वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की 50वीं वार्षिक बैठक में पर्यावरण, विज्ञान व अन्य क्षेत्रों में शानदार काम करने वाले दुनियाभर के करीब 3000 हजार लोग शामिल होंगे। इस मंच से वे अपना अनुभव साझा करेंगे।
इन तीन हजार लोगों में ग्रेटा थनबर्ग, ऑटम पेल्टियर, मेलाती विजसन समेत कई लोग शिरकत कर रहे हैं। भारत की तरफ से इसमें अपनी बात रखने के लिए 41 वर्षीया कृति करंथ को आमंत्रित किया गया है। मुख्यधारा की मीडिया में कृति करंथ का नाम शायद ही आया है, इसलिए लोगों में एक कौतूहल है कि आखिर ये हैं कौन। लेकिन, इंसानों और जंगली जानवरों के बीच होने वाली हिंसक झड़पों को लेकर काम करने वाले लोग कृति से भली प्रकार परिचित हैं।
3 मार्च 1979 में जन्मी कृति करंथ बंगलुरू की जानी-मानी कंजर्वेशन बायोलॉजिस्ट हैं। उनके पिता के. उल्लास करंथ मशहूर कंजर्वेशन जूलॉजिस्ट हैं। बचपन में कृति बायोलॉजिस्ट नहीं बनना चाहती थीं, लेकिन ये जरूर था कि पिता जूलॉजिस्ट थे, तो वन्यजीवों को बहुत करीब से देखा। बाद में उन्होंने पर्यावरण विज्ञान में स्नातक किया। फिर येल यूनिवर्सिटी से पर्यावरण विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री ली। इसके अलावा ड्यूक यूनिवर्सिटी और कोलम्बिया यूनिवर्सिटी से भी डिग्रियां हासिल कीं। इस तरह पर्यावरण की पढ़ाई करते हुए उनका रुझान वन्यजीवों की तरफ बढ़ने लगा। वह फिलहाल सेंटर फॉर वाइल्डलाइफ स्टडीज की एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर हैं।
कृति साल 2001 से मानव-वन्यजीवों के बीच बढ़ते मुठभेड़ पर काम कर रही हैं और उनकी कोशिश इस मुठभेड़ को कम करना है। वह अब तक कम से कम 25 प्रोजेक्ट पर काम कर चुकी हैं। कृति वन्यजीवों से लोगों को होनेवाले नुकसान का मुआवजा दिलाने में भी मदद करती हैं। ये काम वह 2015 से लगातार कर रही हैं। बताया जाता है कि अब तक वह 10 हजार लोगों को वन्यजीवों से हुए नुकसान का मुआवजा दिलवा चुकी हैं।
एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि उनकी टीम ने लोगों को अपना नंबर दे रखा है। वन्यजीवों से किसी तरह का नुकसान होने पर लोग टीम से संपर्क करते है। टीम उन तक पहुंचती है और उनके सारे दस्तावेज दुरुस्त करती है, ताकि मुआवजा तुरंत मिल जाए। ये उनकी टीम का प्रयास ही है कि पहले वन्यजीवों से नुकसान का मुआवजा मिलने में 6 महीने गुजर जाते थे, वो मुआवजा अब 30 से 60 दिनों के भीतर मिल जाता है।
कृति को अब तक कई सम्मान मिल चुका है। नेशनल जियोग्राफिक सोसाइटी ने साल 2011 में कृति करंथ को 10000वां गारंटी बनाया। साल 2012 में फैमिना ने उन्हें इंडियन पावर वुमेन का खिताब दिया तो साल 2013 में एले इंडिया ने उन्हें वुमेन ऑफ इयर सम्मान से नवाजा।