जीवित रहने के लिए हम झेल सकते हैं कितनी गर्मी, शोधकर्ताओं ने लगाया पता

मनुष्य के अस्तित्व के लिए वेट-बल्ब तापमान सीमा तापमान और आर्द्रता के अधिकतम मिश्रण की ओर इशारा करती है, जिसे मनुष्य एक निश्चित अवधि के दौरान हीट स्ट्रोक से पीड़ित हुए बिना सहन कर सकता है।
फोटो: आईस्टॉक
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संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के शहर दुबई में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता (कॉप-28) की शुरुआत हो चुकी है। यहां दुनिया भर के नेता, व्यावसायिक, वैज्ञानिक और पर्यावरण से जुड़े लोग पहले ग्लोबल स्टॉकटेक (जीएसटी) पेरिस समझौते को अपनाने के बाद से हुई प्रगति के व्यापक मूल्यांकन पर चर्चा करेंगे। इससे जलवायु कार्रवाई पर प्रयासों को संरेखित करने में मदद मिलेगी, जिसमें प्रगति में कमी को दूर करने के लिए आवश्यक उपाय किए जाने भी शामिल हैं।

जहां, इस साल रिकॉर्ड-तोड़ गर्मी ने धरती में भविष्य में रहने के लिए चिंताजनक बना दिया है। दुनिया भर को खतरे में डालने वाली भयंकर गर्मी के प्रकोप ने सबसे कमजोर आबादी में रहने वाले लोगों की होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है। 

अत्यधिक गर्मी के कारण दुनिया भर में कई लोग प्रभावित होते हैं। अत्यधिक गर्मी इस साल दुनिया भर में खबरों में बनी हुई है, जिसमें नवंबर का महीना भी शामिल है जब ब्राजील में टेलर स्विफ्ट कॉन्सर्ट में एक 23 वर्षीय महिला की कार्डियोरेस्पिरेटरी अरेस्ट से मौत हो गई, जहां उस दिन गर्मी का सूचकांक 120 डिग्री से अधिक था।

शोध के हवाले से, एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी में एसोसिएट प्रोफेसर जेनिफर वैनोस ने अत्यधिक गर्मी और इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले बुरे प्रभावों का अध्ययन किया है। उनका यह शोध नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुआ है

शोध में कहा गया है कि, मनुष्य के जीवित रहने के लिए उपयोग की जाने वाली वर्तमान अनुमानित ऊपरी तापमान और आर्द्रता सीमाएं लोगों के स्वास्थ्य पर गर्म होती धरती के प्रभावों की सटीक तस्वीर पेश नहीं कर सकती हैं।

शोध के हवाले से, जूली एन रिगली ग्लोबल फ्यूचर्स लेबोरेटरी की वैज्ञानिक वैनोस ने कहा कि, पिछले एक दशक से हम 35 डिग्री सेल्सियस 'वेट बल्ब तापमान' को मनुष्य के जीवित रहने की सीमा के रूप में उपयोग कर रहे हैं।

मनुष्य के अस्तित्व के लिए वेट-बल्ब तापमान सीमा तापमान और आर्द्रता के अधिकतम मिश्रण की ओर इशारा करती है, जिसे मनुष्य एक निश्चित अवधि के दौरान हीट स्ट्रोक से पीड़ित हुए बिना सहन कर सकता है।

वैनोस ने कहा, बात यह है कि, आप गर्मी के उस स्तर पर छह घंटे तक जीवित रह सकते हैं। यह संख्या वास्तव में यह बताती है कि, जब आपका शरीर उस तापमान के संपर्क में आता है तो शरीर में शारीरिक रूप से क्या होता है और यह उम्र या अन्य कमजोर कारणों जैसे अहम बदलावों को ध्यान में नहीं रखता है।

वैनोस ने कहा कि मनुष्य के जीवित रहने के लिए आम तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला वेट-बल्ब तापमान यह मानता है कि व्यक्ति घर के अंदर है या छायादार जगह पर है, बिना कपड़े पहने है, पूरी तरह से गतिहीन है, पूरी तरह से गर्मी के अनुकूल है और औसत आकार का है।

अधिकांश मामलों में, ये धारणाएं इस बात से मेल नहीं खाती हैं कि लोग गर्मी के मौसम में कैसे रहते हैं। मॉडल परिदृश्य जो आर्द्रता, आयु, गतिविधि स्तर और धूप के खतरों जैसे कारणों को आपस में जोड़ता है, जो विशेषताओं की एक श्रेणी के आधार पर सुरक्षित तापमान की एक श्रृंखला प्रदान करते हैं।

वैनोस ने कहा, हम न केवल उन परिस्थितियों को बेहतर ढंग से समझना चाहते थे जिनमें लोग जीवित रह सकते थे। हम उन परिस्थितियों को समझना चाहते थे जो लोगों को अपना जीवन जीने में मदद करती हैं। यदि किसी क्षेत्र में रहने का एकमात्र सुरक्षित तरीका पूरी तरह से गतिहीन होना है, तो लोग वहां नहीं रहना चाहेंगे। बाहर समय बिताने और अपना जीवन जीने में सक्षम होना कोर तापमान में निरंतर वृद्धि देखे बिना, समझने के लिए और जैसे-जैसे हम भविष्य में आगे बढ़ रहे हैं, वास्तव में एक महत्वपूर्ण मीट्रिक है।

यह शोध, जलवायु वैज्ञानिकों और शरीर विज्ञानियों ने मिलकर आयोजित किया था, वैनोस ने कहा कि यह सहयोग गर्मी और मनुष्य के स्वास्थ्य से जुडी प्रकृति को समझने में महत्वपूर्ण है। सिडनी विश्वविद्यालय में हीट एंड हेल्थ रिसर्च इनक्यूबेटर के प्रोफेसर और निदेशक ओली जे ने कहा कि, हमारा दृष्टिकोण इस बात को समझने में मदद करता हैं कि, जलवायु में होने वाले बदलाव शारीरिक और जैव-भौतिकीय स्तर पर लोगों को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।

शोधकर्ता जे ने कहा कि, मौजूदा वेट-बल्ब तापमान अनुमान में 35 डिग्री सेल्सियस का उपयोग आमतौर पर किया जाता है, जिसका एक उदाहरण जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल की रिपोर्ट है। इस प्रकार की रिपोर्टें नीतिगत प्रयासों को आकार दे सकती हैं, लेकिन वे गर्मी के लिए एक मॉडल का उपयोग कर रहे हैं जो कि मनुष्यों पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है, इसका एक बहुत ही सामान्य अनुमान है।

यदि हम अधिक यथार्थवादी, मानव-आधारित मॉडल का उपयोग करना शुरू करते हैं, तो प्रभाव अधिक गंभीर होते जाएंगे। वे अधिक व्यापक होने जा रहे हैं और वे जितना हम अनुमान लगा रहे हैं उससे कहीं जल्दी घटित होने वाले हैं।

वैनोस और जे इस बात से सहमत हैं कि शोध में प्रदान की गई उत्तरजीविता सीमाएं भविष्य में एक महत्वपूर्ण झलक दे सकती हैं, जिसमें शीतलन या ठंडा करने के बुनियादी ढांचे की बढ़ती आवश्यकता, गर्मी से संरक्षण के लिए एक व्यक्तिगत दृष्टिकोण और संभावित गर्मी के कारण होने वाला प्रवासन शामिल है।

वानोस ने कहा, उन्हें उम्मीद है कि लोग इन निष्कर्षों से सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक को समझेंगे, वह यह है कि, ऐसी स्थितियां जो एक व्यक्ति के लिए जीवित रहने योग्य हैं। जो एक बहुत ही स्वस्थ युवा वयस्क है, उसे किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा बहुत अलग तरह से अनुभव किया जा सकता है जो सह-रुग्णता से ग्रस्त है या डॉक्टर की सलाह पर दवा ले रहा है।

जैसे-जैसे हम अत्यधिक गर्मी की परिस्थिति में आगे बढ़ रहे हैं, हमें लोगों को उन उपकरणों को देने की जरूरत पड़ेगी जिनकी उन्हें जीवित रहने योग्य दिनों को जीवित रहने योग्य बनाने के लिए आवश्यकता पड़ेगी।

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