ओलंपिक 2024: पेरिस की गर्मी से बचने के लिए एथलीट ले रहे सेंसर हीट का सहारा

पेरिस की लगभग 80 प्रतिशत छतें जस्ते से बनी हुई हैं, जो धूप वाले दिनों में 90 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो सकती हैं, जिससे उनके आसपास का क्षेत्र और भी उबलने लगता है
Photo: IStock
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पेरिस ओलंपिक में अत्यधिक गर्मी से बचने के लिए एथलीट हीट सेंसर से लेकर इन्फ्लेटेबल आइस पूल तक का उपयोग कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पेरिस में 1924 में आखिरी बार ओलंपिक की मेजबानी करने के बाद से अब तक 1.8 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ चुका है।

ब्लूमबर्ग में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक ओलंपिक के सबसे कठिन खेल आयोजनों में से एक है मैराथन। यह दौड़ पेरिस सिटी हॉल के बड़े प्लाजा से शुरू होगी। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां जस्ते की छतों वाले घरों की संख्या अत्याधिक संख्या में है और हरियाली कम है। पेरिस की लगभग 80 प्रतिशत छतें जस्ते से बनी हुई हैं, जो धूप वाले दिनों में 90 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो सकती हैं, जिससे उनके आसपास का क्षेत्र और भी उबलने लगता है।

शहरों में उपयोग में लाई जा रही निर्माण सामग्री, शहरी घनत्व और संकरी गलियां मिलकर शहर के कुछ हिस्सों में गर्मी के आईलैंड बन जाते हैं। ऐसे हालात में पूरी दुनिया में खेले जाने वाले एथलेटिक इवेंट्स में गर्मी का खतरा और बढ़ रहा है क्योंकि जलवायु परिवर्तन वैश्विक तापमान को तेजी से बढ़ा रहा है।

ओलंपिक आयोजकों, कोचों और एथलीटों के लिए इसका मतलब है कि एक व्यापक हीट प्लेबुक विकसित करना। ओलंपिक में भाग रहे एथलीट ब्लेविन्स कहते हैं कि कभी-कभी गर्मी शारीरिक घबराहट की प्रतिक्रिया को जन्म देती है, जहां आपका पूरा सिस्टम आपको वहां से बाहर निकलने और ठंडा होने के लिए कहता है।

इस रिपोर्ट में जॉर्जिया टेक में पर्यावरण फिजियोलॉजिस्ट और प्रोफेसर माइक सॉका के हवाले से बताया गया है कि मांसपेशियों के व्यायाम करने से उत्पन्न ऊर्जा का लगभग 80 प्रतिशत गर्मी के रूप में निकलता है। जब बाहरी तापमान ठंडा होता है तो शरीर के लिए थर्मल विकिरण और पसीने के माध्यम से उस गर्मी को खत्म करना आसान होता है। लेकिन जब तापमान बढ़ता है और खासकर जब यह आर्द्र होता है तो शरीर इसे बनाए रखने के लिए संघर्ष करता है।

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के चिकित्सा और वैज्ञानिक आयोग खेल समूह में ऊष्मा विशेषज्ञ डॉ. सेबेस्टियन रैसिनैस ने ब्लूमबर्ग से कहा है कि एथलीट ओवन में भुना हुआ चिकन नहीं है। वह वातावरण द्वारा पकाया नहीं जाता है। एथलीट खुद ही गर्मी पैदा कर रहा है।

यही कारण है कि जब गर्मी होती है तो एथलेटिक के प्रदर्शन अच्छा नहीं होता है। वह कहते हैं कि शरीर को खुद को ठंडा करने के लिए अधिक संसाधनों को समर्पित करना पड़ता है। आराम की स्थिति में एक मानव हृदय शरीर के चारों ओर पोषक तत्वों और अपशिष्ट को स्थानांतरित करने के लिए प्रति मिनट पांच लीटर रक्त पंप कर सकता है।

व्यायाम इसे 15 लीटर प्रति मिनट तक बढ़ा सकता है, लेकिन गर्मी शरीर को उस रक्त को मुख्य परिसंचरण से बाहर निकालने और ठंडा करने के लिए त्वचा में डालने के लिए मजबूर करेगी। उस बिंदु परआवश्यक रक्त कार्डियक आउटपुट और रक्तचाप विनियमन को बनाए रखना कठिन होता है। इसी बात को ध्यान में रखकर पेरिस में ब्लेविन्स एक विशेष कूलिंग मैट्रेस लेकर आए हैं और कम से कम भारत सहित विश्व के आठ देश पेरिस में अपने-अपने एयर कंडीशनर लेकर आएं हैं।

ध्यान रहे कि टोक्यो ओलंपिक खेलों में एथलीट ब्लममेनफेल्ट की जीत एक सनसनी बन गई थी क्योंकि उन्होंने एक पारदर्शी सफेद पोशाक पहनी थी, जिसे उनके कोच ने सेंसर द्वारा निर्धारित किए जाने के बाद चुना था कि यह सामग्री रेसर्स के शरीर को सबसे अधिक ठंडा रखती है।

टोक्यो ओलंपिक में आयोजकों ने दिन के सबसे गर्म हिस्सों से बचने के लिए कुछ शेड्यूलिंग में बदलाव किया था और एथलीटों को एक्सर्शनल हीट स्ट्रोक से बचने के तरीके सिखाने के लिए एक जागरूकता अभियान भी शुरू किया था। उन्होंने प्रमुख स्थलों पर एक हीट डेक भी स्थापित किया था, जिसमें चिकित्सा उपकरण, बर्फ के पूल और प्रशिक्षित चिकित्सक मौजूद थे। यह सेटअप पेरिस में भी है जैसे एथलीटों को 30 मिनट से कम समय में ठंडा होने में मदद करना आदि।

पृथ्वी के और गर्म होने के साथ-साथ ये सभी रणनीतियां भविष्य में और भी जरूरी हो जाएंगी, विशेषकर यदि भविष्य में भी ग्रीष्मकालीन ओलंपिक जुलाई और अगस्त में आयोजित होते रहें। ध्यान रहे कि यह समय अक्सर उत्तरी गोलार्ध में साल का सबसे गर्म होता है। वाटरलू विश्वविद्यालय में भूगोल और पर्यावरण प्रबंधन विभाग में प्रोफेसर डैनियल स्कॉट कहते हैं कि गर्मियों के बीच में ओलंपिक का आयेाजन करना कभी परंपरा नहीं थी। 1900 में पहला पेरिस ओलंपिक मई में शुरू हुआ था और टोक्यो में 1964 के ग्रीष्मकालीन खेल शहर की आर्द्र गर्मियों की जलवायु से बचने के लिए अक्टूबर में हुआ था। स्कॉट का कहना है कि वर्तमान कार्यक्रम काफी हद तक अब टीवी रेटिंग की इच्छा से प्रेरित होते हैं। भारत में 40 डिग्री सेल्सियस तापमान पर प्रतिस्पर्धा करने के बाद एथलीट मोहन को सामान्य होने में लगभग एक महीने का समय लगा।

 रैसिनैस कहते हैं कि गर्मी के कारण मैराथन, हाफ-मैराथन और 10,000 मीटर की दौड़ जैसे खेल इवेंट सबसे अधिक जोखिम वाले होते हैं। वह कहते हैं कि मैराथन ओलंपिक की सबसे ज्यादा जोखिम वाली प्रतियोगिता है। टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले नॉर्वेजियन ट्रायथलीट क्रिस्टियन ब्लममेनफेल्ट का कहना है कि गर्मी के कारण होने वाला तनाव एक खास तरह की पीड़ा देता है। वह बताते हैं कि 2022 में विश्व चैंपियनशिप के मैराथन चरण में जहां तापमान 65 प्रतिशत आर्द्रता के साथ 31 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। ऐसे में मैं दौड़ में 10 किलोमीटर शेष रहते पीछे रह गया। वह कहते हैं कि वास्तव में तापमान लगभग 41 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था और 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक का तापमान हीट स्ट्रोक का संकेत माना जाता है, जिसका अगर ठीक से इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकता है।

भारतीय एथलीट प्रज्ञा मोहन आमतौर पर अमेरिका में प्रशिक्षण लेती हैं, क्योंकि भारत का अधिकांश भाग वर्ष के अधिकांश समय बहुत गर्म रहता है। इसलिए बाहर प्रशिक्षण नहीं कर सकतीं हैं। लेकिन अमेरिका की ठंडी परिस्थितियां तब बाधा बनती हैं, जब उन्हें गर्म जलवायु में प्रतिस्पर्धा करनी होती है। पिछले साल मोहन ने भारत में एक प्रतियोगिता में भाग लिया था, जिसके दौरान तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की उम्मीद थी। ऐसे में वे यहां की परिस्थतियों में ढलने के लिए दो सप्ताह पहले ही आ गईं थीं। इस प्रकार का प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से शरीर को अधिक पसीना बहाना और खुद को अधिक कुशलता से ठंडा करना सिखाता है।

मोंटाना विश्वविद्यालय में मोंटाना सेंटर फॉर वर्क फिजियोलॉजी एंड एक्सरसाइज मेटाबॉलिज्म के निदेशक ब्रेंट रूबी कहती हैं कि एक सप्ताह का एक्सपोजर भी बहुत बड़ा अंतर ला सकता है। रूबी कहती हैं कि जहां तक ​​तापीय विनियमन का सवाल है, हम इस ग्रह पर सबसे अच्छे प्राणी हैं। लेकिन आपको उन महत्वपूर्ण स्थितियों को विकसित करना होगा। अन्यथा, वे काम नहीं करेंगे। फिर भी, केवल गर्म परिस्थितियों में प्रशिक्षण लेना और सर्वश्रेष्ठ की आशा करना पर्याप्त नहीं है। यही कारण है कि कई एथलीट प्रशिक्षण और प्रतियोगिता के दौरान अपने शरीर की स्थिति पर नजर रखने में मदद के लिए तेजी से हाई-टेक सेंसर की ओर रुख कर रहे हैं।

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