वृक्षारोपण करना और वनों की कटाई को रोकना जलवायु परिवर्तन को रोकने की प्रमुख रणनीतियां मानी जाती हैं। लेकिन एक नए विश्लेषण से पता चला है कि पेड़ों को संरक्षित करने और वृक्षारोपण में लगने वाली लागत इसमें आड़े आ सकती है, जिससे दुनिया भर में उत्सर्जन में कमी लाने वाले लक्ष्यों में तेजी से वृद्धि हो सकती है।
आरटीआई इंटरनेशनल (आरटीआई), नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी और ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक रिपोर्ट के विश्लेषण के आधार पर बताया है कि अधिक महत्वाकांक्षी तरीके से उत्सर्जन में कटौती की योजनाओं से लागत में तेजी से वृद्धि होगी। शोधकर्ताओं ने कहा कि 2055 तक कुल उत्सर्जन में 10 प्रतिशत से अधिक का लक्ष्य हासिल करने के लिए जमीन के मालिकों को पौधे लगाने और पेड़-पौधों की पर्याप्त सुरक्षा के लिए प्रति वर्ष 393 बिलियन डॉलर (लगभग 29 लाख करोड़ रुपए) की लागत आएगी, जिस पर अंतर्राष्ट्रीय नीति विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए यह आवश्यक है।
नेकां स्टेट में वन संसाधन अर्थशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर और सह-अध्ययनकर्ता जस्टिन बेकर ने कहा कि वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को हासील करने के लिए दुनिया भर के वानिकी क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। शारीरिक क्षमता तो है, लेकिन जब बात धन की आती है तो यह और कठिन हो जाता हैं। इसका मतलब है कि हम जितना अधिक उत्सर्जन को कम करते हैं हम इसके लिए उतना ही अधिक धन का भुगतान कर रहे हैं। विश्लेषण रिपोर्ट नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित हुई है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए वानिकी को महत्वपूर्ण मानता है। जंगल के संरक्षण और वनों की कटाई को रोकने और पेड़ों को लगाने की लागत का विश्लेषण करने के लिए, शोधकर्ताओं ने ग्लोबल टिम्बर मॉडल नामक एक मूल्य मॉडल का इस्तेमाल किया। यह मॉडल निजी जंगलों में पेड़ों के संरक्षण की लागत का अनुमान लगाता है और लुगदी और कागज उत्पादों के लिए कंपनियों द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
आरटीआई में नीति विश्लेषक केमैन ऑस्टिन ने कहा जलवायु परिवर्तन के खतरनाक प्रभावों से बचने के लिए दुनिया के जंगलों की रक्षा, प्रबंधन और पुनर्स्थापना आवश्यक है, जैव विविधता संरक्षण, पारिस्थितिकी तंत्र सेवा बढ़ाने और आजीविका जैसे महत्वपूर्ण लाभ भी इससे जुडे़ हुए हैं। अब तक जंगलों से जलवायु परिवर्तन को कम करने की लागतों की जांच के सीमित शोध हुए हैं। दुनिया भर के जंगलों से जलवायु परिवर्तन को कम करने की लागत को बेहतर ढंग से समझने से हमें संसाधनों को प्राथमिकता देने और अधिक कुशल नीतियां बनाने में मदद मिलेगी।
शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि 2055 तक 0.6 गीगाटन कार्बन डाइऑक्साइड को रोकने के लिए प्रति वर्ष 2 बिलियन डॉलर का खर्च आएगा। तुलनात्मक रूप से 393 बिलियन डॉलर सालाना 6 गीगाटन, या यह एक वर्ष मे चलने वाले लगभग 130 करोड़ (1.3 बिलियन) यात्री वाहनों से उत्सर्जन के बराबर होगा।
बेकर ने कहा इन परिणामों से यह स्पष्ट नहीं होता है कि दुनिया भर के वन क्षेत्र से आपको जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए लगातार कम लागत लगानी होगी, जैसा कि अन्य अध्ययनों ने भी बताया है।
उत्सर्जन को कम करने में सबसे बड़ी भूमिका उष्णकटिबंधी क्षेत्रों से अपेक्षित है, वह देश जिसमें अमेज़ॅन वर्षावन, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, और इंडोनेशिया के वनों का सबसे बड़ा हिस्सा शामिल है। 2055 में वानिकी से कुल वैश्विक जलवायु परिवर्तन को कम करने (मिटिगेशन) में 72 से 82 प्रतिशत के बीच उष्णकटिबंधीय वनों का योगदान होगा।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि समशीतोष्ण क्षेत्रों में वन प्रबंधन, जैसे कि दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका में वनभूमि, विशेष रूप से उच्च जलवायु परिदृश्यों के तहत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।