तापमान को 1.5 डिग्री पर सीमित करने के लिए हर साल वायुमंडल से नौ अरब टन सीओ2 को करना होगा कम : रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में, स्टेट ऑफ कार्बन डाइऑक्साइड रिमूवल (सीडीआर) द्वारा हर साल मात्र दो अरब टन कार्बन हटाया जा रहा है, जो कि अधिकतर वृक्षारोपण जैसे पारंपरिक तरीकों के माध्यम से है।
यदि भारी मात्रा में उत्सर्जन कटौती में देरी की गई तो भविष्य में इसे कम करने की जरूरत और अधिक बढ़ जाएगी।
यदि भारी मात्रा में उत्सर्जन कटौती में देरी की गई तो भविष्य में इसे कम करने की जरूरत और अधिक बढ़ जाएगी। फोटो: आईस्टॉक

स्टेट ऑफ कार्बन डाइऑक्साइड रिमूवल (सीडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर दुनिया को 1.5 डिग्री सेल्सियस यानी पेरिस समझौते की सीमा का पालन करना है, तो सदी के मध्य तक वातावरण से सात से नौ अरब टन सीओ2 को हटाना होगा।

शोध रिपोर्ट की अगुवाई ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के स्मिथ स्कूल ऑफ एंटरप्राइज एंड एनवायरनमेंट द्वारा किया गया है। रिपोर्ट 50 से अधिक अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के वैज्ञानिक मूल्यांकन के आधार पर तैयार की गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्बन हटाने की तकनीकों को बढ़ाते समय, लोगों को भविष्य की खाद्य सुरक्षाजैव विविधता, साफ पीने के पानी की आपूर्ति और स्वदेशी लोगों के लिए सुरक्षित आवास जैसे अन्य लक्ष्यों को खतरे में डालने से बचना चाहिए। इसलिए शोधकर्ताओं ने अपने विश्लेषण में स्थिरता मानदंड को शामिल किया है, जो पेरिस समझौते से संबंधित स्टेट ऑफ कार्बन डाइऑक्साइड रिमूवल (सीडीआर) सीमा के लिए अंतिम आंकड़ों के रूप में देखा जा सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में, सीडीआर द्वारा हर साल मात्र दो अरब टन कार्बन हटाया जा रहा है, जो कि अधिकतर वृक्षारोपण जैसे पारंपरिक तरीकों के माध्यम से है। नए सीडीआर विधियां - जैसे कि बायोचार, उन्नत रॉक अपक्षय, कार्बन कैप्चर और भंडारण के साथ बायोएनर्जी की मदद से हर साल मात्र 13 लाख टन तक हटाया जा रहा है, जो कि पूरे का 0.1 फीसदी से भी कम है। स्थायी विधियां हर साल केवल छह लाख टन तक हटाने के लिए जिम्मेदार हैं, जो कि पुरे का 0.05 फीसदी से भी कम है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जन जागरूकता और स्टार्ट-अप कंपनियों में तेजी से वृद्धि हुई है, लेकिन अब कई संकेतों में विकास में मंदी के संकेत दिख रहे हैं। शोध, आविष्कार और स्टार्ट-अप में निवेश कार्बन को कम करने की विधियों में विविधता दर्शाते हैं, लेकिन वर्तमान के कार्यक्रम और भविष्य में कार्यान्वयन के लिए सरकारी प्रस्ताव, मुख्य रूप से वानिकी के माध्यम से, पारंपरिक तौर पर कार्बन हटाने पर अधिक निर्भर हैं।

रिपोर्ट के हवाले से शोधकर्ता ने कहा, क्योंकि दुनिया का डीकार्बोनाइजेशन पेरिस तापमान के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सही दिशा में नहीं है, इसलिए सीडीआर के साथ-साथ सभी स्तरों पर शून्य-उत्सर्जन समाधानों में निवेश बढ़ाने की जरूरत है।

जलवायु-तकनीक स्टार्ट-अप में कुल निवेश में से केवल 1.1 फीसदी कार्बन हटाने के लिए है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मुद्दे में शामिल कंपनियों की महत्वाकांक्षाएं बहुत अधिक हैं, जो एक साथ मिलकर सीडीआर को पेरिस समझौते के अनुरूप तक ले जाएंगी। हालांकि इन महत्वाकांक्षाओं की वर्तमान में बहुत कम विश्वसनीयता है और वे वर्तमान में मौजूद नीतियों के मुकाबले कहीं अधिक मजबूत नीतियों पर निर्भर हैं।

रिपोर्ट के हवाले से शोधकर्ता ने आगे जोड़ा कि अब सरकारों को सी.डी.आर. को स्थायी रूप से बढ़ाने के लिए परिस्थितियां बनाने में निर्णायक भूमिका निभानी होगी।

रिपोर्ट में सरकारों से ऐसी नीतियों को लागू करने का आग्रह किया गया है जिससे कार्बन हटाने की मांग बढ़ेगी। इसमें देशों के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के तहत जलवायु कार्रवाई योजना) के भीतर सीडीआर नीतियों को शामिल करना और बेहतर निगरानी, ​​रिपोर्टिंग और सत्यापन प्रणाली विकसित करना शामिल होना चाहिए।

रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में, सीडीआर की अधिकांश मांग कार्बन हटाने के क्रेडिट खरीदने के लिए कंपनियों की स्वैच्छिक संकल्पों से आ रही है।

रिपोर्ट के हवाले से शोधकर्ता ने कहा कि यह स्पष्ट है कि यदि भारी मात्रा में उत्सर्जन कटौती में देरी की गई तो भविष्य में इसे कम करने की जरूरत और अधिक बढ़ जाएगी। लेकिन जितनी अधिक देरी होगी, उतनी ही सीमित भूमिका टिकाऊ सीडीआर निभा सकता है।

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