नवंबर रहा दूसरा सबसे गर्म महीना, 2024 बनने वाला है सबसे गर्म साल: रिपोर्ट

दुनिया भर में नवंबर 2024 में औसतन तापमान 14.10 सेल्सियस रहा। पिछले साल वैश्विक औसत तापमान 14.98 सेल्सियस था।
विशेषज्ञों ने कहा कि महासागरों पर लू और परावर्तक समुद्री बर्फ और बर्फ के आवरण के नुकसान ने इस साल तापमान में वृद्धि में योगदान दिया।
विशेषज्ञों ने कहा कि महासागरों पर लू और परावर्तक समुद्री बर्फ और बर्फ के आवरण के नुकसान ने इस साल तापमान में वृद्धि में योगदान दिया। फोटो साभार: आईस्टॉक
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हर साल बढ़ता तापमान नित्य नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। साल 2024 का लगभग हर महीने ने गर्मी का रिकॉर्ड तोड़ा है। वहीं यूरोपीय जलवायु सेवा कोपरनिकस ने नवंबर महीने में बढ़ते तापमान को लेकर रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर रिकॉर्ड पर दूसरा सबसे गर्म महीना रहा, यह 2023 के बाद दूसरा सबसे गर्म साल है जिसने लगभग इस बात को तय कर दिया है कि 2024 अब तक का सबसे गर्म साल होने वाला है।

पिछला साल मानवजनित जलवायु परिवर्तन और अल नीनो के असर के कारण रिकॉर्ड पर सबसे गर्म साल था। लेकिन इस गर्मी के रिकॉर्ड पर सबसे गर्म साल के रूप में दर्ज होने के बाद वैज्ञानिकों ने इस बात की आशंका जाहिर की कि साल 2024 भी एक नया वार्षिक रिकॉर्ड बनाएगा।

दुनिया भर में नवंबर में औसतन तापमान 14.10 सेल्सियस रहा। पिछले साल वैश्विक औसत तापमान 14.98 सेल्सियस था। नवंबर तक इस साल का औसत वैश्विक तापमान पिछले साल की इसी अवधि से 0.14 सेल्सियस अधिक है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह हो सकता है कि यह पहला कैलेंडर वर्ष होगा जिसमें औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक समय से 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा। 2015 के पेरिस समझौते में कहा गया था कि मानवजनित कारणों से तापमान को दो डिग्री सेल्सियस तक सीमित किया जाना चाहिए और सबसे अच्छे परिदृश्य में यह 1.5 से नीचे होना चाहिए।

वैज्ञानिकों ने कहा कि अगले कुछ सालों में तापमान को 1.5 डिग्री तक सीमित करना जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों को रोकने के लिए अहम है, जैसे कि विनाशकारी और लगातार चरम मौसम की घटनाओं में वृद्धि होना इसमें शामिल है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधन का जलना है।

रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि इसका मतलब यह नहीं है कि पेरिस समझौते का उल्लंघन किया गया है, लेकिन इसका मतलब यह है कि महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई पहले से कहीं अधिक जरूरी है।

रिपोर्ट के मुताबिक, गर्मी जितनी तेज होगी पौधे और जानवर पृथ्वी की जलवायु में पिछले बदलावों के दौरान हमेशा की तरह इनके अनुकूल नहीं हो सकते। अधिक प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी, जिससे प्राकृतिक खाद्य जाल बाधित होंगे। परागणकों में कमी और कीटों के पनपने से कृषि को नुकसान होगा। तटीय इलाकों में रहने वाले लोग समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण सबसे अधिक प्रभावित होंगे।

विशेषज्ञों ने कहा कि महासागरों पर लू और परावर्तक समुद्री बर्फ और बर्फ के आवरण के नुकसान ने इस साल तापमान में वृद्धि में योगदान दिया। कोपरनिकस की रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर में अंटार्कटिक समुद्री बर्फ की मात्रा औसत से 10 फीसदी कम थी जो एक और रिकॉर्ड है।

महासागर ग्रीनहाउस गैसों द्वारा फंसी हुई गर्मी का लगभग 90 फीसदी अवशोषित कर लेते हैं, बाद में गर्मी और जल वाष्प को वापस वायुमंडल में छोड़ देते हैं।

पिछले साल की रिकॉर्ड गर्मी आंशिक रूप से एल नीनो के कारण हुई थी, मध्य प्रशांत के कुछ हिस्सों में अस्थायी प्राकृतिक गर्मी जो दुनिया भर में मौसम को बदल देती है।

लेकिन इस साल की शुरुआत में यह खत्म हो गया और ला नीना नामक ठंडा प्रभाव जो अक्सर होता है, वह साकार नहीं हो पाया, जिससे तापमान अधिक बना हुआ है।

रिपोर्ट के मुताबिक, अल नीनो गर्म समुद्री पानी के कारण वायुमंडल में अधिक गर्मी छोड़ता है, फिर वह शीतलन प्रभाव नहीं मिल रहा है जो अक्सर दशकों पहले तापमान को वापस नीचे लाने में मदद करता था।

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