इस साल जून से अगस्त के दौरान ला नीना की वापसी के 50 फीसदी आसार: डब्ल्यूएमओ

ला नीना की घटना के दौरान मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में भारी गिरावट आती है, जो हवाओं का दबाव और बारिश में बदलाव के साथ जुड़ा हुआ है।
जून से अगस्त 2024 के दौरान तटस्थ स्थितियों या ला नीना के 50 फीसदी तक आसार जताए गए हैं। जुलाई से सितंबर के दौरान ला नीना की स्थिति का अनुमान 60 फीसदी और अगस्त-नवंबर के दौरान 70 फीसदी तक बढ़ जाती है।
जून से अगस्त 2024 के दौरान तटस्थ स्थितियों या ला नीना के 50 फीसदी तक आसार जताए गए हैं। जुलाई से सितंबर के दौरान ला नीना की स्थिति का अनुमान 60 फीसदी और अगस्त-नवंबर के दौरान 70 फीसदी तक बढ़ जाती है।
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साल 2023 की अल नीनो की घटना ने दुनिया भर में तापमान और चरम मौसम को बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, अब इसके समाप्त होने के संकेत दिखाई दे रहे हैं। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस साल के अंत में ला नीना की वापसी हो सकती है।

विज्ञप्ति के मुताबिक, डब्ल्यूएमओ ग्लोबल प्रोड्यूसिंग सेंटर्स ऑफ लॉन्ग-रेंज फोरकास्ट के नवीनतम पूर्वानुमान जून से अगस्त 2024 के दौरान तटस्थ स्थितियों या ला नीना के 50 फीसदी तक आसार जताए गए हैं। जुलाई से सितंबर के दौरान ला नीना की स्थिति का अनुमान 60 फीसदी और अगस्त-नवंबर के दौरान 70 फीसदी तक बढ़ जाती है। इस दौरान अल नीनो के फिर से विकसित होने के आसार न के बराबर हैं।

ला नीना की घटना के दौरान मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में भारी गिरावट आती है, जो उष्णकटिबंधीय वायुमंडलीय प्रसार, अर्थात हवाओं का दबाव और बारिश में बदलाव के साथ जुड़ा हुआ है। हर एक ला नीना की घटना का प्रभाव तीव्रता, अवधि, वर्ष के उस समय के आधार पर अलग-अलग होते हैं जब यह विकसित होता है और यह जलवायु में बदलाव के अन्य तरीकों के साथ प्रभावित होती है।

दुनिया के कई हिस्सों में, खास तौर पर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में, ला नीना, एल नीनो के विपरीत जलवायु प्रभाव पैदा करता है। हालांकि, प्राकृतिक रूप से होने वाली जलवायु घटनाएं जैसे कि एल नीनो दक्षिणी दोलन (ईएनएसओ) अब मानवजनित जलवायु परिवर्तन के कारण होती हैं, जो वैश्विक तापमान को बढ़ा रही है, चरम मौसम और जलवायु को बढ़ा रही है और मौसमी बारिश और तापमान पैटर्न पर असर डाल रही है।जून 2023 से हर महीने तापमान का नया रिकॉर्ड बना साथ ही यह अब तक का सबसे गर्म साल रहा है। एल नीनो के खत्म होने का मतलब यह नहीं है कि जलवायु परिवर्तन में लंबे समय तक कोई रुकावट आएगी, क्योंकि गर्मी को रोकने वाली ग्रीनहाउस गैसों के कारण हमारी धरती गर्म होती रहेगी। आने वाले महीनों में समुद्र की सतह का बढ़ता तापमान अहम भूमिका निभाता रहेगा।

साल 2020 से 2023 की शुरुआत तक कई सालों के ला नीना के ठंडे प्रभाव के बावजूद पिछले नौ साल रिकॉर्ड पर सबसे गर्म रहे हैं। दिसंबर 2023 में एल नीनो रिकॉर्ड पर पांच सबसे शक्तिशाली चरम रूपों में से एक पर था।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ)

जून 2023 से हर महीने तापमान का नया रिकॉर्ड बना साथ ही यह अब तक का सबसे गर्म साल रहा है। एल नीनो के खत्म होने का मतलब यह नहीं है कि जलवायु परिवर्तन में लंबे समय तक कोई रुकावट आएगी, क्योंकि गर्मी को रोकने वाली ग्रीनहाउस गैसों के कारण हमारी धरती गर्म होती रहेगी। आने वाले महीनों में समुद्र की सतह का बढ़ता तापमान अहम भूमिका निभाता रहेगा।

साल 2020 से 2023 की शुरुआत तक कई सालों के ला नीना के ठंडे प्रभाव के बावजूद पिछले नौ साल रिकॉर्ड पर सबसे गर्म रहे हैं। दिसंबर 2023 में एल नीनो रिकॉर्ड पर पांच सबसे शक्तिशाली चरम रूपों में से एक पर था।

प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से डब्ल्यूएमओ प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे को बैरेट ने कहा, हमारे वायुमंडल में अतिरिक्त गर्मी और नमी के कारण हमारा मौसम और भी अधिक चरम रहेगा। यही कारण है कि सभी के लिए शुरुआती चेतावनी पहल डब्ल्यूएमओ की सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है। एल नीनो और ला नीना के लिए मौसमी पूर्वानुमान और वैश्विक स्तर पर जलवायु पैटर्न पर अनुमानित प्रभाव शुरुआती चेतावनियों और कार्रवाई की जानकारी देने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है।

विज्ञप्ति के मुताबिक, ला नीना की स्थिति आम तौर पर शक्तिशाली अल नीनो घटनाओं के बाद आती है और यह हालिया मॉडल के पूर्वानुमानों के अनुरूप है। हालांकि इसकी ताकत या अवधि के बारे में भारी अनिश्चितता बनी हुई है। साल के इस समय में मौसमी पूर्वानुमान मॉडल अपेक्षाकृत कम कौशल के लिए जाने जाते हैं, जिन्हें आमतौर पर उत्तरी गोलार्ध "वसंत पूर्वानुमान बाधा" के रूप में जाना जाता है।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि ईएनएसओ पृथ्वी की जलवायु प्रणाली को बदलने वाला एकमात्र कारण नहीं है, डब्ल्यूएमओ नियमित रूप से दुनिया भर में मौसमी जलवायु अपडेट (जीएससीयू) भी जारी करता है, जिसमें उत्तरी अटलांटिक दोलन, आर्कटिक दोलन और हिंद महासागर डिपोल जैसे अन्य प्रमुख जलवायु में बदलाव के प्रभावों को शामिल किया जाता है।

जी.एस.सी.यू. के नवीनतम अनुमान के अनुसार, भूमध्यरेखीय पूर्वी प्रशांत महासागर के बाहर सभी क्षेत्रों में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से अधिक रहने के आसार हैं। इसलिए धरती के लगभग सभी हिस्सों में तापमान के सामान्य से अधिक रहने का पूर्वानुमान लगाया गया है।

बारिश के पूर्वानुमान, आंशिक रूप से, ला नीना स्थितियों के शुरुआती चरण के विशेष प्रभावों के अनुरूप हैं, जिसमें सुदूर उत्तरी दक्षिणी अमेरिका, मध्य अमेरिका, कैरिबियन, उत्तरी ग्रेटर हॉर्न ऑफ अफ्रीका और साहेल, दक्षिण-पश्चिम एशिया के कुछ हिस्सों और मध्य "समुद्री महाद्वीप" में सामान्य से अधिक बारिश का होना शामिल है।

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