जलवायु और लोगों पर पड़ने वाले असर का अहम सुराग दे रहा है नदियों का बढ़ता तापमान

नदी का तापमान पानी की मूलभूत गुणवत्ता का अहम हिस्सा है जो बहते पानी में प्राकृतिक, रासायनिक और जैविक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है
फोटो साभार : विकिमीडिया कॉमन्स, डेविड आईएलआईएफएफ
फोटो साभार : विकिमीडिया कॉमन्स, डेविड आईएलआईएफएफ
Published on

दुनिया भर में नदियों के तापमान की एक बेहतर समझ जलवायु परिवर्तन और अन्य मानवीय गतिविधियों के लिए एक महत्वपूर्ण माप और जानकारी प्रदान कर सकती है।

किसी भी नदी का तापमान पानी की मूलभूत गुणवत्ता का अहम हिस्सा है जो बहते पानी में प्राकृतिक, रासायनिक और जैविक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है। बदले में, पारिस्थितिकी तंत्र, लोगों के स्वास्थ्य और उनके द्वारा औद्योगिक, घरेलू और इसके अन्य उपयोगों पर असर डालता है।

यूके के बर्मिंघम विश्वविद्यालय और अमेरिका के इंडियाना विश्वविद्यालय की अगुवाई में शोधकर्ताओं ने नदी के तापमान और इसमें वृद्धि करने वाले कारणों, दोनों पर अधिक गौर करने का आह्वान किया है। शोधकर्ताओं ने कहा, हमें नदी के पानी के तापमान पर लोगों की भूमिका की बेहतर समझ की जरूरत है।

जानकारी के व्यापक स्रोत से जैव विविधतापारिस्थितिकी तंत्र के कामकाज और खतरों पर तापमान में बदलाव की बेहतर समझ बनेगी, जिसमें शैवालों के खिलने, पानी से संबंधित रोगजनकों और मछली की आबादी पर प्रभाव की शुरुआत चेतावनी शामिल है। शोधकर्ताओं ने कहा ये पहलू दुनिया भर के कई क्षेत्रों में मानव अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

इसे समझने के लिए यह महत्वपूर्ण होगा कि बड़े बदलावों के जांच में सुधार के लिए हम नदी के तापमान की निगरानी और उसे मॉडल करें। बदले में, यह अत्यधिक तापमान को प्रबंधित करने, कम करने और अनुकूलन करने की हमारी क्षमता में एक अहम भूमिका निभाएगा, जो लोगों तथा जलीय जीवों और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिए हानिकारक हैं।

बर्मिंघम विश्वविद्यालय में जल विज्ञान तथा यूनेस्को के अध्यक्ष और सह-अध्ययनकर्ता, प्रोफेसर डेविड हन्नाह ने बताया, अभी तक पोषक तत्वों और दूषित पदार्थों जैसे अन्य जल गुणवत्ता के संकेतकों पर अधिक ध्यान दिया गया है। हालांकि, नदी का तापमान इन कारकों में से कई को प्रभावित करता है।

सबूत दिखाते हैं कि दुनिया भर के कई क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के कारण नदी का तापमान बढ़ रहा है। इसके ऊपर मानव गतिविधि पानी के तापमान को और बदल रही है, लेकिन हमें अभी भी इस घटना को बेहतर ढंग से समझने की जरूरत है।

इंडियाना विश्वविद्यालय के सह-प्रमुख अध्ययनकर्ता, प्रोफेसर डैरेन फिकलिन ने कहा "वर्तमान में हमारे पास जो जानकारी है, वह सही नहीं है, बड़े पैमाने पर विस्तार में बदलाव के साथ और मुख्य रूप से यह अमीर देशों में हो रहा है।

यह नदी प्रणालियों को स्थायी रूप से प्रबंधित करने की हमारी क्षमता को गंभीर रूप से सीमित करता है। इसे देखते हुए, पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करने और हितधारकों के प्रतिस्पर्धी हितों को संतुलित किया जाना चाहिए।

शोधकर्ताओं का सुझाव है कि पहला कदम अधिक पूर्ण और सुलभ नदियों के तापमान की सूची बनाना, जो सभी उपलब्ध आंकड़ों को एक साथ जोड़ता हो। यह जानकरी की कमी को उजागर करने और अलग-अलग स्थानों और समय के लिए मॉडल को रेखांकित करता है जिसके लिए हमारे पास आंकड़ों की कमी है।

इस तरह से नदी के तापमान की जानकारी का निर्माण करके, शोधकर्ता स्थानीय और स्वदेशी समुदायों के साथ सहयोग, शोध और प्रबंधन के प्रयासों को बढ़ावा देने की उम्मीद करते हैं। यह अध्ययन नेचर वॉटर नामक पत्रिका में  प्रकाशित हुआ है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in