जुलाई 2024 में कई इलाकों में असाधारण भारी बारिश की घटनाओं को लेकर बेशक भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने यह नहीं बताया कि क्या यह कोई रिकॉर्ड स्थिति है, लेकिन विभाग के महानिदेशक ने इन आंकड़ों का अलग से उल्लेख जरूर किया।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मासिक संवाददाता सम्मेलन में महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने दक्षिण पश्चिम मानसून सीजन के दो माह का ब्यौरा दिया। साथ ही, अगले दो माह के पूर्वानुमान भी बताया।
संवाददाता सम्मेलन के दौरान पेश किए गए आंकड़े बताते हैं कि जुलाई में असाधारण भारी बारिश (एक्सपेशनल हेवी रैनफाल) की आठ घटनाएं घटी।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की परिभाषा के मुताबिक असाधारण रूप से भारी बारिश शब्द का प्रयोग तब किया जाता है, जब एक दिन में हुई बारिश की मात्रा उस महीने या पूरे मौसम के दौरान उस स्टेशन पर या उसके आस-पास दर्ज की गई उच्चतम बारिश के बराबर होती है। हालांकि इस शब्द का प्रयोग केवल तभी किया जाएगा जब वास्तविक वर्षा की मात्रा 12 सेमी से अधिक हो।
आंकड़े बताते हैं कि जुलाई माह की 25 तारीख को सबसे अधिक बारिश महाराष्ट्र के पुणे जिले के तामिनी में 56 सेमी (560 मिमी) बारिश हुई। इसी दिन पुणे में लवासा में 45 सेमी और लोनावाला में 35 सेमी बारिश हुई।
जुलाई माह में सबसे पहले असाधारण बारिश की घटना आठ तारीख को पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में हुई। यहां बरेली जिले के बहेरी इलाके में 46 सेमी और चंपावत के बनबासा में 43 सेमी बारिश हुई।
इसी तरह 19 और 20 जुलाई को सौराष्ट्र में हुई। 19 जुलाई को पोरबंदर जिले के पोरबंदर इलाके में 49 सेमी, देवभूमि द्वारका जिले के कल्याणपुर में 29 सेमी और 20 जुलाई को इसी जिले के द्वारका इलाके में 42 सेमी बारिश हुई।
हालांकि महापात्र ने असाधारण बारिश के बारे में विस्तार से नहीं बताया, लेकिन इतना जरूर है कि असाधारण बारिश के बारे में अमूमन मौसम विभाग द्वारा सामान्य तौर पर जानकारी नहीं दी जाती।
हालांकि उन्होंने बताया कि जुलाई में ओवरऑल 298.1 मिमी बारिश हई, जो 1901 से लेकर अब तक 51वें बार हुआ, लेकिन 2001 के बाद से आठवीं बार हुई हैं।
संवाददाता सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए आंकड़ों में भी पांच साल के हेवी (भारी), एक्सट्रीमली हेवी (अत्याधिक भारी) की घटनाओं का ब्यौरा दिया है। जैसे कि 2024 में जुलाई माह में 1030 स्टेशनों पर बहुत भारी (115.6 से 204.5) बारिश हुई, जबकि एक्सट्रीमल हेवी (204.5 मिमी) की 193 घटनाएं घटी। हालांकि पिछले पांच सालों में इसमें कुछ खास बदलाव नहीं दिखा। लेकिन पांच साल में असाधारण बारिश का जिक्र नहीं किया गया है।
अगस्त सितंबर का पूर्वानुमान
उनके मुताबिक मॉनसून सीजन के दूसरे भाग में देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से लेकर सामान्य से अधिक बारिश होने का अनुमान है, लेकिन पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत के आसपास के क्षेत्रों के अलावा लद्दाख, सौराष्ट्र-कच्छ के कई हिस्सों व मध्य व प्रायद्वीप भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम बारिश हो सकती है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में भूमध्यीय रेखीय प्रशांत क्षेत्र में अल नीनो दक्षिणी दोलन (ईएनएसओ) की स्थितियां व्याप्त है, लेकिन अगस्त के अंत में ला नीना विकसित होने का अनुमान है, जो सितंबर में बारिश के लिए फायेदमंद हो सकता है।
गर्मी ने रिकॉर्ड बनाया
जुलाई माह में गर्मी का असर खूब तो दिखा, लेकिन अधिकतम तापमान में पिछले सालों का रिकॉर्ड तो नहीं टूटा, लेकिन न्यूनतम तापमान की अधिकता ने जरूर नया रिकॉर्ड बना दिया।
जुलाई माह में अखिल भारतीय स्तर पर न्यूनतम तापमान 24.99 सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जोकि सामान्य से 0.89 डिग्री अधिक था। मौसम विभाग का कहना है कि 1901 से लेकर अब तक न्यूनतम तापमान इस स्तर पर नहीं पहुंचा था। देश का औसत (मीन) तापमान भी रिकॉर्ड के मामले में दूसरा अब तक का सबसे अधिक रहा। औसत तापमान 28.65 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जबकि देश का जुलाई माह का सामान्य औसत तापमान 27.95 डिग्री सेल्सियस रहता है।