खेती पर जलवायु परिवर्तन का असर: 2030 तक 5 करोड़ लोग हो जाएंगे गरीब

आईएफएडी ने कहा है कि आपदाओं के चलते विस्थापन में इजाफे से लोगों के बीच झगड़े बढ़ रहे हैं, जिस वजह से लोग गरीब से और गरीब हो जाएंगे
फोटो: विकास चौधरी
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कृषि विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय कोष (आईएफएडी) ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन 2030 तक तकरीबन दस करोड़ लोगों को गरीबी की गर्त में धकेल देगा। इसमें से लगभग आधे लोग कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल असर के कारण गरीब होंगे।

दुनियाभर के सरकारी प्रतिनिधियों और वैश्विक विकास के लिए काम करने वाले लोगों ने आईएफएडी की 43वीं गवर्निंग काउंसिल बैठक में जलवायु आपातकाल के चलते खड़ी होने वाली संकटपूर्ण स्थिति को रोकने के लिए ग्रामीण विकास पर तेजी से ज्यादा धन खर्च करने की अपील की।

आईएफएडी की बैठक में शामिल होने वाली एशियन फार्मर्स ससोसिएशन की महासचिव एस्थर पेनुनिया ने कहा कि कृषि पर जलवायु परिवर्तन का असर पहले से ही मौजूद क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा रहा है, क्योंकि संसाधन सीमित होते जा रहे हैं। 2018 में विस्थापित होने वाले 1.72 करोड़ लोगों में से 90 फीसदी लोग मौसम और जलवायु संबंधी वजहों से विस्थापित हुए।

आईएफएडी ने एक रिलीज जारी करके बताया कि अकेले अफ्रीका में ही 2018 और 2019 के बीच झगड़े 36 फीसदी बढ़ गए हैं। इसके चलते भुखमरी और गरीबी में इजाफा हुआ है।

अफ्रीकन यूनियन कमीशन की तरफ से बोलते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि की एंबैसडर और कमिश्नर जोसेफा सैको ने कहा कि ये झगड़े कृषि उत्पादन को रोक देता है और इसके चलते लाखों लोग गरीबी से बाहर नहीं आ पाते हैं।

उन्होंने कहा कि इन झगड़ों के चलते गरीबी में इजाफा होता है और प्राकृतिक आपदाएं इस गरीबी को और बढ़ा देती हैं। ऐसी प्राकृतिक आपदाएं विस्थापन और विरोधों के पीछे की संचालक शक्तियां हैं।

आईएफएडी के गवर्निंग काउंसिल ने अपील की है कि इस अप्रत्याशित आपदा से बचने के लिए ग्रामीण विकास में ज्यादा निवेश करें। आईएफएडी के अध्यक्ष गिल्बर्ट एफ हुंगबो ने कहा कि हम सब इस स्थिति की तीव्रता पर सहमत हैं और यह भी मानते हैं कि हमारे पास खोने को समय नहीं है। हमें अपनी गतिविधियों में तेजी लानी होगी और गरीबी और भुखमरी को खत्म करने के लिए अपने संसाधनों का सही तरीके से फायदा उठाना होगा।

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