अरबों टन कार्बन को अवशोषित करने के लिए मिट्टी का प्रबंधन एंव संरक्षण जरूरी: शोध

एक नए अध्ययन में कहा गया है कि अगर मिट्टी का प्रबंधन ठीक ढंग से किया जाए तो कार्बनडाइ ऑक्साइड को कम किया जा सकता है
Photo: Aditya Batra
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एक नए शोध में पाया गया कि दुनिया भर में मिट्टी का प्रबंधन और संरक्षण किया जाए तो मिट्टी हर साल पांच अरब टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर सकती है।

नेचर सस्टेनेबिलिटी नामक पत्रिका में प्रकाशित एक नए शोध में कहा गया है कि मिट्टी में कार्बन अनुक्रम (सीक्वेस्ट्रेशन) की क्षमता का विश्लेषण किया गया और पाया कि अगर इसे ठीक से प्रबंध किया जाए तो मिट्टी कार्बन अवशोषण में एक चौथाई के बराबर योगदान दे सकती है।

भूमि-आधारित अनुक्रम (सीक्वेस्ट्रेशन) के लिए सीओ2 की कुल क्षमता 23.8 गीगाटन है, इसलिए सैद्धांतिक रूप से मिट्टी सालाना 5.5 अरब टन कार्बन को अवशोषित कर सकती है।

वैश्विक कार्बन बजट में मिट्टी की दोहरी भूमिका होती है। मृदा जैविक कार्बन (एसओसी) कार्बन-रहित मिट्टी में भंडार को बनाए रखते हैं।

एसओसी के भंडारण का संरक्षण करना और इसे बढ़ाने के निम्नलिखित लाभ है – 

(1) मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है तथा उर्वरता में वृद्धि भी हो सकती है 

(2) जलवायु परिवर्तन के अनुरूप ढलने में मदद 

(3) यह मिट्टी के कटाव को कम करता है।

पिछले साल संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) ने कहा था कि तापमान बढ़ने से रोकने के लिए, ग्रीनहाउस गैसों को अवशोषित करने और स्टोर करने की भूमि की क्षमता को बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता होगी।

दुनिया भर में पहले जितना मिट्टी में कार्बन मापने वाले मीटर में कार्बन की माप दिखती थी, उतने से अधिक आज वायुमंडल में फैला है, एक उम्र के बाद पेड़ भी सीओ 2 अनुक्रम (सीक्वेस्ट्रेशन) को बंद कर देते हैं क्योंकि वे सड़ जाते हैं और मिट्टी में मिल जाते हैं।

जबकि दुनिया भर में कृषि और वृक्षारोपण आदि को छोड़ भी दिया जाए तो भी लगभग 40 प्रतिशत कार्बन, केवल मौजूदा मिट्टी ही अवशोषित कर सकती है।

नेचर कंजर्वेंसी के प्रमुख, मृदा वैज्ञानिक और प्रमुख अध्ययनकर्ता देबोराह बोसियो ने कहा पारिस्थितिक तंत्रों को नुकसान पहुंचाने वाली कृषि को धीमा करना या रोकना एक महत्वपूर्ण रणनीति है। उन्होंने कहा कि मिट्टी के प्रबंधन से लोगों को फायदा होगा, जिसमें बेहतर जल गुणवत्ता, खाद्य उत्पादन और विभिन्न तरह की फसलों को उगाया जाना शामिल हैं।

आईपीसीसी ने अगस्त में कहा था कि लोग कठिन विकल्पों का सामना कर रहे है-धरती, जंगल, वेटलैंड्स, सवाना और खेतों का उपयोग भोजन और सामग्री के लिए करने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन को किस तरह कम किया जाए।

अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि यदि विनाशकारी जलवायु परिवर्तन को सीमित नहीं किया गया तो 2050 तक 10 अरब लोगों को भोजन नहीं मिल पाएगा।

कृषि का पहले ही सभी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करने वालो में एक तिहाई हिस्सा है।

बोसियो ने कहा कि सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कृषि पद्धतियां हमें केवल भोजन ही प्रदान करें अपितु जलवायु परिवर्तन को सीमित करने में भूमिका निभाएं।

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