरों के एनजीओ जुड़कर लोगों तक राशन किट पहुंचा रहे हैं।
ऐसा ही एक राशन किट दिल्ली की जंयति देवी को भी मिला था। जयंति बताती हैं, ''हम रोज कमाने खाने वाले लोग हैं। जब लॉकडाउन लगा तो काम बंद हो गया। घर में राशन भी खत्म होने को आया था। मैंने कुछ लड़कों से बात बताई तो उन्होंने एक नंबर मिलाकर किसी को इसकी जानकारी दी। इसके कुछ घंटे बाद ही मेरे पास राशन पहुंच गया।''
देशभर में जयंति जैसे 50 हजार से ज्यादा लोग हैं जिन्हें मुफ्त में राशन किट पहुंचाया गया है। इस राशन किट में आटा, चावल, प्याज, तेल, चीनी, दाल, साबुन और बुखार की दवा जैसी चीजें शामिल हैं।
मुहिम कैसे कर रही काम?
रूबिना मजहर बताती हैं, ''हमारे साथ अलग-अलग शहरों के एनजीओ जुड़े हैं। हम उसी शहर के एक डीलर से एक साथ राशन खरीदते हैं और फिर वहां से राशन इन एनजीओ के गोदाम में जाता है। वहां से सीधे जरूरतमंद लोगों तक इन्हें पहुंचाया जाता है।''
''हमारे इस कैंपेन से मुंबई का टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, चाइल्ड राइट एंड यू (क्राई), इंडिया पोस्ट जैसी संस्थाएं भी जुड़ी हैं, जो अपने स्तर पर मदद कर रही हैं। जैसे इंडिया पोस्ट ने हमें हैदराबाद में दो ट्रक दिए हैं, जिनसे हम राशन पहुंचा रहे हैं। इसी तरह दूसरी संस्थाएं भी लोगों तक राशन पहुंचाने में मदद कर रहे हैं।'' - रूबिना कहती हैं
यूथ फीड इंडिया ने क्राउड फंडिंग से अब तक 3 करोड़ रुपए इकट्ठा किए हैं। इस फंड से सीधे तौर पर किसी भी शहर में खरीदे जा रहे राशन का भुगतान कर रहा है। इससे सप्लाई चेन भी ठीक बनी हुई है, क्योंकि पेमेंट के रुकने जैसी शिकायतें नहीं आ रहीं। रूबिना बताती हैं, ''हमें इस कैंपेन के इतना सफल होने की उम्मीद नहीं थी। हमें सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पोंसिबिल्टी) से भी काफी फंड आया है, जैसे एक्सिस फाउंडेशन और ओमीडियार नेटवर्क।''
इस कैंपेन का नाम यूथ फीड इंडिया इसलिए भी रखा गया, क्योंकि इससे जुड़े ज्यादातार लोग नौजवान हैं। कई ऐसे लोग भी हैं जो किसी और काम से जुड़े थे, लेकिन जब यह आपात स्थिति आई तो इस कैंपेन से जुड़ कर लोगों की मदद कर रहे हैं। फिलहाल इस कैंपेन से जुड़े लोगों का लक्ष्य है कि ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाई जाए।