क्या आने वाले सालों में पूरी तरह गायब हो जाएगा केला?

एक ताजा रिपोर्ट में केले की फसल को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है

दुनिया का सबसे लोकप्रिय फल है केला और भोजन के रूप में इस्तेमाल होने वाली चौथी सबसे महत्वपूर्ण फसल भी है। लगभग 40 करोड़ लोग अपने भोजन के लिए केलों पर निर्भर रहते हैं। इससे उन्हें रोजाना मिलने वाली कुल कैलोरी का 15 से 27 प्रतिशत तक प्राप्त होता है। लेकिन यही केले अब खतरे में हैं।

क्रिश्चियन एड द्वारा जारी एक एक रिपोर्ट में गंभीर चेतावनी जारी की गई है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से वैश्विक स्तर पर केले के उत्पादन को गंभीर रूप से नुकसान पहुंच सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2080 तक लैटिन अमेरिका में केले के उतपादन के लिए उपयुक्त भूमि में 60 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है।

यही नहीं भारत और ब्राजील जैसे देशों में जलवायु परिवर्तन के कारण 2050 तक केले की उपज में गिरावट देखी जा सकती है और कोलंबिया तथा कोस्टा रिका जैसे प्रमुख निर्यातक देश भी इससे प्रभावित होंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन घातक फफूंदजनित रोगों के प्रसार को भी बढ़ावा दे रहा है।

जैसे - ब्लैक लीफ फंगस केले के पौधों की प्रकाश संश्लेषण की क्षमता को 80% तक घटा सकता है और यह नम वातावरण में पनपता है, जिससे असमान वर्षा और बाढ़ की वजह से केले का उत्पादन खतरे में पड़ जाता है।

एक और फफूंदजन्य बीमारी, पैनामा रोग, या जिसे फ्यूजेरियम ट्रॉपिकल रेस 4 के नाम से जाना जाता है भी दुनिया भर में फैल रहा है। यह मिट्टी के माध्यम से फैलता है। रिपोर्ट के अनुसार, एक बार मिट्टी में संक्रमण हो जाने के बाद वहां कैवेंडिश किस्म के केले नहीं उगाए जा सकते।

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