वायुमंडल में बढ़ते ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा से पृथ्वी की जलवायु प्रणाली का ठंडा होना कम हो गया है। यह अनुमान लगाया गया है कि 90 फीसदी से अधिक शीर्ष-वायुमंडल (टीओए) ऊर्जा असंतुलन महासागर द्वारा कैद कर ली गई है जिसे समुद्र में बढ़ती हुई गर्मी के प्रकरण या ओसियन हीट कंटेंट (ओएचसी) के रूप में जाना जाता है।
अब वैज्ञानिकों ने एक नए अध्ययन के द्वारा वैश्विक जल विज्ञान चक्र की तीव्रता का महासागर पर होने वाले प्रभाव का पता लगाया है। उन्होंने कहा कि तीव्र जल चक्र महासागर की गहराइयों में गर्मी को ले जाते हैं और ग्लोबल वार्मिंग की गति को कम करते हैं। यह अध्ययन मियामी विश्वविद्यालय (यूएम) रोसेनस्टील स्कूल ऑफ मरीन एंड एटमॉस्फेरिक साइंस के वैज्ञानिकों की अगुवाई में किया गया है।
गर्म जलवायु के चलते, दुनिया भर में जल चक्र अधिक तेज हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप नमी वाले क्षेत्र अधिक नम और शुष्क क्षेत्र सूख रहे हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि यह तीव्रता समुद्र के खारेपन में भी दिखाई देती है। उपोष्णकटिबंधीय महासागरों जैसे खारे क्षेत्रों में समुद्र की सतह के खारेपन में वृद्धि से समुद्र का पानी सघन हो जाता है और गहरे समुद्र में अधिक गर्मी बढ़ जाती है। समुद्र की गर्मी की दर में वृद्धि से सतह के गर्म होने की दर में कमी आती है।
वायुमंडलीय विज्ञान विभाग में पोस्ट डॉक्टरल शोधकर्ता माओफेंग लियू ने कहा कि हमने एक नया तंत्र खोजा है जो जलवायु मॉडल प्रयोगों के एक समूह के माध्यम से ग्लोबल वार्मिंग की दर को प्रभावित करता है। जलवायु मॉडल सिमुलेशन और अवलोकनों के बीच अच्छा ताल-मेल पिछले कुछ दशकों से पता चलता है कि मानवजनित तापमान के कारण खारेपन में परिवर्तन संभवतः समुद्र की गर्मी को बढ़ाने का काम कर रहा है।
इसे साबित करने हेतु शोधकर्ताओं ने प्रयोगों के दो समूह बनाने के लिए एक वैश्विक जलवायु मॉडल का उपयोग किया। बेसलाइन के रूप में किए गए प्रयोगों के पहले समूह में, उन्होंने वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता को हर साल के लिए एक प्रतिशत तक बढ़ा दिया जब तक कि यह दोगुना न हो जाए।
प्रयोगों के दूसरे समूह में, उन्होंने पहले प्रयोग को दोहराया लेकिन सतह के खारेपन को सीओ 2 से होने वाले दुनिया भर के हाइड्रोलॉजिकल चक्र के बदलाओं से दूर रखा। प्रयोगों के दो समूहों के अलग-अलग परिणाम समुद्र की गर्मी और कम समय के लिए होने वाले जलवायु परिवर्तन में जल चक्र में होने वाले बदलाव के प्रभाव पर प्रकाश डालते हैं। यह अध्ययन नेचर क्लाइमेट चेंज जर्नल में प्रकाशित हुआ है
शोधकर्ताओं ने कहा कि वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन बढ़ने से तापमान बढ़ रहा है जिसके चलते समुद्र का स्तर बढ़ रहा है और लगातार अधिक और तीव्र तूफान, सूखा और जंगल में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं। लियू ने कहा ग्लोबल वार्मिंग की दर का पूर्वानुमान लगाया अभी भी एक चुनौती है। इस अध्ययन में बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग की दर का एक नया प्रभाव देखा गया है।