क्या अब रेगिस्तान नहीं रहेगा जैसलमेर, एक दशक में बारिश ने बदली प्रवृति

देश के छह जिलों के बाद जैसलमेर में सबसे कम बारिश होती थी, लेकिन इस साल यह जिला सबसे अधिक बारिश के मामले में आठवें नंबर पर है
Jaisalmer
फाइल फोटो: सीएसई
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राजस्थान में भारी बारिश का दौर जारी है। मॉनसून सीजन में अब तक राजस्थान में सामान्य से 39 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी है। खास बात यह है कि शुष्क पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से 58 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी है। 

बारिश के सबसे चौंकाने वाले आंकड़े जैसलमेर जिले से हैं, जो पूरी तरह से थार रेगिस्तानी क्षेत्र है। जैसलमेर आठवां  ऐसा जिला है, जहां देश में सबसे अधिक बारिश हुई है, जबकि उत्तर भारत में उत्तराखंड के बागेश्वर के बाद जैसलमेर में सबसे अधिक बारिश हुई है। 

गौरतलब है कि जैसलमेर वो जिला है, जहां दक्षिण पश्चिम मानसून सीजन में कारगिल, लेह लद्दाख और तमिलनाडु के चार अर्धशुष्क जिलों को छोड़कर सबसे कम बारिश होती है। दक्षिण पश्चिम मानसून सीजन में कारगिल में 10.4 मिमी, लेह-लद्दाख में 26 मिमी, तमिलनाडु के टूटीकोरिन में 67.3 मिमी, तिरुनेलवेली में 92.5 मिमी, रामनाथपुरम में 132.1 मिमी, टेनकासी में 172.7 मिमी सामान्य बारिश होती है। इसके बाद जैसलमेर का नंबर आता है, जहां का सामान्य बारिश का आंकड़ा 176.9 मिमी होती है।  

जैसलमेर में एक जून से लेकर 11 अगस्त 2024 तक सामान्य से 134 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। देश में सबसे अधिक बारिश तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में 406 प्रतिशत हुई है। देश में दूसरे नंबर पर साउथ वेस्ट खासी हिल्स (256%), तीसरे नंबर पर बागेश्वर (177%), चौथे पर पुडुचेरी (162%), पांचवे पर देवभूमि द्वारका (161%), छठे पर विलुपुरम व विरुदु नगर में 145 व आठवें नंबर पर जैसलमेर है। 

एक जून से 11 अगस्त तक जैसलमेर में 110.8 मिलीमीटर सामान्य बारिश होती है, लेकिन इस साल 259.9 मिमी हो चुकी है। अगर पूरे मानसून सीजन की बात करें तो जैसलमेर में सामान्य स्थिति में 176.9  मिमी बारिश होती है। इसका मतलब है कि अब तक जैसलमेर में पूरे मानसून सीजन के मुकाबले 68 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी है। बारिश इतनी ज्यादा हुई है कि जैसलमेर की पहचान माने जाने वाले सोनार किले की दीवार तक ढह गई। 

अगर पूरे साल की बारिश की बात करें तो जैसलमेर में साल भर की औसत बारिश की बात करें तो यहां थार रेगिस्तान के अन्य जिलों के मुकाबले सबसे कम 182 मिमी बारिश होती है। यानी कि 1 जून से लेकर 11 अगस्त के बीच हुई बारिश साल भर की बारिश से 70 फीसदी अधिक हो चुकी है। 

राजस्थान के चार जिलों को लगभग 1,19,886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को थार रेगिस्तान (जिसे द ग्रेट इंडियन डेजर्ट भी कहा जाता है) में गिना जाता है। इन चार जिलों में से लगभग एक तिहाई यानी 32 प्रतिशत क्षेत्र केवल जैसलमेर में है। इसके अलावा 19 फीसदी जोधपुर, 24 फीसदी बाड़मेर व 25 फीसदी क्षेत्र बीकानेर में फैला है। 

दरअसल जैसलमेर न केवल थार रेगिस्तान के लिए जाना जाता है, बल्कि कुछ सालों पहले तक जैसलमेर अपने सूखे के लिए जाना जाता था। जनवरी 2024 में प्रकाशित एक अध्ययन में राजस्थान के जिलों में 1901 से 2019 के बीच सूखे का विश्लेषण किया गया। अध्ययन के मुताबिक जैसलमेर में सबसे अधिक 35 बार सूखा पड़ा। उसके बाद जालोर में 29, बाड़मेर में 27, सिरोही, पाली, जोधपुर, जालोर, जैसलमेर और बाड़मेर में 20 से ज्यादा, नागौर, हनुमानगढ़, चूरू और बीकानेर में 1901-2019 की अवधि के दौरान 19 सूखे आए।

लेकिन पिछले कुछ सालों में सूखे जिलों में इतनी बारिश होने लगी है कि बाढ़ आ जाती है। सबसे अधिक बदलाव जैसलमेर में देखने को मिल रहा है। साल 2015 से यह बदलाव लगभग हर साल दिख रहा है। 2015 में जैसलमेर में सामान्य से 90 फीसदी अधिक बारिश हुई थी। उस समय जैसलमेर में मानसून सीजन की सामान्य बारिश 158.4 मिमी मानी जाती थी, लेकिन उस साल 301.5 मिमी बारिश हुई थी। 

2016 में जैसलमेर में सामान्य से 12 फीसदी कम बारिश हुई। इस साल 158.4 मिमी के मुकाबले 138.9 मिमी बारिश हुई। 

लेकिन एक बार फिर 2017 में जैसलमेर में सामान्य से 43 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। हालांकि इस साल इस साल 158.4 मिमी के मुकाबले 226.1 मिमी बारिश हुई। हालांकि इस साल पूरे पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से अधिक (39%) बारिश हुई। खासकर जालौर में सामान्य  126%, बाड़मेर में 91% और पाली में 76% बारिश हुई। यही साल था, जब मरू भूमि राजस्थान के कई इलाकों में पहली बार लोगों ने बाढ़ का सामना किया। डाउन टू अर्थ ने इस अप्रत्याशित घटना को कवर भी किया था। यह रिपोर्ट पढ़ें

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 साल 2018 में जैसलमेर में सामान्य से 30 फीसदी कम बारिश हुई। जबकि साल 2019 में मॉनसून सीजन में पश्चिमी राजस्थान के मुकाबले पूर्वी राजस्थान में ज्यादा बारिश हुई। फिर भी जालौर में सामान्य से (33%), पाली में (54%), नागौर में (52%), जोधपुर में (45%) अधिक बारिश हुई। हालांकि इस साल जैसलमेर में सामान्य बारिश हुई। 

साल 2020 में एक बार फिर पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से अधिक बारिश हुई और जैसलमेर में 55 फीसदी अधिक बारिश हुई। जैसलमेर पश्चिमी राजस्थान का जोधपुर के बाद दूसरा ऐसा जिला रहा, जहां सबसे अधिक बारिश हुई। यहां मानसून सीजन में 252 मिमी बारिश हुई, जबकि मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक इस साल सामान्य बारिश का आंकड़ा 162.1 मिमी था। 

दीर्घकालिक अवधि में 12 फीसदी का उछाल 

आईएमडी ने साल 2020 में सामान्य यानी दीर्घकालिक अवधि में बदलाव किया गया था। जहां पहले 1961 से 2010 के दौरान हुई बारिश के औसत को सामान्य माना जाता था, लेकिन 2020 में 1971 से 2020 के दौरान हुई बारिश के औसत का सामान्य बारिश माना गया। जैसलमेर में पिछले कुछ सालों में बारिश बढ़ने की वजह से सामान्य बारिश का आंकड़ा 158.4 मिमी से बढ़ा कर 162.1 कर दिया गया। 

साल 2021 में भी जैसलमेर में ज्यादा बारिश का सिलसिला जारी रहा। इस साल मानसून सीजन में 273.5 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य (162.1 मिमी) से 69 फीसदी अधिक रहा। 

साल 2022 में जैसलमेर में और ज्यादा बारिश हुई। इस साल मानसून सीजन में 346.7 मिमी बारिश हुई। हालांकि मौसम विज्ञान केंद्र, जयपुर की रिपोर्ट के मुताबिक इस सीजन की सामान्य बारिश का आंकड़ा 176.9 मिमी बताया गया है। इस हिसाब से जैसलमेर में लगभग दोगुणा ( सामान्य से 96 फीसदी) अधिक बारिश हुई। यानी कि जैसलमेर जिले में एक दशक के दौरान औसत में लगभग 12 फीसदी का उछाल आया। 

आईएमडी, राजस्थान के मुखिया आरएस शर्मा ने डाउन टू अर्थ को बताया कि हर दस साल में दीर्घकालिक अवधि यानी सामान्य बारिश का आंकड़ों में बदलाव किया जाता है। साल 2020 में भी राजस्थान में बारिश के आंकड़ों में बदलाव तो हुआ था, लेकिन आंकड़ों का व्यापक विश्लेषण के बाद 2022 में नए दीर्घकालिक अवधि के नए आंकड़े जारी किए गए। ऐसा राजस्थान के सभी जिलों में किया गया। 

साल 2023 में भी पश्चिमी राजस्थान में 42 फीसदी अधिक बारिश हुई थी, लेकिन जैसलमेर में सामान्य के आसपास ही बारिश हुई। इस साल जैसलमेर में 202.6 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य (176.9 मिमी) से 15 फीसदी अधिक थी।

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