
वर्ष 2024 भारत के इतिहास का सबसे गर्म वर्ष रहा। इस साल का औसत तापमान 1991-2020 के आधार पर निर्धारित नए लांग पीरियड एवरेज (दीर्घावधि 1981-2010 औसत) से 0.65 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा।
2024 में हुई तापमान विसंगति का कारण सभी चार मौसमों में सामान्य से अधिक मौसमी औसत तापमान के कारण हुई: सर्दी (जनवरी-फरवरी, +0.37 डिग्री सेंटीग्रेड), प्री-मानसून (मार्च-मई, +0.56 डिग्री सेंटीग्रेड), दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून-सितंबर, +0.71 डिग्री सेंटीग्रेड) और पोस्ट-मानसून (अक्टूबर-दिसंबर, +0.83 डिग्री सेंटीग्रेड)।
2015 से 2024 तक का दशक भी इतिहास में सबसे गर्म रहा है। 1901 से 2024 तक के दीर्घकालिक रुझानों से वार्षिक औसत तापमान में लगातार वृद्धि का संकेत मिल रहा है। प्रति 100 वर्षों में 0.68 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो रही है