कृषि से होने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को मापने के लिए वैज्ञानिकों ने तैयार किया नया फ्रेमवर्क

उत्सर्जन को मापने के लिए जानकारी आधारित मशीन लर्निंग का उपयोग किया, जो आंकड़े, जानकारी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीकों को समझने की शक्ति को एक साथ लाने का एक नया तरीका है।
फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, चौधरी महेश्वर राजू
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जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए बढ़ते सरकारी निवेश कृषि क्षेत्रों को जलवायु परिवर्तन में उनकी भूमिका को मापने के लिए विश्वसनीय तरीके खोजने के लिए प्रेरित कर रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए, इलिनोइस विश्वविद्यालय अर्बाना-शैंपेन के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में एक टीम ने कृषि क्षेत्र-स्तरीय ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को मापने में मदद के लिए एक सुपरकंप्यूटिंग समाधान का प्रस्ताव रखा है।

यद्यपि मिडवेस्ट में स्थानीय स्तर पर परीक्षण किया गया है, नए तरीके को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर तक बढ़ाया जा सकता है और उद्योगों को उत्सर्जन कम करने के लिए सबसे अच्छी प्रथाओं को समझने में मदद मिल सकती है।

प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर काइयू गुआन की अगुवाई में किए गए अध्ययन ने अमेरिकी कृषि भूमि द्वारा उत्पन्न होने वाली ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की मात्रा निर्धारित करने के लिए टीम ने पिछले 25 से अधिक अध्ययनों का विश्लेषण किया। शोध के निष्कर्ष अर्थ साइंस रिव्यु में प्रकाशित किए गए हैं

शोध के हवाले से, गुआन ने कहा कि, ऐसी कई कृषि प्रथाएं हैं जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में काफी मदद कर सकती हैं, लेकिन वैज्ञानिक समुदाय ने यह मापने के लिए एक सतत तरीका खोजने के लिए संघर्ष किया है कि ये प्रथाएं कितनी अच्छी तरह काम करती हैं।

गुआन की टीम ने कृषि कार्बन परिणामों के आधार पर एक समाधान निकाला, जिसे वह कवर क्रॉपिंग, सटीक नाइट्रोजन उर्वरक प्रबंधन और नियंत्रित जल निकासी तकनीकों के उपयोग जैसे जलवायु में बदलाव को कम करने की प्रथाओं को अपनाने वाले किसानों द्वारा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में संबंधित परिवर्तनों के रूप में परिभाषित करता है।

सह-अध्ययनकर्ता और आई.यू इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबिलिटी, एनर्जी एंड एनवायरनमेंट में वैज्ञानिक बिन पेंग ने कहा, हमने वह विकसित किया है जिसे हम 'सिस्टम ऑफ सिस्टम' समाधान कहते हैं, जिसका अर्थ है कि हमने विभिन्न प्रकार की सेंसिंग तकनीकों को एक साथ जोड़ा है और उन्हें उन्नत पारिस्थितिकी तंत्र मॉडल के साथ जोड़ा है।

उदाहरण के लिए, हम जमीन आधारित इमेजिंग को उपग्रह इमेजरी के साथ जोड़ते हैं और किसानों द्वारा विभिन्न शमन प्रथाओं को अपनाने से पहले और बाद में फसल उत्सर्जन के बारे में जानकारी निकालने के लिए एल्गोरिदम के साथ उस आंकड़े को संसाधित करते हैं।

अध्ययनकर्ता और मिनेसोटा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जेनॉन्ग जिन ने कहा, हर क्षेत्र के कार्बन उत्सर्जन को मापने के हमारे महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को साकार करने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पारंपरिक मॉडल-डेटा फ़्यूज़न दृष्टिकोण के विपरीत, हमने जानकारी आधारित मशीन लर्निंग का उपयोग किया, जो आंकड़े, जानकारी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीकों को समझने की शक्ति को एक साथ लाने का एक नया तरीका है।

अध्ययन में यह भी बताया गया है कि कैसे उत्सर्जन और कृषि प्रथाओं के आंकड़ों को आर्थिक, नीति और कार्बन बाजार के आंकड़ों के खिलाफ क्रॉस-चेक किया जा सकता है ताकि स्थानीय स्तर व वैश्विक स्तर पर सर्वोत्तम अभ्यास और ग्रीनहाउस गैस को कम करने के समाधान ढूंढे जा सके, विशेष रूप से पर्यावरण के प्रति जागरूक तरीके से खेती करने के लिए संघर्ष कर रही अर्थव्यवस्थाओं में।

लाखों व्यक्तिगत फार्मों से विशाल मात्रा में जानकारी की गणना करने के लिए, टीम नेशनल सेंटर फ़ॉर सुपरकंप्यूटिंग एप्लिकेशन में उपलब्ध सुपरकंप्यूटिंग प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग कर रही है। गुआन ने कहा, एनसीएसए में संसाधनों तक पहुंच इस महत्वपूर्ण कार्य को संभव बनाती है।

पेंग ने कहा, हमारे उपकरण की असली सुंदरता यह है कि यह बहुत सामान्य और मापने योग्य दोनों है, जिसका अर्थ है कि इसे हमारी लक्षित प्रक्रिया और तकनीकों का उपयोग करके विश्वसनीय उत्सर्जन के आंकड़ों को हासिल करने के लिए किसी भी देश में लगभग किसी भी कृषि प्रणाली पर लागू किया जा सकता है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि इस काम की चुनौती प्रणाली को व्यापक रूप से अपनाने को प्रोत्साहित करना होगा।

प्रोजेक्ट ड्रॉडाउन के एक वैज्ञानिक और इस शोध के सहयोगी पॉल वेस्ट ने कहा, कृषि भूमि पर उत्सर्जन का अनुमान लगाने के लिए अधिक वैज्ञानिक कठोरता लाना एक बड़ा काम है। हमें विश्वसनीय उपकरणों की आवश्यकता है जो सरल और व्यावहारिक हों। उन्होंने कहा हमारा शोध चुनौती का सामना करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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