क्या जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र में डूब जाएगा मालदीव

क्या जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र में डूब जाएगा मालदीव

मालदीव के 80 फीसदी से भी ज्यादा कोरल द्वीप समुद्र तल से एक मीटर से भी कम उंचें हैं, अनुमान है कि बढ़ते जल स्तर के कारण वो द्वीप सदी के अंत तक समुद्र में डूब सकते हैं
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अपने सुन्दर द्वीपों के लिए जाने जाना वाला दक्षिण एशियाई देश मालदीव, एक जाना पहचाना पर्यटक स्थल भी है| इसके 1,190 प्रवाल द्वीपों में से 80 फीसदी से भी ज्यादा समुद्र तल के एक मीटर से भी कम ऊपर हैं| दुनिया का शायद ही कोई देश होगा जहां जमीन इतनी नीची है| यही वजह है कि इस द्वीपसमूह पर समुद्र के बढ़ते जल स्तर का खतरा भी सबसे ज्यादा है|

अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर समुद्र के जलस्तर में हर वर्ष 3 से 4 मिलीमीटर की दर से वृद्धि हो रही है| जिसके आने वाले दशकों में और बढ़ने की सम्भावना है| यदि आईपीसीसी का अनुमान है कि यदि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी होती भी है तो भी सदी के अंत तक समुद्र के जल स्तर में आधा मीटर की वृद्धि हो सकती है| वहीं यदि उत्सर्जन में कमी न लाइ गई तो यह वृद्धि एक मीटर तक हो सकती है| जिसका मतलब होगा कि इसके चलते मालदीव के ज्यादातर कोरल द्वीप समुद्र में समा जाएंगे|

इस बाबत जर्नल साइंस एडवांसेज में छपे एक शोध के अनुसार 2050 तक कई निचले द्वीप जलस्तर बढ़ने के कारण निर्जन हो जाएंगे| वहां समुद्री बाढ़ की समस्या आम हो जाएगी और साथ ही पीने के पानी की समस्या भी बढ़ जाएगी| ऐसे में एक तरफ जहां मालदीव सरकार अन्य देशों में ऊंचे स्थानों पर जमीन लेने की सोच रही है देश में योजनाकार द्वीपों को डूबने से बचाने के लिए भी योजनाएं बना रहे हैं| हाल ही में मालदीव की राजधानी माले के उत्तर पूर्व में नया बनाया गया कृत्रिम द्वीप ऐसा ही एक उदाहरण है|

बढ़ते जल स्तर से निपटने के लिए कितना तैयार है मालदीव

लैंडसैट उपग्रह से प्राप्त चित्रों से पता चला है कि 1997 से 2020 के बीच इस क्षेत्र में कितना बदलाव आया है| माले में भीड़ को कम करने के लिए एक नए द्वीप का निर्माण 1997 में हवाई अड्डे के पास एक लैगून में शुरू हुआ था| तब से इस द्वीप का क्षेत्रफल चार वर्ग किलोमीटर बढ़ चुका है, जिस वजह से यह मालदीव का चौथा सबसे बड़ा द्वीप बन गया है। इस द्वीप हुलहुमाले की आबादी 50,000 से ज्यादा हो चुकी है| वहीं 200,000 से ज्यादा लोगों के वहां बसने की सम्भावना है| इस द्वीप को पानी के अंदर कोरल के प्लेटफ़ॉर्म पर बनाया गया है| जिसके निर्माण के लिए समुद्रतल से रेत पंप की गई है| यह द्वीप माले से करीब दोगुना और समुद्र के जलस्तर से दो मीटर ऊंचा है|

03 फरवरी 1997 में मालदीव

19 फरवरी 2020 में मालदीव

फोटो: अर्थ ऑब्ज़र्वेटरी, नासा

ऐसा नहीं है कि मालदीव में हुलहुमाले अकेला ऐसा द्वीप है जिसने 1990 के बाद से बड़े बदलाव देखे हैं| पिछले कुछ दशकों में मालदीव के कई द्वीपों में सुधार काम किए गए हैं| उनमे थिलाफुशी भी एक है जो पश्चिम का लैगून है जो तेजी से विकसित हुआ है| जो लैंडफिल और वहां कूड़े में लगने वाली आग एक आम घटना है| इसी तरह गुलहिफलु भी है, जो भूमि पुनर्ग्रहण परियोजना के अंतर्गत बनाया गया है| यहां विनिर्माण और औद्योगिक क्षेत्रों का विकास हो रहा है|

बढ़ते जल स्तर के बीच एक अच्छी खबर यह है कि इन कोरल द्वीपों में प्राकृतिक प्रक्रियाएं, द्वीपों को बढ़ते जल स्तर से बचने में मदद कर सकती हैं| हाल ही में किए शोधों और लैंडसेट उपग्रह से प्राप्त जानकारियों से पता चला है कि मालदीव और अन्य जगहों पर भी अधिकांश कोरल पर बने द्वीप समूह काफी वक्त से स्थिर रहे हैं| साथ ही पिछले कुछ दशकों में बड़े हो गए हैं।

यह कैसे हो रहा है इस पर अभी भी वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं पर कुछ अध्ययनों से पता चला है कि द्वीपों पर आने वाले बाढ़ और तूफान इनकी सतह पर अपतटीय तलछट को पहुंचा सकते हैं, जिससे उनकी ऊंचाई बढ़ जाती है| वहीं एक अन्य शोध के अनुसार स्वस्थ मूंगे की चट्टानें तब भी ऊपर की ओर बढ़ सकती हैं, जब समुद्र प्रचुर मात्रा में तलछट पैदा कर रहे हों|

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