नासा के वैज्ञानिकों ने कहा ऐसा प्रतीत होता है कि आर्कटिक की समुद्री बर्फ का स्तर कम हो गया है। जहां यह सर्दियों के दौरान बढ़ने के बाद 25 फरवरी को साल भर के अपनी सबसे कम सीमा तक पहुंच गई है। नेशनल स्नो एंड आइस डेटा सेंटर द्वारा लिए गए उपग्रह रिकॉर्ड में इस वर्ष की सर्दियों की बर्फ की सीमा रिकॉर्ड में 10वीं सबसे कम है।
आर्कटिक समुद्री बर्फ की सीमा 55.7 लाख वर्ग मील है और 1981-2010 के अधिकतम औसत से लगभग 297,300 वर्ग मील या 770,000 वर्ग किलोमीटर कम है। बर्फ का गायब हुआ हिस्सा अमेरिका के टेक्सास और मेन को मिला दिया जाए तो उसकी तुलना में थोड़ा बड़ा है।
समुद्री बर्फ हर साल मौसम के अनुसार बढ़ती और घटती है। अंटार्कटिका में यह सर्दियों के महीनों में बढ़ने के बाद मार्च के आसपास अपनी अधिकतम सीमा तक पहुंच जाता है। गर्मी के महीनों में पिघलने के बाद सितंबर में अपनी न्यूनतम सीमा तक पहुंच जाती है। दक्षिणी गोलार्ध में अंटार्कटिक समुद्री बर्फ एक विपरीत चक्र का अनुसरण करती है।
समुद्री बर्फ की सीमा का अनुमान लगाने के लिए, उपग्रह सेंसर समुद्री बर्फ के आंकड़ों को एकत्र करते हैं जिन्हें दैनिक छवियों में संसाधित किया जाता है। प्रत्येक छवि ग्रिड सेल लगभग 15 मील गुणा 15 मील यानी 25 किलोमीटर गुणा 25 किलोमीटर के इलाके में फैला होता है। वैज्ञानिक तब इन छवियों का उपयोग समुद्र की सीमा का अनुमान लगाने के लिए करते हैं जहां समुद्री बर्फ कम से कम 15 फीसदी पानी को कवर करती है।
क्योंकि उपग्रहों द्वारा 1979 से समुद्री बर्फ पर मजबूती से नज़र रखना शुरू किया था, आर्कटिक में अधिकतम विस्तार में लगभग 13 फीसदी प्रति दशक की गति से गिरावट आई है, जिसमें न्यूनतम विस्तार लगभग 2.7 फीसदी प्रति दशक की गिरावट है।
ये रुझान कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन जैसी मानवीय गतिविधियों के कारण होने वाली गर्मी से जुड़े हैं, जो वातावरण में गर्मी को फंसाते हैं और तापमान में बढ़ोतरी करते हैं। नासा के विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि आर्कटिक अन्य क्षेत्रों की तुलना में लगभग तीन गुना तेजी से गर्म हो रहा है।
इस साल फरवरी महीने में अंटार्कटिक की समुद्री बर्फ रिकॉर्ड में अपने सबसे न्यूनतम सीमा तक गिर गई है। लेकिन अंटार्कटिका के विपरीत, इस समुद्री बर्फ ने मुख्य रूप से इसके चारों ओर की भौगोलिक विशेषताओं के कारण अनियमित उतार-चढ़ाव को दिखाया है। विशेष रूप से दक्षिणी महासागर और अंटार्कटिका से जुड़ी हवाओं और महासागरीय धाराओं का समुद्री बर्फ की सीमा पर एक बड़ा प्रभाव पड़ता है।
अंटार्कटिका में समुद्री बर्फ भूमि से घिरी हुई है, जबकि अंटार्कटिक में समुद्री बर्फ केवल समुद्र से घिरी हुई है और इस प्रकार अधिक स्वतंत्र रूप से फैल सकती है। कुल मिलाकर, अंटार्कटिक समुद्री बर्फ रिकॉर्ड थोड़ा ऊपर की ओर-लेकिन लगभग सपाट-प्रवृत्ति या वृद्धि को दिखाता है।
अंटार्कटिक के समुद्री बर्फ के फायदे आर्कटिक के नुकसान की भरपाई के लिए पर्याप्त नहीं हैं। दोनों क्षेत्रों की बर्फ वैश्विक तापमान को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। भले ही अंटार्कटिक वैश्विक स्तर पर संतुलित समुद्री बर्फ के स्तर को हासिल कर लेता है, आर्कटिक समुद्री बर्फ के नुकसान अभी भी आगे क्षेत्रीय और ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेवार हो सकते हैं।