जलवायु लक्ष्यों को पाने के लिए थर्मल पावर संयंत्रों को पांच गुणा तेजी से करना होगा बंद

जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने के लिए दुनिया को हर वर्ष औसतन 117 गीगावाट क्षमता के थर्मल पावर संयंत्रों को रिटायर करने की जरूरत है
थर्मल पावर प्लांट; फोटो: आईस्टॉक
थर्मल पावर प्लांट; फोटो: आईस्टॉक
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चीन को छोड़ दें तो विकसित और विकासशील दोनों देशों ने 2022 में अपने कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में कटौती की है। यह गिरावट चालू संयंत्रों और नई शुरू होने वाली परियोजनाओं दोनों में आई हैं। एक तरफ देशों ने जहां पुराने होते कोयला बिजली संयंत्रों को रिटायर किया है, साथ ही नई परियोजनाओं से भी अपना पल्ला झाड़ा है।

लेकिन इसके बावजूद जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने के लिए गिरावट की यह रफ्तार काफी नहीं है। इस बारे में जारी नई रिपोर्ट से पता चला है कि यदि हमें पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों को हासिल करना है तो 2040 तक कोयला बिजली संयंत्रों को चरणबद्ध तरीके से रिटायर करने की गति को साढ़े चार गुणा तेज करना होगा।

साथ ही नए संयंत्रों के निर्माण को भी बंद करना होगा। ऐसा करने पर ही जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में गाड़ी दोबारा पटरी पर लौटेगी। यह जानकारी अंतराष्ट्रीय संगठन ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर द्वारा जारी नई रिपोर्ट में सामने आई है।

रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में जहां करीब 25,968 मेगावाट कोयला आधारित बिजली क्षमता को रिटायर किया गया है। वहीं 2030 तक और 25 गीगावाट कोयला बिजली क्षमता को बंद करने का लक्ष्य रखा गया है। इसी तरह 2022 में कुल 40,726 मेगावाट कोयला बिजली क्षमता को रद्द किया गया है।

वहीं यदि चीन को छोड़ दें तो विकासशील देशों ने इस मामले में अच्छी-खासी प्रगति की है। आंकड़ों के मुताबिक विकासशील देशों ने अपनी नियोजित कोयला बिजली क्षमता में 23 गीगावाट की कमी की है। हालांकि इसके विपरीत चीन ने कोयला बिजली क्षमता में 126 गीगावाट वृद्धि की योजना बनाई है। जो बाकी दुनिया द्वारा किए जा रहे प्रयासों को उलट रही है।

भारत ने भी 784 मेगावाट कोयला क्षमता को किया है रिटायर

यदि भारत की बात करें तो 2022 के दौरान देश में करीब 784 मेगावाट कोयला बिजली क्षमता को रिटायर किया है। वहीं देश ने अपनी 2,220 मेगावाट की नई कोयला बिजली योजनाओं को रद्द कर दिया है। वहीं इस दौरान देश में 2,120 मेगावाट क्षमता के नए थर्मल पावर प्लांट्स को प्रस्तावित किया गया है। वहीं चीन से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उसने 2022 में करीब 99,820 मेगावाट क्षमता की कोयला बिजली परियजनाओं को प्रस्तावित किया है।

चीन ने इस एक वर्ष में 2,103 मेगावाट कोयला बिजली क्षमता को रिटायर किया है, जबकि 7,340 मेगावाट क्षमता की नई परियोजनाओं को रद्द किया है। वैश्विक स्तर पर देखें तो 2022 में कोयला क्षमता में एक फीसदी की वृद्धि हुई है जो करीब 19.5 गीगावाट है। इनमें से आधी से ज्यादा करीब 59 फीसदी वृद्धि चीन में दर्ज की गई है। जहां 2022 में  45.5 गीगावाट क्षमता के संयंत्रों को शुरू किया गया है।

देखा जाए तो जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने के लिए 2030 तक सभी अमीर देशों को अपने मौजूदा कोयला बिजली संयंत्रों को बंद करने की आवश्यकता है जबकि 2040 तक दुनिया के हर हिस्से में कोयला संयंत्रों को बंद करना जरूरी है।

वहीं दुनिया में नए कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के लिए कोई जगह नहीं है। देखा जाए तो दुनिया नए थर्मल पावर प्लांट स्थापित करने से जरूर बच रही है लेकिन जिस रफ्तार से पुराने संयंत्रों को रिटायर किया जा रहा है वो जलवायु लक्ष्यों के अनुकूल नहीं है।

ऐसे में इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हर वर्ष औसतन 117 गीगावाट क्षमता को रिटायर करने की जरूरत होगी। देखा जाए तो यह जो आंकड़ा है वो पिछले वर्ष रिटायर की गई बिजली क्षमता का करीब साढ़े चार गुणा है। इस तरह यदि ओईसीडी देशों को देखें तो उन्हें अपने इस लक्ष्य को 2030 तक हासिल करने के लिए हर वर्ष 60 गीगावाट क्षमता को बंद करना होगा, जबकि गैर-ओईसीडी देशों को 2040 के लक्ष्य को ध्यान में  रखते हुए हर वर्ष 91 गीगावाट क्षमता को रिटायर करना होगा।

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