पृथ्‍वी के सबसे सूखे इलाके में बाढ़ और बर्फबारी के मायने

चिली के अटाकामा रेगिस् तान में अभूतपूर्व बारिश हो रही है। हालांकि ये अकेला ऐसा क्षेत्र नहीं है जो इतिहास में पहली बार इतनी तेज बारिश का गवाह बना हो
Credit: Sebastián Betancourt/ flickr
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पृथ्‍वी के सबसे सूखे इलाके अटाकामा रेगिस्‍तान में पिछले हफ्ते इतनी जोरदार बारिश हुई कि 10 वर्षों से सूखा पड़ा झरना फिर से जीवंत हो उठा। 

अटाकामा रेगिस्‍तान सहित चिली के अन्‍य क्षेत्रों में तेज बारिश के कारण बाढ़ आ गई है। इस रेगिस्‍तान का भूगोल पास्थितिकीय रूप से सघन है। यहां की एंडीज पर्वतमाला बादलों को इस क्षेत्र में आने से रोकती है जबकि प्रशांत महासागर की ठंडक से इस क्षेत्र की हवा में नमी नहीं बन पाती जो इस रेगिस्‍तान को जलवाष्‍प से घेर सके।

इस क्षेत्र में पूरे वर्ष 15 मिलीमीटर (मिमी.) वर्षा होती है। केवल अल नीलो के दौरान महासागर की तरंगों के गर्म होने के कारण यहां बारिश होती है। ऐसा दो से 12 वर्ष में एक बार होता है जिसके बीच में पांच वर्ष का अंतर होता है। हालांकि पिछले तीन वर्षों से इस रेगिस्‍तान में न सिर्फ बारिश हो रही है बल्कि बर्फ भी गिर रही है।  

जलवायु विज्ञानी अब इस क्षेत्र की ओर रुख कर रहे हैं। विशेष परिस्थिति डेजिएर्टो फ्लोरिडो  के बार-बार होने से हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन के लक्षण अधिक स्‍पष्‍ट हो गए हैं।

डेजिएर्टो फ्लोरिडो या गुलजार रेगिस्‍तान चिली के अटाकामा रेगिस्‍तान में 2017 में नजर आया जो इसके सामान्‍य समय से चार वर्ष पहले है। 127,000 वर्ग किमी. में फैले इस रेगिस्‍तान में पांच वर्ष में एक बारडेजिएर्टो फ्लोरिडो नजर आता है, जिस दौरान इस रेगिस्‍तान में फूलों की 200 से अधिक प्रजातियां दिखाई देती हैं। 

मंगल ग्रह पर बनी लगभग सभी फिल्‍मों के लिए उपयुक्‍त जगह के रूप में मशहूर यह शुष्‍क स्‍थान इस दौरान रंगों से भरी दुनिया में बदल जाता है। यह माना जाता है कि डेजिएर्टो फ्लोरिडो के दौरान यहां इतने लोग आते हैं जितने फुटबॉल के अहम मैच में भी नहीं आते होंगे। यहां आने वाले लोगों ने प्रकृति की अद्भुत शक्ति से अपने को जुड़ा हुआ पाया है।

इस माह जब डेजिएर्टो फ्लोरिडो अटाकामा में लौटा तो यह अपने पांच-सात वर्ष के सामान्‍य समय से पहले था।

अप्रत्‍याशित बारिश के कारण फूलों का मौसम जल्‍दी आ गया है जिससे इस जगह को मिले पृथ्‍वी के सबसे शुष्‍क क्षेत्र के खिताब को थोड़ा धक्‍का लगा है। केवल दो वर्ष पहले ही इस रेगिस्‍तान ने फूलों का मौसम देखा था। 

आमतौर पर ऐसी कठोर जगहों से मानव अस्तित्‍व से संबंधित प्रमाण एकत्र करने वाले सैकड़ों भूगोलशास्त्रियों और जलवायु विशेषज्ञों के सामने कई सवाल खड़े हो गए हैं। सदमे में आए कई वैज्ञानिकों सवाल कर रहे हैं कि यह समय से पहले कैसे हो गया?  क्‍याडेजिएर्टो फ्लोरिडो  के बार-बार होने से इस रेगिस्‍तान की पारिस्थितिकी में बदलाव हो जाएगा? या यह अचानक हुई घटना मात्र है?

अटाकामा में चिली का सबसे उत्‍तरी शहर तथा पेरू की सीमा से केवल 18 किमी. दूर स्थित एरिका को दुनिया में सबसे कम वर्षा वाले क्षेत्र होने का दर्जा हासिल है। इस शहर के नाम सबसे लंबी अवधि तक वर्षा न होने का रिकॉर्ड दर्ज है। 20वीं सदी की शुरुआत में यहां लगातार साढ़े चौदह वर्ष तक बारिश नहीं हुई थी।

एंटोफगास्‍टा शहर में पूरे वर्ष केवल 1.8 मिमी. बारिश होती है। इस इलाके में मौसम का पता लगाने वाले केंद्रों का व्‍यापक नेटवर्क है लेकिन कई केंद्रों ने कोई वर्षा दर्ज नहीं की। भौगोलिक अध्‍ययन बताते हैं कि वर्ष 1570 से 1971 के बीच यहां बारिश नहीं हुई है।

यह रेगिस्‍तान ऊंचाई पर स्थित है इसलिए यहां दिन में भी ठंडक का अहसास होता है। लेकिन इसकी पारिस्थितिकी में पानी की गैरमौजूदगी के कारण इन ऊंचे पहाड़ों में कोई भी ग्‍लेशियर नहीं है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों का कहना है कि यहां की कुछ नदियां 120,000 वर्ष से अधिक समय से सूखी पड़ी हैं।

मई 2017 में इस क्षेत्र में मूसलाधार बारिश हुई जो लगभग एक महीने तक चलती रही। चिली की मिनिस्‍ट्री ऑफ इंटीरियर एंड पब्लिक सिक्‍योरिटी के राष्‍ट्रीय आपातकालीन कार्यालय ने इस इलाके में रेड अलर्ट जारी किया था। इस क्षेत्र के डिएगो डि अलमार्गो नगरों में सलाडो नदी के कारण बाढ़ आ गई थी, पर्यटक फंस गए थे और नजदीकी शहरों को बंद कर दिया गया था।

यद्यपि सरकार नवंबर 2017 में हुई बारिश का माप रही थी, तथापि कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह बारिश औसत वार्षिक वर्षा के 700 प्रतिशत से भी अधिक थी और कई क्षेत्रों में तो यह 1,000 प्रतिशत से अधिक थी। इससे सूखे से प्रभावित क्षेत्र गुलजार नजर आने लगा।

अटाकामा फूलों के पिछले मौसमों में खिले मेलो फूलों के दबे हुए बीजों का खजाना है। इन सभी बीजों को एक ही बार में जीवन मिल गया। बाद में 21वीं सदी में ऐसा मौसम अटाकामा के जीवन का हिस्‍सा बन गया।

24 मार्च 2015 को इस रेगिस्‍तान के कुछ हिस्‍सों में एक दिन में 2.4 सेंटीमीटर (सेंमी.) या 14 वर्षों के बराबर वर्षा दर्ज की गई। एंटोफगास्‍टा में केवल 12 घंटों में 2.2 सेंमी. या इस क्षेत्र की एक वर्ष की बारिश के बराबर वर्षा हुई। आमतौर पर सूखी रहने वाली कोपिआपो नदी में बाढ़ आ गई थी। राहत और बचाव कार्यों में सहायता के लिए चिली ने इसे राष्‍ट्रीय आपदा घोषित किया था।  

मई 2017 में हुई बारिश की विपरीत यह अप्रत्‍याशित बारिश अल नीनो के कारण हुई थी। आमतौर पर डेजिएर्टो फ्लोरिडो इस घटना के साथ-साथ ही होता है।

डिप्टी इंटीरियर मिनिस्‍टर महमूद एलिये कहते हैं कि यह बाढ़ पिछले 80 वर्षों में उत्‍तरी चिली में वर्षा के कारण आई सबसे भीषण आपदा है। अक्‍टूबर में इस क्षेत्र में बसंत आ गया जो पांच-सात वर्ष के चक्र का आखिरी बसंत था। इसे 18 वर्षों में सबसे सुंदर होने का दर्जा दिया गया था।  

जुलाई, 2011 में अटाकामा में एक अन्‍य असामान्‍य घटना घटी। वह थी बर्फबारी। चिली की सरकार के अनुसार, इस रेगिस्‍तानी इलाके में 30 सेंमी बर्फ‍ गिरी जो पिछले 20 वर्षों में कभी नहीं देखी गई।

नासा ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “आमतौर पर, दक्षिण अमेरिका के अटाकामा रेगिस्‍तान की सफेदी का कारण नमक की क्‍यारियां होती हैं। लेकिन 7 जुलाई 2011 में जब नासा की टेरा सेटेलाइट पर मॉडरेट रेजोल्‍यूशन इमेजिंग स्‍पेक्‍ट्रोडायोमीटर (एमओडीआईएस) ने ये तस्‍वीरें लीं तो वह सफेदी एक दुर्लभ चीज के कारण थी और वह चीज थी बर्फ।”

अगस्‍त 2013 में यहां के निवासियों ने फिर से बर्फबारी देखी जो तीन दशकों में सबसे भयावह  थी। चूंकि ऊंचाई पर होने के बावजूद लोगों ने कभी बर्फ नहीं देखी थी, इसलिए बार-बार बर्फबारी के बाद बर्फ पिघलने से उन्‍हें बाढ़ का खतरा सताने लगा।

वैज्ञानिक रूप से तथा आंकड़ों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखने के लिए अटाकामा नए स्‍थान के रूप में उभरा है। अटाकामा बायोटेक के संस्‍थापक और सीईओ अर्माडो अजुआ-बुसटोस ने मीडिया से बातचीत में कहा, “अटाकामा इतना शुष्‍क है कि जब मैं छोटा था तो अपनी चादर से हाथ रगड़ कर इतनी रोशनी कर लेता था कि रात में पढ़ाई कर सकूं।”

अर्मांडो अब परीक्षणों का बढ़ावा दे रहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह क्षेत्र नए विरोधी वातावरण को किस तरह अपना रहा है जिसमें जलवायु परिवर्तन का अपनाने के संकेत छुपे हैं। वैज्ञानिकों ने बताया है कि अटाकामा में जलवायु परिवर्तन काफी विषम है जिसके कारण यह स्थिति पैदा हो रही है।

पृथ्‍वी के इस अलग-थलग पड़े इलाके के निवासियों ने जलवायु परिवर्तन को पहले ही समझ लिया है। लेकिन वे अकेले नहीं हैं। मौसम के साथ उनका “अभूतपूर्व अनुभव” केवल एक दुर्घटना नहीं है बल्कि यह पृथ्‍वी में हो रहे परिवर्तनों के कारण है जो पूरे विश्‍व को अपनी चपेट में ले रहा है।

और इस परिवर्तन से मौसम में अत्‍यधिक बदलाव हो रहे हैं जो आमतौर पर अलग-अलग क्षेत्रों में, भौगोलिक और जनसांख्यिकीय रूप से अलग-अलग हैं। इन घटनाओं से स्‍पष्‍ट है कि आगे आने वाले समय में हम सभी इस खतरनाक मौसमी घटनाओं से प्रभावित होने वाले हैं।

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