प्रशांत महासागर दुनिया का सबसे बड़ा महाद्वीप बनाने के लिए है तैयार: शोध

पिछले 2 अरब वर्षों में, पृथ्वी के महाद्वीप हर 60 करोड़ वर्षों में एक सबसे बड़ा महाद्वीप बनाने के लिए एक साथ टकराए, जिसे सुपरकॉन्टिनेंट चक्र के रूप में जाना जाता है।
स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स
स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स
Published on

एक नए शोध में पाया गया है कि दुनिया का अगला सबसे बड़ा महाद्वीप, सुपरकॉन्टिनेंट या अमासिया बनने के सबसे अधिक आसार हैं। यह तब बनेगा जब प्रशांत महासागर 20 से 30 करोड़ वर्षों में पूरी तरह बंद हो जाएगा। यह शोध ऑस्ट्रेलिया की न्यू कर्टिन यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में किया गया है। 

ऑर्थोवर्जन के पूर्वानुमान के अनुसार आर्कटिक महासागर और कैरेबियन सागर के बंद होकर अमेरिका और एशिया को मिलाने के लिए जाना जाने वाला, भविष्य का सबसे बड़ा महाद्वीप या अमासिया कह लाएगा।

शोध टीम ने एक सुपरकंप्यूटर का उपयोग यह सिमुलेट करने के लिए किया कि एक सबसे बड़ा महाद्वीप कैसे बनता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि क्योंकि पृथ्वी अरबों वर्षों से ठंडी हो रही है, महासागरों के नीचे प्लेटों की मोटाई और ताकत समय के साथ कम हो जाती है, जिससे अटलांटिक या भारतीय महासागरों जैसे नए या युवा महासागरों को बंद करके आपस में जुड़ना अगले सबसे बड़े महाद्वीप के लिए मुश्किल हो सकता है।

कर्टिन के अर्थ डायनेमिक्स रिसर्च ग्रुप और स्कूल ऑफ अर्थ एंड प्लैनेटरी साइंसेज के प्रमुख डॉ चुआन हुआंग ने कहा कि नए निष्कर्ष महत्वपूर्ण हैं और यह अगले 20 करोड़ वर्षों में पृथ्वी के साथ क्या होगा, इसके बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।

डॉ हुआंग ने कहा कि पिछले 2 अरब वर्षों में, पृथ्वी के महाद्वीप हर 60 करोड़ वर्षों में एक सबसे बड़ा महाद्वीप बनाने के लिए एक साथ टकराए, जिसे सुपरकॉन्टिनेंट चक्र के रूप में जाना जाता है। इसका मतलब है कि वर्तमान महाद्वीप कुछ 10 करोड़ वर्षों के समय में फिर से एक साथ आने वाले हैं।

परिणाम स्वरूप नए सबसे बड़े महाद्वीप को पहले से ही अमासिया नाम दिया गया है, क्योंकि कुछ का मानना ​​है कि जब अमेरिका एशिया से टकराएगा तो प्रशांत महासागर बंद हो जाएगा (अटलांटिक और भारतीय महासागरों के विपरीत)। ऑस्ट्रेलिया से भी इस महत्वपूर्ण घटना में भूमिका निभाने के आसार हैं, ये पहले प्रशांत महासागर के बंद होने के बाद एशिया से टकराते हैं और फिर अमेरिका और एशिया को जोड़ते हैं।

एक सुपर कंप्यूटर का उपयोग किया गया जिससे पता चला कि पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटे और अधिक विकसित हो सकती है। उन्होंने बताया कि हम यह दिखाने में सफल रहे कि 30 करोड़ से कम वर्षों में इस घटना के प्रशांत महासागर में होने का अनुमान है, जो अमासिया के गठन करने में मदद करेगा।

प्रशांत महासागर वह है जो पंथलासा बहुत बड़ा महासागर से बचा है जो 70 करोड़ वर्ष पहले बनना शुरू हुआ था जब पिछला सबसे बड़ा महाद्वीप अलग होना शुरू हुआ था। यह पृथ्वी पर हमारे पास सबसे पुराना महासागर है और यह डायनासोर के समय से अपने सबसे बड़े आकार से सिकुड़ने लगा है। यह वर्तमान में प्रति वर्ष कुछ सेंटीमीटर आकार में सिकुड़ रहा है और इसके लगभग 10 हजार किलोमीटर के वर्तमान आयाम को बंद होने में 20 से 30 करोड़ वर्ष लगने का अनुमान है।

झेंग-जियांग ली, कर्टिन स्कूल ऑफ अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंसेज के  प्रोफेसर और सह-अध्ययनकर्ता जॉन कर्टिन ने कहा कि एक ही महाद्वीपीय द्रव्यमान पर पूरी दुनिया का प्रभुत्व होने से पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र और पर्यावरण में नाटकीय रूप से बदलाव आएगा।

प्रोफेसर ली ने कहा पृथ्वी जैसा कि हम जानते हैं कि जब अमासिया बनेगा तो यह काफी अलग होगा। समुद्र का स्तर कम होने की उम्मीद है और सबसे बड़ा महाद्वीप का विशाल आंतरिक भाग हर दिन का बहुत अधिक तापमान के साथ यह बहुत शुष्क होगा।

वर्तमान में, पृथ्वी में व्यापक रूप से भिन्न पारिस्थितिक तंत्र और मानव संस्कृतियों के साथ सात महाद्वीप हैं, इसलिए यह सोचना आकर्षक होगा कि 20 से 30 करोड़ वर्षों के समय में दुनिया कैसी दिखेगी। यह शोध नेशनल साइंस रिव्यू में प्रकाशित हुआ है। 

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in