जलवायु में आते बदलावों से निपटने के लिए ध्रुवों की ओर शरण लेने को मजबूर हो रही हैं समुद्री मछलियां

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से समुद्री जीवन में आया बदलाव, जमीनी जीवों की तुलना में सात गुणा अधिक तेजी से हुआ है
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जमीनी जीवों की तुलना में, समुद्री जीवन में आया बदलाव सात गुणा अधिक तेजी से हुआ है; फोटो: आईस्टॉक
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जमीनी जीवों की तुलना में, समुद्री जीवन में आया बदलाव सात गुणा अधिक तेजी से हुआ है; फोटो: आईस्टॉक
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जलवायु में जैसे-जैसे बदलाव आ रहे हैं और तापमान में वृद्धि हो रही है उससे निपटने के लिए समुद्र में मछलियों की अधिकांश आबादी ध्रुवों की ओर स्थानांतरित हो रही हैं। देखा जाए तो बढ़ते तापमान से निपटने के लिए यह मछलियां उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के पास ठंडे पानी की ओर रुख कर रही हैं।

वहीं कई जगहों पर यह मछलियां गहरे पानी की ओर भी स्थानांतरित हो रही हैं। यह जानकारी यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो के शोधकर्ताओं द्वारा किए अध्ययन में सामने आई हैं, जिसके नतीजे जर्नल ग्लोबल चेंज बायोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं। अपने इस अध्ययन में ग्लासगो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने दुनिया भर के सभी प्रमुख समुद्री क्षेत्रों में मौजूद मछलियों की 115 प्रजातियों और तापमान में होती वृद्धि से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया है।

रिसर्च में इस बात की जानकारी सामने आई है कि बढ़ते तापमान के प्रति यह समुद्री मछलियां कैसे प्रतिक्रिया दे रही हैं। देखा जाए तो इनका ध्रुवों की ओर प्रवास, जलवायु में आते बदलावों और बढ़ते तापमान से निपटने का एक तरीका है।

रिसर्च के मुताबिक बढ़ता तापमान समुद्री जीवो के महत्वपूर्ण कार्यों जैसे उनके विकास, मेटाबॉलिस्म और प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है। देखा जाए तो समुद्री जीवों में अक्सर तापमान के प्रति सहनक्षमता की सीमा बहुत कम होती है। ऐसे में समुद्रों के तापमान में आया थोड़ा सा अंतर भी इन जीवों के रहने और उसका सामना करने के लिए असंभव हो जाता है। यही वजह है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से समुद्री जीवन में आया बदलाव जमीनी जीवों की तुलना में सात गुणा अधिक तेजी से हुआ है।

रिसर्च के अनुसार समुद्री मछलियों की 595 किस्मों की आबादी बढ़ते तापमान पर प्रतिक्रिया करती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह पहला मौका है जब वैश्विक स्तर पर मछलियों में आते बदलावों का इतने बड़े पैमाने पर विश्लेषण किया गया है।

जलवायु परिवर्तन के चलते पिछले 100 वर्षों में बड़ी तेजी से बदला है समुद्री पारिस्थितिक तंत्र

रिसर्च के नतीजे एक बार फिर दर्शाते हैं कि जलवायु में आता बदलाव बड़ी तेजी से समुद्र के पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव कर रहा है, जिसका खामियाजा वहां रहने वाले जीवों को उठाना पड़ रहा है। देखा जाए तो पिछली 100 वर्षों में जलवायु में आते बदलावों के चलते समुद्री पारिस्थितिक तंत्र गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है। कुछ जगहों पर तो मछलियों की कई प्रजातियां पूरी तरह से गायब हो गई हैं।

शोधकर्ताओं के मुताबिक कुछ मामलों में, समुद्री मछलियां गर्म होते वातावरण के अनुकूल होने में सक्षम हो सकती हैं। लेकिन साथ ही कई मामलों में उनकी भौगोलिक सीमा में बढ़ते तापमान से निपटने का एक मात्र साधन उनका पलायन ही है। वैज्ञानिकों ने भी भविष्यवाणी की है कि भविष्य में समुद्रों के तापमान में होती वृद्धि जारी रह सकती है। ऐसे में मछलियों के पलायन के बारे में उपलब्ध जानकारी न केवल हमारी खाद्य सुरक्षा बल्कि साथ ही वैश्विक पारिस्थितिक तंत्र को बचाए रखने में मददगार हो सकती है।

इस बारे में अध्ययन से जुड़ी प्रमुख शोधकर्ता कैरोलिन डहम्स ने बताया कि हमने मछलियों के स्थानांतरण का एक स्पष्ट पैटर्न देखा है, जो प्रजातियां उन क्षेत्रों में रह रही हैं जो तेजी से गर्म हो रहे हैं, वे अपने आवासों को तेजी से स्थानांतरित कर रही हैं।"

उनका कहना है कि यह संभव है कि मछलियों के अनुकूल के लिए कुछ क्षेत्रों में बढ़ते तापमान की दर बहुत ज्यादा तेज हो, ऐसे में उनका पलायन इससे बचने की उनकी सबसे अच्छी रणनीति हो सकती है। साथ ही उन्होंने यह भी जानकारी दी है कि उन मछलियों की ऐसा करने की क्षमता अन्य कारकों पर भी निर्भर करती है जैसे मछली पकड़ना इत्यादि, क्योंकि व्यावसायिक रूप से जिन प्रजातियों का दोहन किया जा रहा है उन प्रजातियों की गति धीमी होती है।

वहीं इस बारे में अध्ययन से जुड़े वरिष्ठ लेखक प्रोफेसर शॉन किलेन का कहना है कि, "हालांकि ठंडे पानी में स्थानांतरित होने से ये प्रजातियां अल्पावधि में बनी रह सकती हैं, लेकिन अभी यह देखा जाना बाकी है कि इन बदलावों से खाद्य-जाल और पारिस्थितिक तंत्र किस तरह प्रभावित होंगे।"

उनके मुताबिक यदि इन प्रजातियों के खाद्य स्रोत इनके साथ स्थानांतरित नहीं होते हैं या ये प्रजातियां नए वातावरण में ज्यादा आक्रामक बन जाती हैं तो भविष्य में इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।

शोधकर्ताओं के मुताबिक इसके साथ ही हम जलवायु में आते बदलावों और उनसे जुड़ी प्रतिक्रियाओं को किस तरह मापते हैं यह भी मायने रखता है। वर्तमान में देखा जाए तो उत्तरी क्षेत्रों में मछलियों की जो प्रजातियां व्यवसायिक रूप से महत्वपूर्ण हैं उनपर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। हालांकि भविष्य में महासागरों पर पड़ने वाले असर की बेहतर समझ के लिए विशेष रूप से ग्लोबल साउथ के समुद्रों में तेजी से बदलते पारिस्थितिक तंत्रों का अध्ययन कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण होगा।

देखा जाए तो समुद्र सिर्फ इंसानों के लिए ही जरूरी नहीं यह पृथ्वी पर मौजूद 80 फीसदी जीवों का आश्रय स्थल भी हैं। ऐसे में बढ़ता तापमान और इंसानी हस्तक्षेप इसे कैसी प्रभावित कर रहा है यह ने केवल वहां रहने वाले जीवों बल्कि हम इंसानों के लिए भी बहुत मायने रखता है।

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