पर्यावरण पर विश्व संसद के रूप में देखे जाने वाली यूएन पर्यावरण सभा का छठा संस्करण (यूएनईए-6) केन्या की राजधानी नैरोबी में 26 फरवरी 2024 को आरम्भ हुआ है, जिसमें पृथ्वी पर मंडराते तिहरे संकटों – जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता हानि व प्रदूषण – से निपटने के लिए मजबूत वैश्विक कार्रवाई पर चर्चा शुरू हुई।
182 देशों से सात हजार से अधिक प्रतिनिधि इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए जुटे हैं, जोकि शुक्रवार तक चलेगी।
यह बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब दुनिया जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे से जूझ रही है और 10 लाख से अधिक प्रजातियों पर विलुप्त होने का जोखिम मंडरा रहा है। साथ ही, असामयिक मौतों के लिए प्रदूषण एक बड़ी वजह बनता जा रहा है।
यूएन पर्यावरण कार्यक्रम की कार्यकारी निदेशक इंगेर ऐंडरसन ने अपने वक्तव्य में कहा कि चिलचिलाती गर्मी, शक्तिशाली तूफ़ानों, लुप्त होती प्रकृति व प्रजातियों, क्षरण का शिकार होती मिट्टी, प्रदूषित हवा, प्लास्टिक प्रदूषण समेत अन्य चिन्ताजनक प्रभाव हम सभी महसूस कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इनका सर्वाधिक असर, निर्धन व निर्बल समुदायों द्वारा महसूस किया जाता रहा है, जो इसके लिए ज़िम्मेदार भी नहीं हैं, मगर कोई भी इन प्रभावों से अछूता नहीं है.
ब्राज़ील में वर्ष 2012 में टिकाऊ विकास पर हुए यूएन सम्मेलन (Rio+20) के फलस्वरूप UNEA को स्थापित किया गया था, जो पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर उच्चतम निर्णय-निर्धारण निकाय है और यूएन के सभी 193 देश इसके सदस्य हैं।
वैश्विक प्राथमिकता
यूएन पर्यावरण सभा की बैठक हर दूसरे वर्ष आयोजित की जाती है, जिसमें वैश्विक पर्यावरणीय नीतियों और अन्तरराष्ट्रीय पर्यावरणीय क़ानूनों को विकसित करने पर चर्चा होती है।
इस सभा में लिए जाने वाले निर्णयों व प्रस्तावों के ज़रिये यूएन पर्यावरण कार्यक्रम के कामकाज को निर्धारित किया जाता है, जिसका मुख्यालय नैरोबी में है।
यूएनईए-6 के दौरान प्रकृति-आधारित समाधानों, जहरीले कीटनाशकों, मरुस्थलीकरण, सौर विकिरण में बदलावों, सूखे के प्रति समुदायों व पारिस्थितिकी तंत्रों की सहनसक्षमता को मजबूती प्रदान करने समेत अन्य विषयों पर चर्चा होगी।
एक प्रेस विज्ञप्ति में यूएन पर्यावरण कार्यक्रम की शीर्ष अधिकारी इंगेर ऐंडरसन के हवाले से बताया गया है कि इस बैठक में नागरिक समाज, आदिवासी समुदाय, महिलाओं, व्यवसाय जगत समेत युवा पीढ़ी की आवाजों को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है।
इस सम्मेलन में सदस्य देशों द्वारा 19 प्रस्तावों पर विचार-विमर्श होगा, जोकि महत्वाकांक्षी, बहुपक्षीय पर्यावरणीय कार्रवाई को मजबूती प्रदान करने पर केन्द्रित हैं।
इन प्रस्तावों में सौर विकिरण में जरूरी बदलावों, जलवायु न्याय, रसायन व अपशिष्ट प्रबन्धन समेत अन्य विषय शामिल हैं।
यूएन कार्यक्रम अधिकारी ने कहा कि इन प्रस्तावों के जरिए नेट-शून्य उत्सर्जन की दिशा में बढ़ने, वायु व जल गुणवत्ता को बेहतर बनाने और सूखे के प्रति सहनसक्षमता के निर्माण में मदद मिलेगी।
उन्होंने प्रतिनिधियों से मजबूत प्रस्तावों के मसौदे तैयार करने का आग्रह किया, ताकि वास्तव में जरूरी बदलाव सुनिश्चित किए जा सकें और तिहरे पर्यावरणीय संकटों से दुनिया को बचाया जा सके।