गर्मियों में पानी की किल्लत से बचने के लिए हिमाचल के युवा तैयार कर रहे हैं कृत्रिम ग्लेशियर

हिमाचल में इस बार सूखे का असर देखने को मिल रहा है और प्रदेश में अभी तक बारिश और बर्फबारी देखने को नहीं मिली है
हिमाचल प्रदेश के कबाइली जिले में हांगो गांव के युवाओं द्वारा तैयार किया जा रहा कृत्रिम ग्लेशियर। फोटो : रोहित पराशर
हिमाचल प्रदेश के कबाइली जिले में हांगो गांव के युवाओं द्वारा तैयार किया जा रहा कृत्रिम ग्लेशियर। फोटो : रोहित पराशर
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पर्यावरण की दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्र ट्रांस हिमालय के कबाइली युवाओं ने गर्मियों में पानी की संभावित कमी को दूर करने का नायाब तरीका खोज निकाला है। भारत तिब्बत सीमा पर बसे हिमाचल के किन्नौर जिले के हांगो गांव के 20 से अधिक युवाओं ने मिलकर कृत्रिम ग्लेशियर बनाने का काम शुरू किया है।

लगातार कम होती बर्फबारी के चलते क्षेत्र में पानी की कमी को देखते हुए युवाओं ने एक सप्ताह पहले कृत्रिम ग्लेशियर बनाने का काम शुरू किया था और अभी तक 50 मीटर से अधिक लंबा कृत्रिम ग्लेशियर बनकर तैयार हो गया है।

11 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर बसे हांगो गांव में गर्मियों के दिनों में पानी की कमी के चलते दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसलिए युवाओं ने यूट्यूब से कृत्रिम ग्लेशियर बनाने की तकनीक सीखकर इसे तैयार किया है। 

गौर रहे कि इस साल हिमाचल प्रदेश में पिछले तीन महीनों से लंबा ड्राई स्पैल चल रहा है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार,  पिछले 20 सालों में यह पहली बार है जब जनवरी माह में न ही तो बारिश हुई है और न ही बर्फबारी दर्ज की गई है। राज्य में जनवरी महीने के 90 एमएम औसत बारिश के मुकाबले वर्ष 2007 में 99 प्रतिशत कम बारिश हुई थी लेकिन इस बार बिल्कुल भी बारिश नहीं हुई है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार अधिकतम तापमान में वृद्धि दर्ज की है। 

कृत्रिम ग्लेशियर तैयार करने वाले हांगो गांव के युवा सुरेंद्र सिंह नेगी ने डाउन टू अर्थ को बताया कि पिछले कुछ वर्षाें से हमारे क्षेत्र में बारिश और बर्फबारी में बदलाव देखे जा रहे हैं। इससे हमारे क्षेत्र में गर्मियों के दिनों में पानी की भारी किल्लत देखने को मिलती है। हमारे यहां सेब बागवानी और मटर की खेती होती है और इसके लिए पानी न होने से हमें भारी नुकसान उठाना पड़ता है। क्योंकि इस बार बिल्कुल भी बर्फबारी नहीं हुई है, इसलिए इस बार की गर्मियों में पानी की ज्यादा किल्लत हमें देखने को मिलेगी। इससे निपटने के लिए हमने इस बार कृत्रिम ग्लेशियर बनाने शुरू किए हैं।

ग्लेशियर तैयार करने वाले हांगो गांव के अनु नेगी, थूपतन, पनमा, छेरिंग दोरजे, प्रदीप नेगी, सागर नेगी और तेनजिन ने कहा कि वे गांव में जहां-जहां इस तरह के कृत्रिम ग्लेशियर बन सकते हैं, वहां इनका निर्माण करेंगे ताकि गर्मियों में पर्याप्त मात्रा में पानी मिल सके।

हांगो पंचायत के उप प्रधान कमल प्रकाश नेगी ने भी युवाओं की इस पहल का सराहा है और इससे गांव में पानी की किल्लत से राहत मिलने की बात कही है। उन्होंने कहा कि पानी न होने की वजह से नकदी फसलों में सिंचाई करने में परेशानियों देखने को मिलती थी, लेकिन इन कृत्रिम ग्लेशियर के होने से पानी को लंबे समय और भारी मात्रा में स्टोर किया जा सकेगा और जरूरत पड़ने पर इसे प्रयोग में लाया जाएगा।

कृत्रिम ग्लेशियर की इस पहल से हिमाचल के अधिक ऊंचाई वाले ऐसे क्षेत्रों जहां पानी की दिक्कत रहती है, वहां के लोगों के लिए भी एक विकल्प मिल गया है। कम बर्फबारी के कारण सबसे अधिक दिक्कतें किन्नौर, स्पीति और लाहौल के इलाकों में देखने को मिलती हैं। ऐसे में यदि वहां के लोग भी कृत्रि ग्लेशियरों का निर्माण करते हैं तो वे गर्मियों के दिनों में पानी की दिक्कत से छुटकारा पाने के साथ अच्छी पैदावार लेकर अपनी आर्थिकी को भी सुदृढ़ कर सकते हैं। 

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